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2022-03-23

स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करने के फायदे इन हिंदी | स्ट्रेचिंग व्यायाम के लाभ

Stretching Exercises Ke Benefits Ke Labh V Fayde Ke Bare Me Ya Stretching Exercises Kaise Karen


जरूरी है वर्कआउट के बाद प्रॉपर स्ट्रेचिंग...


अक्सर लोग थका देने वाली वर्कआउट के बाद स्ट्रेचिंग करने की अहमियत को नजरअंदाज कर देते हैं, जबकि इसके जरिए थकी हुई मसल्स की फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ाने के अलावा मसल टशन कम करने जैसे कई बड़े फायदे मिलते हैं. स्ट्रेचिंग करना भी उतना ही जरूरी है जितना स्ट्रेंथ या कार्डियोवस्कुलर ट्रेनिंग करना. जानें इसके कुछ और फायदे.............

नर्वस सिस्टम हो जाएगा शांत


हेवी वर्कआउट के बाद स्ट्रेचिंग करने से नर्वस सिस्टम रिलैक्स महसूस करता है, इसलिए इसे अपने डेली रूटीन में जरूर शामिल करना चाहिए. आप अपने नर्वस सिस्टम को शांत करने और आराम दिलाने के लिए वर्कआउट के बाद 10-15 सेकेंड की अलग-अलग तरह की स्ट्रेचिंग कर सकते हैं. इससे बॉडी में ब्लड क्लॉट्स भी नहीं पड़ेंगे. आपको अच्छा और रिलैक्स फील होगा. कई बार हेवी वर्कआउट के बाद बॉडी में कंपन महसूस होता है. स्ट्रेचिंग इस प्रॉब्लम को दूर करने में भी मददगार है.


बेहतर होती है फ्लेक्सिबिलिटी



वर्कआउट के बाद बॉडी गर्म होती है और आप आसानी से स्ट्रेच कर सकते हैं. स्ट्रेचिंग से मसल्स रिलैक्स होती हैं और बॉडी की फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ती है, क्योंकि बॉडी को जितना स्ट्रेच किया जाता है उसका लचीलापन उतना ही बढ़ता है. यह बॉडी पॉश्चर सही करने में भी मददगार है.



काफी कम हो जाता है स्ट्रेस



टफ वर्कआउट के बाद होने वाली थकान के बाद कुछ करने का मन नहीं करता, लेकिन आपको स्ट्रेचिंग स्किप नहीं करनी चाहिए. यह आपकी वर्कआउट रूटीन का एक जरूरी हिस्सा होता है. एक्सरसाइज के बाद स्ट्रेचिंग करने से स्ट्रेस को भी कम किया जा सकता है. स्ट्रेचिंग से टाइट मसल्स लूज हो जाती हैं, जिससे बॉडी में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है. इससे एंडोर्फिन हार्मोन्स रिलीज होते हैं, जिससे आपको खुशी और शांति मिलती है. यह आपके मूड को बेहतर है बनाने में भी मदद करता है.

रिलैक्स हो जाती हैं मसल्स



हेवी वर्कआउट के बाद हम काफी थक जाते हैं. ऐसे में, अगर इसके बादबॉडी को अच्छे से स्ट्रेच कर लिया जाए, तो इससे मसल्स रिलैक्स हो जाती हैं. स्ट्रेचिंग करने से मसल्स को आराम मिलता है और उनमें दर्द की शिकायत नहीं होती है. अगर आप वर्कआउट के बाद स्ट्रेचिंग नहीं करते हैं, तो आपको मसल्स में दर्द की शिकायत हो सकती है. यह मसल्स की अकड़न को दूर करता है और बॉडी को आराम देता है. जब आप वर्कआउट के बाद स्ट्रेचिंग नहीं करते, तो मसल्स रिलैक्स नहीं हो पाती हैं, जिससे कई हिस्सों में दर्द होने लगता है. इनमें पीठ का दर्द सबसे कॉमन है,

स्ट्रेचिंग करने के सिंपल टिप्स


● हाथों को स्ट्रेच करने के लिए दोनों हाथों को सिर के ऊपर उठाएं, दोनों हाथों को जोड़कर और एड़ी उठाकर तेजी से स्ट्रेच करें. इसे आप 5 से 7 बार कर सकते हैं. इससे हाथों की मसल्स रिलैक्स हो जाती हैं.

● पीठ को स्ट्रेच करने के लिए पहले खड़े हो जाएं. अब हल्का सा पीछे की तरफ झुकें. अपने हाथों को लोअर बैक पर रखें और मसल्स को स्ट्रेच करें. इससे आपको पीठ के दर्द में आराम मिलेगा.

● कमर को स्ट्रेच करने के लिए पैरों को कंधों के बराबर चौड़ाई में खोल लें. अपने दोनों घुटनों को हल्का सा मोड़ें. अब आगे की तरफ झुकें और दोनों हाथों को घुटनों पर रखें. मसल्स को स्ट्रेच करने की कोशिश करें.

2022-03-15

नकारात्मक और सकारात्मक भावना इन हिंदी | bhavnaye kya hoti hai

नकारात्मक और सकारात्मक भावनाएं क्या होती है?

भावनाए क्या होती है?

  भावनाओ के कई रंग हैं। कभी ये हमें मजबूत बनाती है, तो कभी हमारी सबसे बड़ी कमजोरी बन जाती है और जब हम भावनात्मक रूप से कमजोर होते हैं, तो जिंदगी की लड़ाई में पीछे छूटते जाते है।


    भावनाओं के दो पहलू होते हैं। एक तरफ जहां भावनाएं हमें मजबूत बनाती हैं, तो दूसरी तरफ येहमारी सबसे बड़ी कमजोरी भी बन जाती हैं। भावनाएं सकारात्मक भी होती हैं और नकारात्मक भी। सकारात्मक भावनाएं प्रेम, लगाव एवं दया से जुड़ी होती हैं, जबकि नकारात्मक भावनाएं लालच, गुस्सा, हिंसा एवं स्वार्थ के कारण विकसित होती हैं। नकारात्मक भावनाएं व्यक्ति के शारीरिक एवं मानसिक व्यक्तित्व को नुकसान पहुंचाती हैं।

    उन्हें क्षतिग्रस्त कर देती हैं। ये हमें स्वार्थी, आत्म-केन्द्रित, अपने तक सीमित रहने वाला बना देती हैं। इससे तनाव का स्तर भी बढ़ने लगता है। ऐसे लोग ज्यादा नकारात्मक सोचते हैं, जिसके कारण उनके जीवन में कोई सकारात्मकता नहीं रह जाती है।

    नकारात्मक सोच वाले व्यक्ति आमतौर पर स्वभाव से ईर्ष्यालू होते हैं। वे हमेशा बदला लेने की भावना से पीड़ित रहते हैं। धीरे-धीरे विकृत मानसिकता वाले बन जाते हैं। उनके पास किसी व्यक्ति या स्थिति के लिए अच्छे शब्द नहीं होते हैं। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि आप अपने अन्दर सकारात्मक भावनाओं को बढ़ावा दें और नकारात्मक भावनाओं से उभरने या बाहर आने की कोशिश करें।



एक नजर इधर भी


  • 20 में से प्रत्येक एक व्यक्ति निराशा और तनाव से घिरे होते हैं।
  • इसकी मुख्य बजह है, उनका नकारात्मक सोच से घिरे होना।
  • नकारात्मक भावनाएं ऐसी संवेदनाएं होती हैं,जो व्यक्ति को बेचारा एवं दुखी बना देती हैं। व्यक्ति खुद के साथ-साथ दूसरों को भी नापसंद करने लगता है।



उत्साह में कमी


भावनाएं व्यक्ति के स्वभाव, व्यक्तित्व, विचार आदि पर निर्भर करती हैं।नकारात्मक भावनाएं ऐसी संवेदनाएं होती हैं, जो व्यक्ति को बेचारा एवं दुखी बना देती हैं। नकारात्मक भावनाओं से पीड़ित व्यक्ति खुद के साथ-साथ दूसरों को नापसंद करने लगता है। इससे व्यक्ति का विश्वास डगमगाने लगता है।

नकारात्मक भावनाओं वाले व्यक्ति का जीवन के प्रति उत्साह कम हो जाता है। यह इस पर ज्यादा निर्भर करता है कि हम इन नकारात्मक भावनाओं से कितने समय तक प्रभावित रहे। हमनें इन्हें किस प्रकार व्यक्त किया।


नकारात्मकता में सकारात्मकता ढूंढे


भावनात्मक संतुलन के लिए किसी भी स्थिति में तुरन्त प्रतिक्रिया नहीं करनी चाहिए। पहले सोचें, विचार करें, सही कारण जानने की कोशिश करें, स्थिति का आकलन करें, उसके बाद अपनी राय दें। फिर कार्यवाही करें। भावुक न हों। भावुक होकर कोई कार्य न करें। नकारात्मक एवं विषम परिस्थितियों में भी सकारात्मक चीजें करने की कोशिश करनी चाहिए। हमेशा सकारात्मक बातें एवं कार्य करने चाहिए। सकारात्मक संतुलन आनुवांशिक एवं परिस्थिति जन्य भी होता है। यह आपके समूह एवं आपके मित्र, परिवार जिनके साथ अधिकतर समय व्यतीत करते हैं या रहते हैं, पर भी निर्भर करता है।


सेहत पर असर


नकारात्मक सोच वाले व्यक्तियों को अक्सर दूसरों से शिकायत रहती है। वे हमेशा दूसरों में दोष निकालते हैं। बुराई करते हैं। ऐसे लोगों के साथ यदि आप रहेंगे, तो आपकी सोच भी नकारात्मक हो जाएगी। कोशिश करें सकारात्मक लोगों के साथ रहने की। भावनात्मक संतुलन बनाए रखने के लिए चीजों को बिना तोड़े-मरोड़े स्वीकार करना सीखें। उसके प्रभाव में न आएं। भावनात्मक संतुलन व्यक्ति की अपनी सेहत एवं भलाई के लिए जरूरी है। प्रार्थना, संध्या, ध्यान, ईश्वर में विश्वास और दयालु हृदय व्यक्ति को सकारात्मक बनाने में मदद करते हैं।


संतुलन बनाएं


भावनात्मक असंतुलन होने की दशा में कई तरह की समस्याएं देखी जा सकती हैं जैसे मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन, त्वचा में झनझनाहट, तनाव बढ़ना आदि। भावनात्मक संतुलन बनाए रखने के लिए हंसने के साथ-साथ कभी-कभी रोना भी जरूरी है। कई  शोध यह साबित कर चुके हैं कि रोना हमारी मानसिक सेहत के लिए काफी फायदेमंद है।  रोने से भावनात्मक संतुलन बरकरार रहता है। हंसना-रोना एक स्वाभाविक क्रिया है। रोने से तनाव दूर होता है। तनाव के कारण शरीर में जमा टॉक्सिन रोने के बाद खुद-ब-खुद धुल जाता है।


2020-06-05

Ankurit (sprout) Mung Dal Khane Ke Fayde Kya-Kya Hai, Gun, Labh, Benefits Ke Bare Me Janakri Hindi Mein

Mung Dal Khane Ke Fayde Hindi Mein


    मूग की दाल को उतना ही महत्व दिया जाना चाहिए जितना बाजार में बिकने वाले बायोएक्टिव फूड कंपाउंड को दिया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि दालों में मौजूद बायोएक्टिव कंपाउंड में न केवल बिगड़े हुए स्वास्थ को सुधारने की क्षमता होती है, बल्कि कई असाध्य बीमारियों को ठीक करने की भी योग्यता होती है। 

बीजिंग विश्वविद्यालय, चीन द्वारा हाल ही में किए गए शोध-अध्ययनों से यह पता चला है कि मूंग दाल में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और बायोएक्टिव कंपाउंड्स न केवल शरीर की स्वास्थगत आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं, बल्कि डिजनरेटिव डिजीजेज के खिलाफ एक डिफेंस मैकेनिज्म भी प्रस्तुत करते हैं। ।

महामारी को लेकर हुए एक शोध-अध्ययन में पाया गया है कि दालों में जहां एंटीऑक्सीडेंटस भरपूर मात्रा में होते हैं वहीं उन्हें अपने भोजन में शामिल करने से उम्र बढ़ने के साथ होने वाली शरीर में मौजूद कोशिकाओं के क्षतिग्रस्त होने की गति भी मंद पड़ जाती है। इसी तरह सीवीडी, कैंसर, अर्थराइटिस और अल्जाइमर्स डिजीज होने के अवसर भी कम हो जाते हैं। अंकुरित मूंग में फ्री एमिनो एसिड और एंटीऑक्सीडेंट्स सामान्य मूंग की अपेक्षा 6 गुना अधिक मात्रा में पाए जाते हैं।

 

भारत की देन है 

 

मूंग दुनिया को भारत की देन है मूंग । मिस्र के पिरामिडों में दफन ममियों के साथ रखे गए पात्रों में तिल के बीजों के साथ मूंग दाल भी पाई गई है। यहां पैदा होकर मूंगदाल चीन और मध्य' एशिया के रास्ते यूरोप और दुनिया के अन्य देशों में इस्तेमाल की जाती है।' इसके एक कप यांनी लगभग 200 ग्राम बीजों से 212 कैलोरी मिलती है जिसमें फैट, प्रोटीन, कार्बोहाईड्रेट्स, फाइबर, फोलेट, मैंगनीज, विटामिन बी-1,मैग्नेशियम, फॉस्फोरस, आयरन, कॉपर, पोटेशियम, जिंक तथा विटामिन बी-2, बी-3, बी-5,बी-6 और सेलेनियम भी शामिल है।


 

मिलते हैं खास एमिनो एसिड:

मूंग की दाल में वे आवश्यक एमिनो एसिड्स भी होते हैं जिन्हें हमारा शरीर पैदा नहीं कर पाता है, लेकिन उनकी जरूरत बनी रहती है। मूंग की दाल अथवा अंकुरित मूंग से इन एमिनो एसिड की पूर्ति होती है। इसी तरह पौधों से प्राप्त होने वाले प्रोटीन में से मूंग दाल की प्रोटीन को श्रेष्ठ माना गया है। इसमें फेनिलएलनिन, ल्यूसीन, आइसोल्यूसीन, वेलीन, लाइसिन, अर्जनाइन जैसे कई महत्वपूर्ण एमिनो एसिड पाए जाते हैं।

 

बेहद सक्षम है मूंग की दाल:

टेस्ट ट्यूब में हुए शोध-अध्ययन के मुताबिक मूंग में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स फेफड़ों और पेट में कैंसर के सेल्स द्वारा पहुंचाई जा रही क्षति को खत्म करने में समर्थ हैं।

विटेक्सीन और आइसोविटेक्सीन नामक एंटीऑक्सीडेंट्स हीट स्ट्रोक (लू लगना) की आशंका को कम करते हैं। हमारे देश सहित कई एशियाई देशों में गर्मियों के मौसम में मूंग का सूप पीने का चलन है। 

खराब कोलेस्ट्रोल को कम कर देने की क्षमता होने के कारण मूंग दाल का सेवन करने वालों को हार्ट डिजीज का जोखिम कम हो जाता है। मूंग दाल पर हुए 26 अलग अलग शोध अध्ययनों के बाद यह नतीजा निकला है कि खराब कोलेस्ट्रोल को घटाया जा सकता है।

पोटेशियम, मैग्नेशियम और फाइबर से भरपूर होने के कारण मूंग के बीज ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित कर सकते हैं। सारी दुनिया में हाई ब्लड प्रेशर को दिल की बीमारियों से होने वाली मौतों में प्रमुख कारण माना जाता है। 200 ग्राम मूंग की दाल में 15.4 ग्राम फाइबर होता है, जो डाइजेस्टिव सिस्टम को दुरुस्त करने में समर्थ है। इसके अलावा मूंग दाल में पेक्टिन नामक एक घुलनशील फाइबर होता है, जो भोजन को आंतों में आगे बढ़ाने में सहायक होता है। रेजिस्टेंट स्टार्च होने की वजह से आंतों में भोजन की गति बढ़ जाती है, जो कब्ज नहीं होने देती। आंतों में मौजूद हेल्दी बैक्टेरिया को रेजिस्टेंट स्टार्च से पोषक तत्व ग्रहण करने में आसानी हो जाती है।

मूंग दाल में मौजूद कार्बोहाइड्रेट्स को आसानी से हजम किया जा सकता है, जबकि दूसरी दालों को हजम करने में दिक्कत होती है।डायबिटीज को कई रोगों की जड़ माना जाता है। मूंग के बीजों मैं ऐसी कई खूबियां होती हैं जिनसे ब्लड शुगर लेवल घटाया जा सकता है। इसी के साथ ली जा रही इंसुलिन को भी और अधिक प्रभावशाली बनाया जा सकता है।

वजन घटाने के प्रयास में मूंग की दाल अथवा अंकुरित मूंग पर निर्भर रहा जा सकता है। फाइबर और प्रोटीन भूख बढ़ाने वाले हार्मोन को दबाने में समर्थ होते हैं। यदि भूख को दबा सकें तो कैलोरी भी कम से कम अंदर जाएगी। कम कैलोरीज का मतलब है वजन संतुलित रहना।

2018-11-09

Nuts नट्स खाने के फायदे- नट्स के फायदे, लाभ, benefits इन हिंदी


Mutthi Bhar Nuts Se Health Kaise Banaye


20 Gram(Karib Mutthi Bhar) Nuts Khane Se Hearts Sambandhit Disease, Cancer, Madhumeh Aadi Ka Danger Apse Koso Dur Rah Sakata Hain.

158 Migra Mangniciam 100 Gram Akharot Me Paya Jata Hain Aur Protein Ki Matra Karib 15 Gram Hoti Hain.

Ek Shodh Ke According Yah Bat Samne Aayi Hain Ki Jo Log Rojana Karib 20 Gram Nuts Ka Sewan Karate Hain, Unhe Heart Disease, Cancer Aur Any Diseases Ke Hone Ka Khatara Kam Rahata Hain. Yadi Aap Everyday 20 Gram Yani Mutthi Bhar Nuts Khate Hain, To Heart Disease Rog Hone Ka Khatara Lagbhag 40 Fisadi, Cancer 15 Fisadi Aur Time Se Pahale Dead Ke Khatare Ko 22 Fisadi Tak Kam Kar Sakata Hain. Isase Breath Sambandhit Disease Ke Reason Hone Vali Maut Ka Khatara Bhi Adha Rah Jata Hain. Jinhe Diebities Ki Problem Hain, Unhe Bhi Nuts Ke Sewan Se 40 Fisadi Tak Labh Milta Hain. Yah Shod Imperial College Of London And The Norgava University Of Science And Technology Ke Shodharthiyo Dwara Kiya Gaya Tha. boffin( Shodharthiyo) Ke Is Group Ne Duniya Bhar Se Published 29 Research Ka Analysis Kiya, Jisame Eight Lakh Se Bhi Adhik Pratibhagiyo Ko Shamil Kiya Gaya Tha. Iname Heart Disease Se Patients 12 Thousands Se Bhi Adhik Person The, Nine Thousands Stroke Ke Mamale, 18 Thousands Heart Disease Aur Cancer Se Pidhit Logo Ko Shamil Kiya Gaya Tha. Boffin Ne Paya Ki Isame Adhikatar Log  Me In Khatnak Diseases Ke Hone Ka Khatara Nuts Ka Sewan N Karane Ke Reason Bhi Tha. Nuts Jaise-Akharot, Badam Aur Mungfali Aadi Me Fiber, Mangniciam Aur Poliunsaitureted Fat High Matra Me Maujud Hota Hain. Isame Maujud Nutrition Elements Heart Disease Ke Khatare Ko Kam Karane Aur Chlostrale Ka Level Barkarar Rakhane Ke Liye Bahut  Faydemand Hote Hain. Bishesh Rup Se Akharot, Kyuki Isame Antioxidants Adhik Hota Hain, Jo Oxidative Stress Aur Sambhavat Cancer Ke Khatare Ko Kam Karane Me Help Hote Hain. Nuts  Me Fiber Aur Protein Ki Bharpur Matra Me Hote Hain. Inka Consumption(Sewan) Karane Se Fat Aadi Ka Khatara Kam Rahata Hain. Sardi Ho Ya Garmi Cashew(Kaju) Badam, Akharot Aur Kismish Jaise Dry Foods Health Ke Liye Bahut Faydemand Hote Hain. 20 Gram Nuts Khane Se 20 Fisadi Coronary Heart Disease Ki Kam Kiya Ja Sakata Hain.


2017-04-28

green coffee benefits in hindi | green coffee ke fayde | green coffee extract in hindi | ग्रीन कॉफी से होने वाले फायदे | ग्रीन कॉफी का लाभ

green coffee health benefits in hindi

ग्रीन कॉफी पीने के फायदे या ग्रीन कॉफी फायदे (लाभ) की जानकारी? 

ग्रीन टी तो आपने खूब पी ली। अब ग्रीन कॉफी पीकर देखें। वजन कम  करने के साथ- सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद है। ग्रीन कॉफी के फायदे जाने न्‍यट्रिशनिस्‍ट से...........

1. ग्रीन कॉफी बीन्‍स एंटीऑक्‍सीडेंट्स से भरपूर होती है। यह शरीर में फ्री रैडिकल्‍स के नुकसानदायक प्रभावों को कम कर पूरे सेहत की देखभाल करता है।


2
. ग्रीन कॉफी मेटाबॉलिज्‍म को बूस्‍ट करता है। यह फैट बर्निग की क्षमता को भी बढाया हैजिससे अतिरिक्‍त वजन को कम करने में मदद मिलती है।

 

 

3. इसमें मौजूद विटामिन्‍स और मिनरल्‍स शरीर में न्‍यूट्रिएंट्स के स्‍तर को बनाए रखते है। यह अनचाही वसा और कैलोरीज को तेजी से बर्न करता है।


4
. आपको जल्‍दी-जल्‍दी भूख लगती हैतो इससे खाने की क्रेविंग्‍स कम होती है। यह शरीर में जमा हुए वसा को जलाता हैजिससे वजन काबू में रहता है।


5
. एक शोधों के मुताबिकग्रीन कॉफी सुबह एक कप खाली पेट पिएंतो वजन कम हो सकता है। इसे बिना किसी डायट चार्ट के फॉलो कर सकते है।


6
. ग्रीनकॉफी में मौजूद क्‍लोरोजेनिक एसिड आहार नली में शुगर की मात्रा को कम करता हैजिससे शरीर से फैट खत्‍म होने की प्रक्रिया तेज हो जाती है।


7
. वजन कम करने में मददगार है ग्रीन कॉफी। एक कप ग्रीन पीने से मूड अच्‍छा होता है। दिमाग  को तेज और सक्रिय करने के साथ ही यह गतिविधियोंप्रतिक्रियाओंयाददाश्‍त और सतर्कता को तेज करने में सहायक है।


8
. यदि आप जवां दिखना चाहते हैतो ग्रीन कॉफी इस मामले में काफी मददगार हो सकता है। ये उम्र बढाने की प्रक्रिया को धीमा कर देता है।


9
. यह कॉफी बीन्‍स अनप्रॉसेस्‍ड होती हैइसलिए इसमें सामान्‍य कॉफी की तुलना में कैफीनकम होता है। अधिक कैफीन सेहत के लिए ठीक नही होता।

 


10
. शोध से पता चला है कि ये कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों को भी रोकने में कारगर है। दरअसलये कैंसर के सेल्‍स को बनने से रोकता है।


11
. उच्‍च रक्‍तचाप से स्‍ट्रोक , हार्ट अटैकक्रोनिकरेनल फेलियर होने का खतरा रहता है।

12. इसमें शक्तिशाली  एसपिरिन की तरह मौजूद तत्‍व प्‍लेटलेट्स को एक साथ एकत्रित होने से रोककर ब्‍लड वेसल्‍स पर सकारात्‍मक असर करते है। इससे धमनियां सख्‍त नही होती। रक्‍त प्रवाह भी पहले से बेहतर होता है।


13
. यह टाइप 2 डाइबिटीज को नियंत्रितकर सकता है। इसका अर्क ब्‍लस्‍ट्रीम में शुगर की उच्‍च मात्रा को कम करने के लिए जाना जाता है।


14
. ग्रीन कॉफी इम्‍यून सिस्‍टम को दुरूस्‍त करता है। चूंकि यह फ्री-रैडिकल बस्‍टर भी हैऐसे में ये शरीर से टॉनिक्‍स और नुकसानदायक तत्‍व को हटाता है।

 

15. यह बैड कोलेस्‍ट्रॉल के स्‍तर को कम करता है। बैड कोलेस्‍ट्रॉल कार्डियो वैस्‍कुलर डिसऑर्डर जैसे कार्डिएक अरेस्‍ट के खतरे को बढाता है।  

 

2017-01-23

Dudh Aur Dahi Khane Ke Kya Fayde Hain | Dudh Dahi Khane Ke Fayde Hote Hain

दूध और दही के फायदे या दूध दही खाने से क्या फायदा


    कैल्शियम और प्रोटीन का बेहतर स्‍त्रोत है दूध और दही। दोनों में फैट भी समान मात्रा में मौजूद होता है, लेकिन फायदों की बात करें, तो दूध से अधिक फायदेमंद दही है। न्‍यूट्रिशनिस्‍ट कविता देवगन कहती है कि कई लोग दूध और दूध से बने खाद्य पदार्थो को लैक्‍टोज इन्‍टॉलरेंस के कारण जल्‍दी नही पचा पाते। ऐसे लोगो को दही का सेवन करना चाहिए, ताकि शरीर में कैल्शियम की कमी न हो।

    जिन्‍हे लैक्‍टोज इन्‍टॉलरेंस की समस्‍या नही, वे दूध एवं दही दोनों का सेवन करें। कई बार लैक्‍टोज इन्‍टॉलरेंस होने पर ज्‍यादातर लोग दोनों का सेवन बंद कर देते है। ऐसा करना ठीक नही है। पहले दही एक बार जरूर खाकर देखें। यदि दही आसानी से पच जाता है, तो प्रतिदिन इसका सेवन करें। बुजुर्गो के लिए भी दूध से ज्‍यादा दही को पचाना आसान होता है। हालांकि किसी भी चीज को पचाना आपकी पाचनशक्ति पर निर्भर करता है। बच्‍चों को प्रतिदिन दूध एवं दही जरूर देना चाहिए। दो गिलास दूध पीने से उनके शरीर में कैल्शियम की कमी नही होगी। दही इसलिए जरूरी है, क्‍योकि इससे उनकी पाचनशक्ति दुरूस्‍त रहेगी। पेट ठीक रहेगा।

    जिन्‍हे दही रात में सूट नही करता, वे न खाएं। एक गिलास दूध (लगभग 250 एमएल) में 305 मिलीग्राम कैल्शियम और एक कटोरी दही (लगभग 170ग्राम) में 180 मीलीग्राम कैल्शियम की मात्रा होती है। बच्‍चों को दोनों मिलाकर प्रतिदिन तीन सर्विग्‍स दूध-दही पर्याप्‍त है। दही,दूध के मूकाबले फायदेमंद इसलिए भी होता है, क्‍योकि इसमें मौजूद गुड बैक्‍टीरिया पेट के लिए अच्‍छा होता है। शरीर में मौजूद दूषित तत्‍वों को भी दही खत्‍म करता है।   इससे डायरिया और आंत से संबंधित बीमारियां कम होती है। महिलाओं को दही का सेवन अवश्‍य करना चाहिए। इससे हडि्डयां मजबूत होती है। दही से परहेज उन्‍हें आर्थराइटिस, अस्‍थमा, कब्‍ज आदि की समस्‍या होती है।

    कई लोग छाछ में कैलोरी का फर्क होता है। वे लोग जो कम कैलोरी लेते है, वे दही के विकल्‍प के रूप में छाछ पी सकते है। आंत में 400 प्रकार के जीवाणु मौजूद होते है, जिसमें कुछ अच्‍छे, तो कुछ हानिकारक होते है। जब हानिकारक जीवाणुओं की संख्‍या अच्‍छे जीवाणुओं से ज्‍यादा हो जाती है, तो पाचन क्रिया धीमी होने लगती है। ऐसे में दही से मिलने वाले प्रोबायोटिक्‍स आपकी मदद कर सकते है।
 

2016-10-16

pani pine ke fayde in hindi | pani peene ke fayde | pani peene se fayde | pani peene ke fayde bataye

पानी पीने के 10 फायदे या Pani Pine Ke Fayde In Hindi

सुबह चाय परते है, तो पहले पानी पीकर देखें। कई शारीरिक समस्‍याओं से छुटकारा मिलेगा। डाइटिशियन बता रही है पानी के 15 फायदे।

01 सुबह खाली पेट पानी पीने से शरीर में जमा विषैले पदार्थ बाहर निकलते है। विषैले पदार्थ के बाहर   आने से आप कई गंभीर बीमारियों से बचे रह सकते है।

02 शरीर के मेटाबॉलिज्‍म को मजबूत बनाना चाहते है, तो सुबह खाली पेट पानी जरूर पिएं। मेटाबॉलिज्‍म सिस्‍टम मजबूत होने से शरीर रोगमुक्‍त रहता है।

03 इससे खून साफ होता है। त्‍वचा में चमक आती है। पानी खून में मौजूद अनावश्‍यक तत्‍वों को बाहर निकालता है, जिससे त्‍वचा चमकदार बनती है।

04 सुबह खाली पेट पानी पीने से रातभर में जितनी नमी हमारे शरीर से कम हुई है, उसकी पूर्ति हो जाती है और ताजगी मिलती है।

05 कब्‍ज कई बीमारियों का कारण बनता है। सुबह पानी पिएं। कब्‍ज दूर होगा, पेट साफ रहेगा। इससे शरीर पोषक तत्‍वों को आसानी से ग्रहण करेगा।

06 मासिक धर्म की अनियमितता है, तो खाली पेट पानी पीने से पीरियड्स नियमित रूप से होता है। साथ ही गुर्दे, मूत्र संबंधी समस्‍याएं भी दूर होती है।

07 शरीर में 70 प्रतिशत पानी मौजूद होता है।

ज्‍यादातर लोगों को सुबह उठनें के बाद जी मिचलाना, गैस बनना, सीने में जलन की समस्‍या होती है। यदि प्रतिदिन खाली पेट पानी पिंए, तो इन समस्‍याओं से बचा जा सकता है।

08 सुबह पानी पीने से तनाव नही होता। मानसिक समस्‍याएं दूर होती है। दिमाग को ऑक्‍सीजन प्राप्‍त होता, जिससे दिमाग सक्रिय बना रहता है।

09 पानी पीने से शरीर की नमी बरकरार रहती है। शरीर को प्रचुर मात्रा में मिलने वाली नमी मूड को   तरोताजा रखती है। आलस और अनिद्रा भी दूर होती है।

10उच्‍च रक्‍तचाप में खाली पेट पानी पिएं। इससे ब्‍लड प्रेशर नियंत्रित रहता है। पानी अनावश्‍यक सोडियम की मात्रा को निकाल कर ब्‍लड प्रेशर नियंत्रित करता है।

11  नई कोशिकाओं के निर्माण और मांसपेशियों को मजबूत देने के लिए भी खाली पेट पानी पीना बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है।

12 यदि आप मोटे है, तो सुबह ठंडा पानी पिएं। इससे शरीर का मेटाबॉलिज्‍म 24 प्रतिशत तक अधिक बढ जाता है और आप जल्‍द बजन कम कर सकते है।

13 सुब‍ह-सुबह खाली पेट दो से तीन गिलास पानी पीने से पेट तो साफ रहता ही है, साथ ही इससे भूख बढती है। भरपूर नाश्‍ता करने की इच्‍छा उत्‍पन्‍न होती है।

14 जोडो में दर्द, मांसपेशियो में ऐठन व खिचाव होता है यदि शरीर डिहाइड्रेटेड रहे। पानी पीने से शरीर हाइड्रेटेड रहता है, जो इन परेशानियों को दूर करता है।

15 डिहाइड्रेशन का सबसे आम लक्षण है थकान। पानी आंखो व शरीर की थकान को पल में दूर कर देता है। कॉफी, चाय छोडकर अधिक पानी पिएं।