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2021-05-03

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आंतरिक बचत क्या है या आंतरिक बचत( गुप्त बचत ) कैसे करे टिप्स इन हिन्दी


आंतरिक बचत क्या है 


गुप्त बचत की शुरुआत शायद

उस समय से शुरु हुई होगी, जब

महिलाओं को घर से बाहर काम

करने की आजादी नहीं थी।

छिपाकर बचाने की आदत को

मनोवैज्ञानिक आर्थिक सुरक्षा

से जोड़कर देखते हैं।

जीवनसाथी से छिपाकर

पाई-पाई जोड़ते हुए आपने

अपने लिए एक आर्थिक

सुरक्षा का घेरा तो जरूर बना

लिया, लेकिन ध्यान रखें,

यह जोड़ने की कला कभी

भरोसे को तोड़ भी सकती है।

आने वाले कल के लिए

जिंदगी में गुल्लक जरूरी है,

लेकिन उससे कहीं ज्यादा

जरूरी है, भरोसे की दीवार।



'गुप्त बचत' या 'सीक्रेट सेविंग' वह पैसे हैं, जो

पलियां अपने पति और परिवारवालों की नजर से

छिपाकर रखती हैं, ताकि उसका उपयोग जरूरत के

समय पर किया जा सके। उसका उपयोग वे ज्यादातर

अपने लिए कुछ खरीदने और बच्चों की कई जरूरतों

को पूरा करने के लिए करती हैं। बहुत-सी महिलाएं पति

के डोमिनेटिंग स्वभाव के कारण या अन्य किसी वजह

से स्वयं को आर्थिक रूप से सुरक्षित महसूस नहीं

करती। इसलिए वह भी जी-जान से 'गुप्त बचत' करती

हैं और उसी में अपने भविष्य की सुरक्षा ढूंढती हैं।

ऐसा करने की आदत महिलाओं में पीढ़ियों से चली आ

रही है। वे बचपन से ही अपनी मां को ऐसा करते देखती

हैं और शादी होने पर स्वयं भी ऐसा करने लगती हैं।

घरेलू महिलाएं ऐसा करें तो फिर भी उनकी आर्थिक

असुरक्षा के भाव को समझा जा सकता है, मगर

आश्चर्य तब होता है जब कामकाजी महिलाएं भी ऐसा



करती हैं। तो आइए, महिलाओं की इस खास आदत के

पीछे के मनोविज्ञान और उसके फायदे-नुकसान को

बारीकी से समझते हैं।


गुप्त बचत का मनोविज्ञान


होम्योपैथी डॉक्टर और रिलेशनशिप काउंसलर प्रतिभा

जावले गुप्त बचत के पीछे के मनोविज्ञान को समझाते

हुए कहती हैं कि महिला घरेलू हो या कामकाजी,

भारतीय समाज में उसकी स्थिति ज्यादा अलग नहीं हैं।

अधिकतर महिलाओं को पति की सहमति से ही खर्च

करना होता है, वरना उनमें कहासुनी होती है। ऐसे में

गुप्त बचत महिला को मानसिक शांति देती है। उसे एक

तरह की आजादी का अहसास दिलाती है कि वह बिना

किसी को बताए या सफाई दिए, अपनी इच्छा से भी

खर्च कर सकती है। मगर जावले यह भी कहती हैं कि

गुप्त बचत रिश्ते में विश्वास को ताक पर रखकर की

जाती है, क्योंकि यदि पार्टनर को गुप्त बचत के बारे में


पता चल जाए, तो उसका पत्नी से विश्वास उठ जाता

है। वह सोचता है, इसने पता नहीं क्या-क्या और कहां-

कहां छिपाकर जमा किया हुआ है। अतः कई मामलों

में यह रिश्ते के लिए घातक भी हो सकता है।


ताकि घर में न हो अनावश्यक तनाव


जो महिलाएं स्वयं को आर्थिक रूप से असुरक्षित

महसूस नहीं करती, वे भी थोड़ी-बहुत गुप्त बचत

करती हैं और उसे समय-समय पर अपनी इच्छानुसार

खर्च करती रहती हैं। अनुभा दुबे एक अच्छे-खासे

संपन्न परिवार की गृहणी हैं, फिर भी वह गुप्त बचत

करती हैं। कारण पूछने पर उन्होंने बताया, वैसे तो मेरे

पति मुझे किसी जरूरी खर्चे को लेकर मना नहीं करते,

लेकिन उनको किसी को चंदा देना या कहीं फंड

कंट्रीब्यूट करना बिल्कुल भी पसंद

नहीं। पर कभी-कभी

कोई ऐसा व्यक्ति

फंड लेने के लिए

आ जाता है, जिसे

मना नहीं किया जा

सकता। पहले मैं पति

से पूछती थी तो वे

सीधा मना कर देते थे,

जिस कारण मुझे अपनी

सहेलियों में शर्मिंदा होना

पड़ता था। मगर अब मैं थोड़े

पैसे बचाकर अलग रखती हूं।

जिन खर्चों को मैं जरूरी समझती हूं, लेकिन वे नहीं

समझते, ऐसे खर्चों को उनसे पूछे बिना चुपचाप कर

लेती हूं। इस कारण से घर में बेवजह तनाव होने से

बच जाता है।


बेहतर है, स्पष्ट संवाद हो


बहुत-सी महिलाएं घर में फालतू की बहसबाजी,

सवाल-जवाब, हिसाब-किताब से बचने के लिए गुप्त

बचत करती हैं। ऐसे केस में छिप-छिपाकर खर्च करने

और फिर इस डर में जीने के कि 'कहीं राज न खुल

जाए', से बेहतर है आपस में स्पष्ट संवाद कर लिया

जाए। ऐसा करने से भले ही उस समय कहासुनी हो

जाए, लेकिन रिश्ते में हमेशा पारदर्शिता और विश्वास

बरकरार रहेगा। नोटबंदी के वक्त अमित ने अपने दोस्त

राहुल को फोन किया, "यार, नोटबंदी क्या हुई मेरी तो

लॉटरी गई। कल मेरी बीवी के पास से 20 हजार

की गुप्त बचत मिली, तुम्हें कितनी मिली?" सुनकर

राहुल हंसने लगा और पूरे आत्मविश्वास से बोला,

"नहीं यार मेरी बीवी को गुप्त बचत की जरूरत नहीं।

वह अपने खर्चों को लेकर मुझसे खुलकर झगड़ा कर

लेती है। मगर कभी झूठ बोलकर पैसे छिपाकर नहीं

रखती। मुझे उस पर पूरा विश्वास है।" यदि आप भी

चाहती हैं कि आपकी शादी में यह विश्वास बरकरार



रहे, तो गुप्त बचत से ज्यादा खुद पर

और अपने पार्टनर पर भरोसा करें।


बच्चे उठा सकते हैं फायदा


ज्यादातर महिलाएं गुप्त बचत का राज पति

से तो छुपा लेती हैं, लेकिन बच्चों के सामने खुला रखती

हैं। इसका परिणाम यह होता है कि बच्चे उनकी बचत

का अनावश्यक फायदा उठा लेते हैं। वे उन्हें इमोशनल

ब्लैकमेल कर, अपनी जरूरतों का रोना रोकर उनसे

पैसे ऐंठते रहते हैं। ऐसा करते हुए उन्हें पिता को पता

चलने का डर भी नहीं होता, क्योंकि वे जानते हैं मां

कभी पिता को नहीं बताएंगी। कभी राज खुलने के डर

से तो कभी ममता में अंधी होकर माताएं अपनी गुप्त

बचत से बच्चों की गैरजरूरी मांगें पूरी करती रहती हैं,

जो परवरिश के नजरिए से सही नहीं है।


धन नहीं, काबीलियत देती है सुरक्षा


संस्कृत की एक बड़ी प्रसिद्ध कहावत है जो कहती है

गुण और विद्या ही सबसे बड़ा धन है, जिसे न राजा

छीन सकता है, न चोर चुरा सकता है, वह बांटने से

खत्म नहीं होता, बल्कि बढ़ता ही है- 'विद्या धनम्

सर्वधनम प्रधानम्। धन से ज्यादा सुरक्षा शिक्षा और गुण

ही दे सकते हैं। अतः अपना ध्यान छिपाकर धन जोड़ने

पर नहीं, बल्कि अपनी काबीलियत बढ़ाने पर लगाएं।

खुद को इस काबिल बनाएं कि आप किसी भी हालत

में अपना भरण-पोषण कर सकें। वैसे भी पहले की बात

और थी, मगर आज जमाना बदल गया है। यदि महिला

चाहे तो आत्मनिर्भर हो सकती है। छोटे-छोटे शहरों में

भी कितनी महिलाएं नौकरी कर रही हैं, छोटे छोटे



उद्योग, दुकानें, एक्टिविटी

क्लासेज, ट्यूशन क्लासेज,

केटरिंग-टिफिन सर्विस आदि

चला रही हैं..। इसलिए गुप्त बचत

से ज्यादा खुद पर भरोसा रखें। धन

तो खत्म हो सकता है, छीना जा

सकता है, मगर आपकी प्रतिभा को

आपसे कोई नहीं छीन सकता। प्रत्येक

स्त्री में कोई न कोई ऐसा गुण, ऐसी प्रतिभा

छिपी होती है, जिसके द्वारा वह आजीविका कमा

सकती है। उस प्रतिभा को उभारे, निखारें और हमेशा

जिंदा रखें।


पति समझें मन की बात


30 साल की गृहणी प्रिया गुप्त बचत से संबंधित अपना

अनुभव साझा करते हुए कहती हैं, “मुझे मेरी मां ने

शादी से पहले बताया था कि शादी के बाद लड़कियों


को हमेशा अपने पास कुछ

पैसे अलग से जमा करके

रखने चाहिए, ताकि उन्हें

हर वक्त पति के सामने

हाथ न फैलाने पडे।

मैंने मां की सुनकर

शादी के बाद से ही इधर-उधर

से मिलने वाले या मायके से मिले हुए पैसे

जोड़ने शुरू कर दिए। मैं कुछ पैसे घरखर्च से भी

निकाल लिया करती थी। इस तरह से साल भर में मेरे

पास 15-16 हजार रुपये जमा हो गए, जो मैंने अपनी

कपड़ों की अलमारी में छिपाकर रखे थे। एक दिन मेरे

पति ने उसे देख लिया। वह समझ गए कि यह मेरी गुप्त

बचत है। मैं बहुत डर गई थी कि ये मुझ पर चिल्लाएंगे,

गुस्सा करेंगे, मगर उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया। उन्होंने

मुझे समझाते हुए कहा, “मैं जानता हूं पत्नियां ऐसा

करती हैं, क्योंकि मैंने अपनी मम्मी और बहन को भी


ऐसा करते देखा है। लेकिन प्रिया मुझ पर विश्वास रखो

तुमको ऐसा करने की कोई जरूरत नहीं है। मेरा कमाया

हुआ पैसा सिर्फ मेरा नहीं, बल्कि हम दोनों का है। तुम

उसमें से जितना चाहे, जब चाहे खर्च कर सकती हो।"

पति की ऐसी बात सुनकर मैंने सोचा कि मैं यह क्या

कर रही थी? मैं पढ़ी-लिखी हूं, जब चाहे नौकरी कर

सकती हूं और जब मुझको इतना प्यार और सम्मान

करने वाला जीवनसाथी मिला है, तो मुझे इस तरह से

छिपाकर पैसे जोड़ने की क्या जरूरत है? मैंने उसके

बाद कभी गुप्त बचत नहीं की। प्रतिभा जावले कहती

हैं, "वैसे ऐसी स्थिति उत्पन्न ही न हो, इसके लिए

बेहतर है यदि पत्नी नॉनवर्किंग है तो पति-पत्नी दोनों

मिलकर हर महीने एक राशी तय कर लें, जिस पर

पत्नी का अपने हिसाब से खर्च करने का पूरा अधिकार

हो। इसे पत्नी की पॉकेटमनी ही समझें। ऐसा करने से

पत्नी को 'सेंस ऑफ फाइनेंशियल फ्रीडम' रहेगी और

उसे चोरी छिपे पैसे जमा करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।




क्या एकतरह काभ्रम

है यह गुप्त बचत!


यदि कोई महिला सोचती हैं कि गुप्त बचत बुरे

समय में उसको आर्थिक सुरक्षा देगी, तो यह उसकी

सबसे बड़ी गलतफहमी है। जब नोटबंदी हुई थी तो

कितनी महिलाओं की गुप्त बचत पति के हवाले हो

गई थी या बेकार हो गई थी। महिलाएं उसे बैंक में

नहीं रखती क्योंकि ऐसा करने पर घरवालों को पता

चल जाएगा। ऐसे में वे या तो उसे घर पर छिपाकर

रखती हैं या किसी राजदार के पास। घर पर रखने

से वे हमेशा इसी डर में जीती हैं कि कहीं राज न

खुल जाए और किसी राजदार के पास रखने में | वह

उसका दुरुपोग कर सकता है, महिला को ब्लैकमेल

कर सकता है या उसे हजम कर सकता है। इस

तरह

से

एक असुरक्षा से निकलने के लिए की जा

रही गुप्त बचत महिला को ताउम्र दूसरे डरों में

रखती है। निधि की ससुरालवाले उसे तंग करते थे,

पति भी साथ नहीं देता था। वह अपने भविष्य को

सुरक्षित करने लिए पति से छिपाकर बड़ी बहन के

पास पैसे जमा करने लगी। 20 सालों में उसके

पास अच्छी खासी रकम जमा हो गई थी। एक दिन

उसने ससुराल से तंग आकर उसी गुप्त बचत के

सहारे घर छोड़ दिया। जब वह बहन के पास पहुंची

तो उसने उसकी सालों की जमा रकम हड़पकर

उससे नाता ही तोड़ लिया..। चूंकि बचत छिपाकर

की गई थी, इसलिए उसका न कोई कागजी प्रूफ

था न गवाह, सिर्फ रिश्तों पर विश्वास था, जिसका

पैसे के लिए टूटना इस संसार में बड़ी बात नहीं।