Company Secretary(C.S)
सरकार की ओर से पांच करोड़ से ऊपर के शेयर वाली कंपनियों के लिए फॉर्म 22 ए अनिवार्य किए जाने के बाद पिछले एक साल में कंपनी सेक्रेटरी (सीएस) की डिमांड में तेजी आई है। अपनी कानूनी और प्रशासनिक जिम्मेदारियों को संभालने के लिए आज हर कंपनी को एक पूर्णकालिक सीएस चाहिए, लेकिन इंडस्ट्री की जरूरत के मुताबिक इन कंपनियों को उतने प्रशिक्षित सीएस नहीं मिल पा रहे हैं, जितने की इनको आवश्यकता है। मार्केट में सीएस की आज कमोबेश वैसी ही डिमांड देखी जा रही है, जैसी जुलाई, 2016 में जीएसटी आने के बाद से सीए और एकाउंट्स के प्रोफेशनल्स की है। यही वजह है कि पिछले एक साल में इनके सैलरी पैकेज में भी काफी बढ़ोत्तरी हुई है।
- The Institute Of Company Secretary Of India द्वारा कुछ नये बदलाव किये गये है। जिससे यह कोर्स करना काफी आसान हो गया है।
क्या है नया नियम:
भारत सरकार के कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा नियम-कायदों को सख्ती से लागू करने के लिए पिछले साल फॉर्म आइएनसी-22 ए (एक्टिव) शुरू किया गया। इस नए नियम के तहत भारत में हर वह कंपनी, जो 5 करोड़ या इससे अधिक का बिजनेस कर रही है, उसे एक परमानेंट कंपनी सेक्रेटरी रखना जरूरी कर दिया गया है, ताकि वह ई-फाइलिंग की प्रक्रिया को निभा सके। चूंकि ये प्रोफेशनल इस काम के लिए कुशल माने जाते हैं, इसलिए बोर्ड, काउंसिल, एसोसिएशन, फेडरेशन, अथॉरिटी या फिर आयोग द्वारा संचालित संस्थाओं को आज एक कुशल कंपनी सेक्रेटरी की जरूरत पड़ रही है। यही वजह है कि आजकल एक ओर जहां कंपनी सेक्रेटरी की डिमांड बढ़ रही है, वहीं इस कोर्स को करने वालों की संख्या में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है।
सीएस की ज्यादा डिमांड:
द इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया (आइसीएसआइ) के अनुसार, देश में इस समय लगभग 50 हजार क्वालिफाइड सीएस हैं और तकरीबन 4 लाख छात्र विभिन्न स्तर पर इसकी पढ़ाई कर रहे हैं।
लेकिन इसके उलट जरूरतमंद कंपनियों की संख्या 89,623 के लगभग है, जहां अपने रूटीन के कामकाज के लिए उन्हें कंपनी सेक्रेटरी की आवश्यकता है। मार्केट में डिमांड और सप्लाई के इसी गैप के कारण पहले की तुलना में सीएस को अपनी सेवाओं के लिए आजकल काफी अच्छा भुगतान भी मिलने लगा है। कंपनी सेक्रेटरी के लिए आजकल सबसे अधिक जॉब के मौके बैंक, वित्तीय संस्थान, स्टॉक एक्सचेंज, कंपनी लॉ बोर्ड के अलावा निजी-सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में हैं। इसके अलावा, कंपनी सेक्रेटरी बतौर सलाहकार भी प्रैक्टिस कर सकते हैं।
सीएस के कार्यक्षेत्र:
निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में कंपनी सेक्रेटरी का पद बड़ा अहम होता है। आमतौर पर एक कंपनी सेक्रेटरी कंपनी की कानूनी और प्रशासनिक जिम्मेदारियों को संभालने का काम करते हैं। वे बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स और चेयरमैन के बीच की एक कड़ी होते हैं, जो उन्हें सभी जरूरी सूचना देने के अलावा उन्हें उनकी जिम्मेदारियों के बारे में ध्यान दिलाते हैं, ताकि कंपनी का कामकाज सुचारु रूप से चलता रहें और कंपनी आगे बढ़ सके। सीएस कंपनी के बोर्ड ऑफ गवर्नेस, शेयर धारकों, सरकार और अन्य एजेंसियों के बीच भी तालमेल बनाए रखने का काम करते हैं। इन प्रोफेशनल्स को कैपिटल मार्केट, कॉरपोरेट लॉ, सुरक्षा कानून और कॉरपोरेट गवर्नेस आदि की अच्छी जानकारी होती है, इसलिए कंपनी के कानूनी फैसलों में इनकी बड़ी भूमिका देखी जाती है। साथ ही कंपनी सेक्रेटरी मैनेजमेंट और फाइनेंस के मामले में भी काफी कुशल होते हैं। कुल मिलाकर, कंपनियों में इनका रोल कॉरपोरेट प्लानर या रणनीतिक मैनेजर के रूप में होता है। इतना ही नहीं, सीएस में सफलता के लिए व्यक्ति की कम्युनिकेशन स्किल भी बहुत अच्छी होनी चाहिए।
अब सीएस प्रोग्राम तीन साल का:
पहले की तुलना में सीएस प्रोग्राम करना अब बिल्कुल भी कठिन नहीं रहा। जहां पहले 5 प्रतिशत छात्र भी यह परीक्षा पास नहीं कर पाते थे, वे अब प्रोग्राम में हुए बदलाव के बाद फाइनल में फेल होने के बाद भी सर्टिफिकेट प्राप्त कर सकेंगे। बीते दिनों आइसीएसआइ द्वारा सीएस प्रोग्राम की अवधि भी 4 साल से घटाकर 3 साल कर कर दी गई है। यानी 3 साल में ही आप यह प्रोग्राम कर सकेंगे। इससे आपका पूरे एक साल का समय बचेगा। पहले यह कोर्स करने के लिए, इसकी तीन स्तरीय (फाउंडेशन, एग्जीक्यूटिव एवं प्रोफेशनल प्रोग्राम) परीक्षाओं को पास करने में 4 साल का समय लग जाता था, लेकिन फाउंडेशन एग्जाम की जगह अब कंपनी सेक्रेटरीज एग्जीक्यूटिव एंट्रेंस टेस्ट (सीएसईईटी) होगा। एक अप्रैल से लागू हो रही नई व्यवस्था के तहत यह टेस्ट पास करने वाले छात्रों को सेक्रेटेरियल एग्जीक्यूटिव का प्रमाणपत्र दिया जाएगा। दरअसल, अभी तक केवल सीएस प्रोफेशनल पास करने वालों को ही यह डिग्री दी जाती थी। किसी भी स्ट्रीम से 12वीं पास युवा आइसीएसआइ द्वारा संचालित इस कोर्स के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस कोर्स के लिए न्यूनतम उम्र 17 साल होनी चाहिए।
प्रवेश परीक्षा के लिये :
सीएस प्रोग्राम के लिए सीएसईईटी के रूप में होने वाली आगामी ऑनलाइन परीक्षा या आप Website को चेक करते रहे। इच्छुक अभ्यर्थी इस अधिक जानकारी के लिए वेबसाइट https://www.icsi.edu देखें।
टाइम गैप घटने से बढ़ेगी अपॉर्म्युनिटी
सीएस प्रोग्राम में बदलाव के बाद स्टूडेंट अब 12वीं का एग्जाम देने के तुरंत बाद ही यह एग्जाम दे सकते हैं। पहले इस एग्जाम के एलिजिबिलिटी 12वीं एग्जाम के 8 महीने बाद होती थी। इसलिए यह कोर्स करने में एक साल का समय एक्स्ट्रा लग जाता था। अब यह टाइम गैप घट जाने से आने वाले दिनों में इस क्षेत्र अपाच्युनिटी बहुत बढ़ जाएगी, क्योंकि जितने समय में आप ग्रेजुएशन करते हैं, उतने ही समय में आपके हाथ में एक प्रोफेशनल डिग्री होगी। फिलहाल, जिन स्टूडेंट की लॉ में रुचि है, बेहतर लॉजिकल एबिलिटी रखते हैं, उनके लिए यह लिए बहत अच्छा फील्ड है।।
स्टॉक ब्रोकिंग में आकर्षक विकल्प :
स्टॉक मार्केट या स्टॉक ब्रोकिंग का फील्ड इन दिनों एक आकर्षक करियर के रूप में उभरकर सामने आया है, जिसमें ये प्रोफेशनल्स अपने क्लाइंटस/कस्टमर के लिए स्टॉक मार्केट में स्टॉक की खरीद बिक्री करते हैं। अपने क्लाइंटस को स्टॉक, बॉन्ड,डेरिवेटिव्स आदि में निवेश के लिए परामर्श भी देते हैं। ऑल इंडिया सेंटर फॉर कैपिटल मार्केट स्टडीज,स्टॉक एक्सचेंज ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंशियल ऐंड इंवेस्टमेंट प्लानिंग की तरह ही इंस्टीट्यूट ऑफ कंपनी सेक्रेटरीज ऑफ इंडिया द्वारा भी आप स्टॉक ब्रोकिंग का कोर्स करके इस फील्ड में एंट्री कर सकते हैं। इसे करने के बाद युवा ब्रोकरेज फर्स, इंश्योरेंस कंपनीज, बैंक, इनवेस्टमेंट बैंक, पेंशन फंड या किसी फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट में अपने लिए जॉब तलाश सकते हैं।