Law Me Career Options And Opportunities Ke Bare Me
लॉ मे कैरियर बनाना या इस फिल्ड में चुनौतियों तो बेशक ज्यादा होती है, लेकिन इनमें Law Graduates को मौके पैकेज भी ऑफर हो रहे है। लॉ में सम्मान जनक तरीके से काम करते हुए नाम और पैसे कमा सकते है।
Survey Ke Reports Se
1. 60 हजार नए अधिवक्ता बनते हैं हर साल देश में। इनमें से 2 हजार लॉ विवि से निकलते हैं, बाकी 58 हजार निजी स्कूलों से।
2. 20 लाख के करीब रजिस्टर्ड वकील केश में इस समय बार काउंसिल ऑफ इंडिया के आंकड़ों के अनुसार।
बिते दिनों सुप्रीम कोर्ट द्वारा चाहे सीबीआइ में रिश्वत कांड के बाद सीबीआइ चीफ को जबरन छुट्टी पर भेजे जाने के फैसले को रद्द करने का मामला हो या फिर केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं पर लगी पाबंदी को हटाने, राफेल सौदे और अयोध्या जैसे बहुचर्चित मामलों पर बात सुनवाई की हो, न्यायपालिका की सक्रियता के ऐसे कई उदाहरण लगातार देखने को मिल रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ हाईकोर्ट और यहां तक कि सेशन व स्पेशल कोर्ट भी जन-सरोकारों, प्रदूषण और पर्यावरण को लेकर अपने फैसलों के कारण लगातार चर्चा में रहते हैं। इसी न्यायिक सक्रियता के कारण ही लोगों का भरोसा भी इस पर बढ़ा है और यह उम्मीद जागी है कि अगर शासन-प्रशासन कहीं कोई उदासीनता बरतता है, तो कोर्ट जरूर उनके साथ न्याय करेगा। ऐसा हाल-फिलहाल में देखा भी जा रहा है कि जब लोगों, संस्थाओं और कंपनियों की अपेक्षाएँ शासन प्रशासन-पुलिस से पूरी नहीं होती, तो उनके सामने न्याय की उम्मीद में यदि कोई आशा की किरण होती है, तो वह एकमात्र न्यायालय ही है जहां से लोगों को समुचित राहत भी मिलती है और दोषी पक्ष को सजा व फटकार भी। वहीं दूसरी ओर समाज में तेजी से कानूनी प्रक्रियाओं और अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ने से वकालत के पेशे में जबरदस्त बदलाव आया है। बीते एक दशक से लॉयर्स की मांग लगातार बढ़ रही है।
कौन है लॉयर?:
अगर आसान शब्दों में कहें, तो लॉयर (वकील) वह व्यक्ति है, जो कानूनी दांवपेच को अच्छी तरह जानता और समझता है। जो कोर्ट में लॉ की प्रैक्टिस करने के अलावा अपने क्लाइंट को कानूनी मुद्दों पर सलाह देने का कार्य करते हैं। दीवानी (सिविल) या फौजदारी (क्रिमिनल) मामलों में ये वादी (कम्लेनेट) या प्रतिवादी (डिफेंडेंट) का संबंधित अदालतों में पक्ष रखते हैं। अदालत में अपने क्लाइंट की ओर से मुकदमा दायर करते हैं और उसके पक्ष को लेकर बहस भी करते हैं।
Types Of Law Careers: Law Ke Career Ke Kitane Prakar Hain?
कोर्ट से कॉरपोरेट तक :
लॉ की डिग्री लेने के बाद आज युवाओं के सामने कई तरह के अवसर उपलब्ध हैं:
जज के रूप में:
सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट, सेशन कोर्ट में न्यायाधीशों की हनक देखी जा सकती है। शासन| प्रशासन तक को निर्देश और आदेश देने का इनके पास अधिकार होता है। ऐसे में यदि आप लॉ ग्रेजुएट हैं, तो 'एक न्यायाधीश के रूप में आकर्षक करियर शुरू कर सकते हैं। इसके लिए राज्य लोक सेवा आयोगों द्वारा हर | साल आयोजित की जाने प्रॉविंशियल सिविल सर्विसेज जुडिशियरी (पीसीएस-जे) परीक्षा पास करनी होगी। इसे क्वालिफाई करने के बाद सत्र या जिला न्यायालय में । न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति होती है। बेहतर काम और अनुभव के आधार पर कुछ वर्षों के बाद हाईकोर्ट के जज के रूप में चयन हो सकता है। इसके अलावा, हाईकोर्ट में सीधे जज बनने के लिए हायर जुडिशियल एग्जाम में शामिल हो सकते हैं, लेकिन इसके लिए करीब 7 से 10 साल की वकालत का अनुभव होना आवश्यक है। इसी तरह विभिन्न राज्यों के हाईकोर्ट में कार्यरत जज वरिष्ठता के आधार पर सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त हो सकते हैं।
कॉरपोरेट लॉयर्स:
आज की तारीख में लॉ में ग्रेजुएशन करने के बाद आपके पास कोर्ट में सिर्फ वकील बनने का ही विकल्प नहीं है, आप अपनी इच्छानुसार देश-विदेश की मल्टीनेशनल कंपनियों में लीगल ऑफिसर्स बन सकते हैं। इन कॉरपोरेट्स लॉयर्स की तो आजकल बहुत ही ज्यादा मांग है, जो सभी बड़ी-बड़ी कंपनियों और कॉरपोरेशंस को कानूनी सलाह देते हैं। अपने क्लाइंट्स को कानूनी तरीके से कारोबार करने में मदद करते हैं।
लॉ फर्स:
आजकल बड़ी संख्या में लॉ फर्स के आ जाने से भी लॉ ग्रेजुएट्स की मांग काफी बढ़ गई है। इन लॉ फर्स में नेशनल लॉ स्कूल्स के ग्रेजुएट्स की सबसे अधिक पूछ है, जो शुरुआत से ही काफी आकर्षक सैलरी पैकेज भी देती हैं।
साइबर लॉयर:
ऑनलाइन गतिविधियां बढ़ने से साइबर अपराध की घटनाओं में भी तेजी आई है। इन सब को देखते हुए ही पिछले कुछ वर्षों से कंप्यूटर और नेटवर्क सुरक्षा पर ज्यादा ध्यान दिया जाने लगा है और जिसके लिए साइबर लॉयर्स की काफी जरूरत देखी जा रही है।
सरकारी वकील:
सरकारी विभागों या अन्य जांच एजेंसियों द्वारा चलाये जाने वाले मुकदमों की पैरवी के लिए आजकल हर राज्य में लोक अभियोजक यानी सरकारी वकील होते हैं। कुछ वर्षों की वकालत और लगातार अच्छे रिकॉर्ड के बाद आप भी केंद्र और राज्य सरकारों में इस तरह के सरकारी वकील बन सकते हैं।
टीचिंग का फील्ड:
ढेर सारे प्राइवेट लॉ स्कूल्स और नए-नए नेशनल लॉ स्कूल्स के खुलते जाने से इनमें असिस्टेंट प्रोफेसर्स की भारी डिमांड देखी जा रही है।
अन्य विकल्पः
लॉ ग्रेजुएट्स के लिए लीगल जर्नलिज्म, एनजीओ, इंटरनेशनल आर्गनाइजेशंस,पीएसयूज, इनकम टैक्स लॉ जैसे फील्ड में भी आजकल काफी अवसर हैं।
शैक्षिक योग्यता :
लॉ में ग्रेजुएशन के बाद पारंपरिक तीन वर्षीय डिग्री यानी एलएलबी का विकल्प तो है ही, लेकिन अब बारहवीं के बाद पांच वर्षीय बैचलर डिग्री प्रोग्राम्स की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। खास बात यह है कि बारहवीं के बाद लॉ करने से एक साल की बचत हो जाती है, क्योंकि तीन साल का ग्रेजुएशन करने के बाद लॉ करने में फिर से तीन साल (यानी कुछ छह साल) लगाने पड़ते हैं। फिलहाल किसी भी स्ट्रीम के छात्र ये कोर्स कर सको हैं। देश की नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज में दाखिले क (कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट) के माध्यम से होते हैं, सिर्फ पांच वर्षीय कोर्स ही ऑफर किए जाते हैं।