Samay Ka Mahavt Samajhe
दोस्तो, अभी आपका समय बहुत कीमती है। आपका ध्यान उससे भी ज्यादा कीमती है।
हमें कोशिश करनी है कि इस ध्यान को हम खुद को विकसित करने में, स्वयं को बेहतर करने में लगाएं, न कि दूसरों को जज करने में उसे व्यर्थ करें। हालांकि, दूसरों को जज करना भी जरूरी है, क्योंकि हमें इसीलिए बुद्धि मिली हुई है। लेकिन उस जजमेंट की जगह हमें उन्हें यूनीक समझना चाहिए। यह समझना चाहिए कि वे भिन्न हैं। उनमें कुछ अलग टैलेंट है, इंट्रेस्ट है। इसलिए अपने जजमेंट को हमें पूरी एकाग्रता के साथ स्वयं को बेहतर करने में लगाना चाहिए। यह सबसे पहली चीज है। दूसरा, यह कि मैंने दो भारत को देखा है। मैं काफी सारे आइआइएम में गया और कुछ बड़े प्राइवेट बिजनेस स्कूल, कॉलेजों में भी गया। कई छोटे शहरों के कॉलेजों में भी प्रोग्राम किया है, जैसे कि ग्वालियर, भोपाल, जयपुर, उदयपुर, सूरत इत्यादि। इन सब जगहों पर मैंने दो भारत को देखा। एक भारत, जो थोड़ा प्रो-एक्टिव है, जो आगे बढ़कर कुछ करना चाहता है, जो लिंक्डइन पर एक्टिव है, जो नेटवर्किंग करता है। वहीं, दूसरा भारत है जो सो रहा है। वहां के डायरेक्टर भी सो रहे हैं, प्रोफेसर भी सो रहे हैं और यह सोच रहे हैं कि कोई मां-बाप आएगा, जो उठाकर उन्हें नई राह दिखाएगा। मैं मानता हूं कि प्रो-एक्टिवनेस बहुत बड़ी स्किल है। सिचुएशन को परिवर्तित करने के लिए यह प्रो-एक्टिवनेस काम आती है। इसलिए आप खुद माहौल बनाइए, अपना नेटवर्क बनाइए, अपने खुद संबंध बनाइए। जो प्रोजेक्ट मिल रहा है, उसे पूरी ईमानदारी से करिए। सिर्फ अपने प्लेसमेंट सेल पर ही निर्भर न रहिए। अब इतने सारे प्लेटफॉर्म हैं, तो अपने मोबाइल फोन को इससे कनेक्ट करिए।
एंटरप्रेन्योरशिप पर जोर
देखा जाए तो आजकल एंटरप्रेन्योरशिप पर बहुत जोर दिया जा रहा है। एंटरप्रेन्योरशिप का मतलब सिर्फ स्टार्टअप ही नहीं होता है। एंटरप्रेन्योरशिप एक छोटा बिजनेस भी हो सकता है। फैमिली के बिजनेस को आगे बढ़ाना भी हो सकता है। साढ़े सोलह साल तक नौकरी करने के बाद मेरा अब यह मानना है कि नौकरी जरूरी भी है। और नहीं भी है। नौकरी आपको कुछ सिखाती है, तो बहुत कुछ खोते भी हैं आप, अपने संबंधों को खोते हैं। इससे आपकी एक सीमित स्किल डेवलपमेंट होती है, क्योंकि आप बंधकर एक ही काम करते हैं। लेकिन अच्छी बात यह है कि इसमें आप अनुशासित भी होते हैं। आप बहुत सारी अच्छी चीजें भी सीखते हैं। मेरा मानना है कि अनुशासित होने के लिए कुछ साल नौकरी भी करें और फिर आपकी इच्छा है, तो कुछ और काम करें। किसी आइडिया पर काम करें। लोगों से सहयोग लीजिए। एंटरप्रेन्योरशिप में अवसर लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इसलिए खुद को इतना सशक्त बनाइए कि दूसरों को भी नौकरी दे सकें।
खुद को न समझें छोटा
जो लोग नई नौकरी में हैं, उन्हें मेरी यही सलाह है कि सबसे पहले उन्हें अपने मन से यह भाव निकाल देना चाहिए कि वे छोटे हैं, छोटे शहर से हैं या छोटे कॉलेज से हैं, क्योंकि हम ही अपनी ग्रोथ के लिए रुकावट हैं। हम खुद ही जज कर लेते हैं कि हमसे यह नहीं हो पाएगा। हम आइआइएम, आइआइटी से नहीं हैं, इसलिए सीईओ नहीं बन सकते। हम कुछ बड़ा नहीं कर पाएंगे। कुल मिलाकर, यह एक भ्रांति है। बहुत सारे तरीके हैं जिससे आप अपना मनोबल बढ़ा सकते हैं। अगर अभी पढ़ाई नहीं की है, तो आगे आपको पढ़ाई के बहुत सारे मौके मिलेंगे। मेरा खुद का उदाहरण है। मैं शुरू में अच्छे कॉलेज से पढ़ाई नहीं कर सका। मैंने भी कैट के लिए तैयारी की थी. लेकिन उसमें पास नहीं हो सका। तब मुझे लगा कि मेरे लिए दरवाजे बंद हो चुके हैं। लेकिन तभी मुझे वर्ल्ड की टॉप बिजनेस स्कूल एनसीआर्ड के बारे में पता चला। उसमें मैंने पढ़ाई की और मैं फिर बाउंसबैक कर गया। अभी मैं एनसीआर्ड का दिल्ली चैप्टर हेड भी हूं। लेकिन जब मैं आइआइएम में नहीं जा पाया, तो मैं निराश-हताश नहीं हुआ, बल्कि मैंने परिस्थितियों को स्वीकार करते हुए अपनी स्किल को बढ़ाया।