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2022-03-23

स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करने के फायदे इन हिंदी | स्ट्रेचिंग व्यायाम के लाभ

Stretching Exercises Ke Benefits Ke Labh V Fayde Ke Bare Me Ya Stretching Exercises Kaise Karen


जरूरी है वर्कआउट के बाद प्रॉपर स्ट्रेचिंग...


अक्सर लोग थका देने वाली वर्कआउट के बाद स्ट्रेचिंग करने की अहमियत को नजरअंदाज कर देते हैं, जबकि इसके जरिए थकी हुई मसल्स की फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ाने के अलावा मसल टशन कम करने जैसे कई बड़े फायदे मिलते हैं. स्ट्रेचिंग करना भी उतना ही जरूरी है जितना स्ट्रेंथ या कार्डियोवस्कुलर ट्रेनिंग करना. जानें इसके कुछ और फायदे.............

नर्वस सिस्टम हो जाएगा शांत


हेवी वर्कआउट के बाद स्ट्रेचिंग करने से नर्वस सिस्टम रिलैक्स महसूस करता है, इसलिए इसे अपने डेली रूटीन में जरूर शामिल करना चाहिए. आप अपने नर्वस सिस्टम को शांत करने और आराम दिलाने के लिए वर्कआउट के बाद 10-15 सेकेंड की अलग-अलग तरह की स्ट्रेचिंग कर सकते हैं. इससे बॉडी में ब्लड क्लॉट्स भी नहीं पड़ेंगे. आपको अच्छा और रिलैक्स फील होगा. कई बार हेवी वर्कआउट के बाद बॉडी में कंपन महसूस होता है. स्ट्रेचिंग इस प्रॉब्लम को दूर करने में भी मददगार है.


बेहतर होती है फ्लेक्सिबिलिटी



वर्कआउट के बाद बॉडी गर्म होती है और आप आसानी से स्ट्रेच कर सकते हैं. स्ट्रेचिंग से मसल्स रिलैक्स होती हैं और बॉडी की फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ती है, क्योंकि बॉडी को जितना स्ट्रेच किया जाता है उसका लचीलापन उतना ही बढ़ता है. यह बॉडी पॉश्चर सही करने में भी मददगार है.



काफी कम हो जाता है स्ट्रेस



टफ वर्कआउट के बाद होने वाली थकान के बाद कुछ करने का मन नहीं करता, लेकिन आपको स्ट्रेचिंग स्किप नहीं करनी चाहिए. यह आपकी वर्कआउट रूटीन का एक जरूरी हिस्सा होता है. एक्सरसाइज के बाद स्ट्रेचिंग करने से स्ट्रेस को भी कम किया जा सकता है. स्ट्रेचिंग से टाइट मसल्स लूज हो जाती हैं, जिससे बॉडी में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है. इससे एंडोर्फिन हार्मोन्स रिलीज होते हैं, जिससे आपको खुशी और शांति मिलती है. यह आपके मूड को बेहतर है बनाने में भी मदद करता है.

रिलैक्स हो जाती हैं मसल्स



हेवी वर्कआउट के बाद हम काफी थक जाते हैं. ऐसे में, अगर इसके बादबॉडी को अच्छे से स्ट्रेच कर लिया जाए, तो इससे मसल्स रिलैक्स हो जाती हैं. स्ट्रेचिंग करने से मसल्स को आराम मिलता है और उनमें दर्द की शिकायत नहीं होती है. अगर आप वर्कआउट के बाद स्ट्रेचिंग नहीं करते हैं, तो आपको मसल्स में दर्द की शिकायत हो सकती है. यह मसल्स की अकड़न को दूर करता है और बॉडी को आराम देता है. जब आप वर्कआउट के बाद स्ट्रेचिंग नहीं करते, तो मसल्स रिलैक्स नहीं हो पाती हैं, जिससे कई हिस्सों में दर्द होने लगता है. इनमें पीठ का दर्द सबसे कॉमन है,

स्ट्रेचिंग करने के सिंपल टिप्स


● हाथों को स्ट्रेच करने के लिए दोनों हाथों को सिर के ऊपर उठाएं, दोनों हाथों को जोड़कर और एड़ी उठाकर तेजी से स्ट्रेच करें. इसे आप 5 से 7 बार कर सकते हैं. इससे हाथों की मसल्स रिलैक्स हो जाती हैं.

● पीठ को स्ट्रेच करने के लिए पहले खड़े हो जाएं. अब हल्का सा पीछे की तरफ झुकें. अपने हाथों को लोअर बैक पर रखें और मसल्स को स्ट्रेच करें. इससे आपको पीठ के दर्द में आराम मिलेगा.

● कमर को स्ट्रेच करने के लिए पैरों को कंधों के बराबर चौड़ाई में खोल लें. अपने दोनों घुटनों को हल्का सा मोड़ें. अब आगे की तरफ झुकें और दोनों हाथों को घुटनों पर रखें. मसल्स को स्ट्रेच करने की कोशिश करें.

2020-06-05

Ankurit (sprout) Mung Dal Khane Ke Fayde Kya-Kya Hai, Gun, Labh, Benefits Ke Bare Me Janakri Hindi Mein

Mung Dal Khane Ke Fayde Hindi Mein


    मूग की दाल को उतना ही महत्व दिया जाना चाहिए जितना बाजार में बिकने वाले बायोएक्टिव फूड कंपाउंड को दिया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि दालों में मौजूद बायोएक्टिव कंपाउंड में न केवल बिगड़े हुए स्वास्थ को सुधारने की क्षमता होती है, बल्कि कई असाध्य बीमारियों को ठीक करने की भी योग्यता होती है। 

बीजिंग विश्वविद्यालय, चीन द्वारा हाल ही में किए गए शोध-अध्ययनों से यह पता चला है कि मूंग दाल में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और बायोएक्टिव कंपाउंड्स न केवल शरीर की स्वास्थगत आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं, बल्कि डिजनरेटिव डिजीजेज के खिलाफ एक डिफेंस मैकेनिज्म भी प्रस्तुत करते हैं। ।

महामारी को लेकर हुए एक शोध-अध्ययन में पाया गया है कि दालों में जहां एंटीऑक्सीडेंटस भरपूर मात्रा में होते हैं वहीं उन्हें अपने भोजन में शामिल करने से उम्र बढ़ने के साथ होने वाली शरीर में मौजूद कोशिकाओं के क्षतिग्रस्त होने की गति भी मंद पड़ जाती है। इसी तरह सीवीडी, कैंसर, अर्थराइटिस और अल्जाइमर्स डिजीज होने के अवसर भी कम हो जाते हैं। अंकुरित मूंग में फ्री एमिनो एसिड और एंटीऑक्सीडेंट्स सामान्य मूंग की अपेक्षा 6 गुना अधिक मात्रा में पाए जाते हैं।

 

भारत की देन है 

 

मूंग दुनिया को भारत की देन है मूंग । मिस्र के पिरामिडों में दफन ममियों के साथ रखे गए पात्रों में तिल के बीजों के साथ मूंग दाल भी पाई गई है। यहां पैदा होकर मूंगदाल चीन और मध्य' एशिया के रास्ते यूरोप और दुनिया के अन्य देशों में इस्तेमाल की जाती है।' इसके एक कप यांनी लगभग 200 ग्राम बीजों से 212 कैलोरी मिलती है जिसमें फैट, प्रोटीन, कार्बोहाईड्रेट्स, फाइबर, फोलेट, मैंगनीज, विटामिन बी-1,मैग्नेशियम, फॉस्फोरस, आयरन, कॉपर, पोटेशियम, जिंक तथा विटामिन बी-2, बी-3, बी-5,बी-6 और सेलेनियम भी शामिल है।


 

मिलते हैं खास एमिनो एसिड:

मूंग की दाल में वे आवश्यक एमिनो एसिड्स भी होते हैं जिन्हें हमारा शरीर पैदा नहीं कर पाता है, लेकिन उनकी जरूरत बनी रहती है। मूंग की दाल अथवा अंकुरित मूंग से इन एमिनो एसिड की पूर्ति होती है। इसी तरह पौधों से प्राप्त होने वाले प्रोटीन में से मूंग दाल की प्रोटीन को श्रेष्ठ माना गया है। इसमें फेनिलएलनिन, ल्यूसीन, आइसोल्यूसीन, वेलीन, लाइसिन, अर्जनाइन जैसे कई महत्वपूर्ण एमिनो एसिड पाए जाते हैं।

 

बेहद सक्षम है मूंग की दाल:

टेस्ट ट्यूब में हुए शोध-अध्ययन के मुताबिक मूंग में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स फेफड़ों और पेट में कैंसर के सेल्स द्वारा पहुंचाई जा रही क्षति को खत्म करने में समर्थ हैं।

विटेक्सीन और आइसोविटेक्सीन नामक एंटीऑक्सीडेंट्स हीट स्ट्रोक (लू लगना) की आशंका को कम करते हैं। हमारे देश सहित कई एशियाई देशों में गर्मियों के मौसम में मूंग का सूप पीने का चलन है। 

खराब कोलेस्ट्रोल को कम कर देने की क्षमता होने के कारण मूंग दाल का सेवन करने वालों को हार्ट डिजीज का जोखिम कम हो जाता है। मूंग दाल पर हुए 26 अलग अलग शोध अध्ययनों के बाद यह नतीजा निकला है कि खराब कोलेस्ट्रोल को घटाया जा सकता है।

पोटेशियम, मैग्नेशियम और फाइबर से भरपूर होने के कारण मूंग के बीज ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित कर सकते हैं। सारी दुनिया में हाई ब्लड प्रेशर को दिल की बीमारियों से होने वाली मौतों में प्रमुख कारण माना जाता है। 200 ग्राम मूंग की दाल में 15.4 ग्राम फाइबर होता है, जो डाइजेस्टिव सिस्टम को दुरुस्त करने में समर्थ है। इसके अलावा मूंग दाल में पेक्टिन नामक एक घुलनशील फाइबर होता है, जो भोजन को आंतों में आगे बढ़ाने में सहायक होता है। रेजिस्टेंट स्टार्च होने की वजह से आंतों में भोजन की गति बढ़ जाती है, जो कब्ज नहीं होने देती। आंतों में मौजूद हेल्दी बैक्टेरिया को रेजिस्टेंट स्टार्च से पोषक तत्व ग्रहण करने में आसानी हो जाती है।

मूंग दाल में मौजूद कार्बोहाइड्रेट्स को आसानी से हजम किया जा सकता है, जबकि दूसरी दालों को हजम करने में दिक्कत होती है।डायबिटीज को कई रोगों की जड़ माना जाता है। मूंग के बीजों मैं ऐसी कई खूबियां होती हैं जिनसे ब्लड शुगर लेवल घटाया जा सकता है। इसी के साथ ली जा रही इंसुलिन को भी और अधिक प्रभावशाली बनाया जा सकता है।

वजन घटाने के प्रयास में मूंग की दाल अथवा अंकुरित मूंग पर निर्भर रहा जा सकता है। फाइबर और प्रोटीन भूख बढ़ाने वाले हार्मोन को दबाने में समर्थ होते हैं। यदि भूख को दबा सकें तो कैलोरी भी कम से कम अंदर जाएगी। कम कैलोरीज का मतलब है वजन संतुलित रहना।