किसी के सामने हमें अपनी बात इस तरह से रखनी चाहिए कि सामने वाले पर उसका
बेहतर प्रभाव हो, इसलिए बोलते समय आत्मविश्वास रखें।
बोले ऐसे कि सुने दुनिया
आज कॉरपोरेट जगत पहचान वही बना पाता है, जिसमें बुलंदी के साथ अपनी उपस्थिति
दर्ज कराने की क्षमता हो। सिर्फ राजनितिक जीवन में ही नहीं, बल्कि पेशेवर जिंदगी में
भी अच्छा वक्ता होना आपकी तरक्की की बुनियाद बन सकता है। अगर आप लोगों के सामने
बोलने में झिझकत है, तो आपकी कामयाबी की रफ्तार धीमी होना तय है। दुनिया में ऐसे तमाम
लोग है, जो इस डर के शिकार है। लेकिन तरक्की की राह पर आगे बढने के लिए इस डर पर काबू
पाना बेहद जरूरी है। कॉरपोरेट हा, राजनीति हो, कॉलेज हो, सोसाइटी हो या फिर अन्य कोई
क्षेत्र, कुशल वक्ताओं की मांग हर जगह होती है। अमेरिका की चैपमैन यूनिवर्सिटी ने
एक सर्वे किया, जिसमें वालीस फीसदी लोगों ने माना कि उन्हें भीड के सामने बोलने से
डर लगता है।
कामयाबी के लिए आपके काम और इमेज के साथ चर्चा में रहना भी बेहद जरूरी है।जिसे
बोलने की कला आती है उसकी तरक्की को कोई रोक नहीं सकता।शीशे के सामने बोलने का अभ्यास
करें। अपनी बात को रिकॉर्ड कर उसे खुद सुने।
भीड के आगे बोलना सीखें
जिन लोगों को भीड के सामने बोलने में डर लगता है, उनके करियर की ग्रोथ कम
होती है। बहुत से ऐसे लोग है, जो ऑफिस में प्रजेंटेशन देने के नाम से ही डर जाते है।
ऐसे लोगों के हाथ से प्रमोशन के कई मौके फिसल जाते है। इसलिए लोगों के सामने अपनी बात
रखना सीखे।
सही ढंग से रखे बात
एक अच्छे वक्ता को हमेशा जिस विषय पर, जिस जगह पर और जिस समूह के सामने
स्पीच, देनी है, उसके ही मुताबिक खुद को तैयार करना चाहिए। इंटरनेट, अखबारों तथा लाइब्रेरी
का पूरा प्रयोग करें और अच्छी स्पीच तैयार करें। शीशे के सामने बोलने का अभ्यास
करें और हो सके तो अपनी स्पीच को रिकॉर्ड करके सुनें और गलतियों को सुधारें। अगर आपको
एक प्रभावी वक्ता बनना है तो बातों को अच्छे ढंग से कहने का प्रयास कीजिए। आप अपने
साथ कुछ नोट्स रख सकते है या पूरी स्पीच भी लिख कर ले जा सकते है, लेकिन ध्यान रहे
कि बगैर पढे दिए गए वक्तव्य का अलग ही असर होता है। एक अच्छा वक्ता बोलते समय हमेशा
सुनने वालों की आंखों में देखता है, ऐसा करना उसके आत्मविश्वास को दर्शाता है। किसी
समूह के सामने स्पीच देते वक्त हमेशा ध्यान रखों कि आप इधर-उधर देखने की बजाए श्रोताओं
को देखें और यह भी ध्यान दे कि आप एक ही तरफ या कुछ विशेष व्यक्तियों को ही न देख
रहे हों। अपने हाथों का भी बोलते वक्त पूरा प्रयोग करें। हाथों को बांधे नहीं, उन्हे
स्वाभाविक रूप से इधर उधर लहराने देना चाहिए।
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Thanks You Guys
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