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2021-03-08

baccho ki padhai ke tips | baccho ki padhai ke bare mein

 बच्चों की सफलता के उपाय या बच्चों की क्षमता

 

 बच्चों की सफलता और क्षमता को कैसे बढ़ाए?

        बच्चों की सफलता के लिए सिर्फ किताबी ज्ञान ही पर्याप्त नहीं होता। आपके बच्चे रचनात्मक और व्यावहारिक बनें, इसके लिए भी आपको कुछ तरीके अपनाने होंगे। किताबी ज्ञान देकर भले ही आप अपने बच्चे को प्रोफेशनल बना लें, मगर व्यवहारिक ज्ञान के बिना उनकी जानकारी अधूरी है। 21वीं सदी के बच्चे हैं, जहां हर कुछ फास्ट है। ऐसे में बच्चों की क्षमताओं को इस प्रकार बनाने की जरूरत है, ताकि उनका हर क्षेत्र में संतुलन रहे। अनुभव लर्निंग सेंटर की निदेशक डॉ. कहती हैं कि आज के बच्चे स्मार्ट और तेज हैं। उनका चीजों को ग्रहण करने की, उनकी तकनीकी गुणों का कोई मुकाबला नहीं है और यह बिल्कुल प्राकृतिक है। इसलिए माता-पिता और शिक्षक गणों को उन्हें इस तरीके से तैयार करना चाहिए कि आगे चलकर वे हर स्तर पर बेहतर साबित हों। खुद से आपको सवाल पूछना होगा कि आप अपने बच्चों को किस रूप में अच्छा देखना चाहती हैं। क्या जब वे डॉक्टर होंगे, तभी वह सबसे अच्छे होंगे या जब इंजीनियर होंगे तब? बच्चों का सामान्य होना अच्छा है या विजेता? इस तरह की कई चीजें हैं, जिनके बारे में आपको सोचना होगा कि आप अपने बच्चे को किस रूप में देखना चाहती हैं? अगर आप बच्चों को सबसे बेहतर बनाना चाहती हैं, तो हर चीज में उन्हें माहिर बनाने से पहले आपको उन्हें एक लीडर बनना होगा।

दूसरों की मदद के लिए प्रोत्साहन करना: 

 बच्चों को हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए प्रोत्साहित करें। चाहे वह बूढ़े हों, कमजोर हों, बच्चे हों, गरीब हों या भूखे। ये सब समाज के वे लोग हैं, जिन्हें लोगों की मदद की आवश्यकता होती है। इनकी मदद करने से बच्चों में लोगों के प्रति मदद की भावना पैदा होती है और इस काम से आप स्वयं भी जुड़ें।

सीखने की प्रवृत्तिः 

बच्चों को हमेशा नई-नई चीजें सीखने आदि के लिए प्रेरित करें। इसके लिए उन्हें मौका दें, ताकि वे खुद से समस्याओं को सुलझा सकें और छोटी-छोटी चीजों के लिए परेशान न हों। इससे बच्चों को भविष्य में बड़ी से बड़ी समस्याएं सुलझाने में परेशानी नहीं होगी। इसके लिए बच्चों को बनाए प्रश्नों के उत्तर नदें, बल्कि उन्हें खुद से प्रश्नों के उत्तर तलाश करने दें।

जवाबदेही होना: 

बच्चों को इस बात के लिए उनका समर्थन करें कि उन्होंने जो कहा है, जो लिखा है, जो कार्य किया है, उसके प्रति वह जवाबदेह रहें। और ऐसा करने के लिए उन्हें प्रेरित करें कि वह खुश रहें और माता-पिता तथा अध्यापकों से प्रशंसा प्राप्त करें।

 

मार्गदर्शक की भूमिका:

 बच्चों को मौका दें कि वह दूसरों की मदद कर सकें और दूसरों का मार्गदर्शन भी कर सकें। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह छोटा सा प्रयास है या बड़ा। इससे बच्चों में एक लीडर की तरह लोगों का मार्गदर्शन करना सीखेंगे। हम अक्सर यह सोचकर बच्चों को घर से बाहर नहीं निकलने देते कि उसकी पढ़ाई का नुकसान होगा। लेकिन आप अपनी इस धारणा को खत्म कर दें। उन्हें दुनिया से जुड़ने का मौका दें। अपने आसपास के लोगों से वह संपर्क स्थापित करें, इसके लिए उन्हें उत्साहित करें। बच्चों में दूसरों की संस्कृति, धर्म के प्रति आदर भाव रखने के गुण विकसित करें। इससे बच्चे बहुत कुछ सीखते हैं। अगर आप ऐसा करेंगी, तो निश्चित ही बच्चे 21वीं सदी में एक लीडरशिप की तरह व्यवहार करेंगे।