चद्रभेदि प्राणायाम
मन की उत्तेजना करे शांतदाई
नासिका बंद कर लें। ठुड्ढी को सीने से सटाकर बाई नासिका से सांस
लेकर अंतरकुंभक लगाएं। कुछ पल बादए बाई नासिका को बंद कर दाई नासिका से सांस छोडें।
गर्मियों के दिनों में यह बहुत उपयोगी है। इससे थकान दूर होती है। मन की उत्तेजना
शांत होने के साथ-साथ पित्त के कारण होने वाली जलन, मुंह के छाले और खट्टी डकारें
भी दूर होगी। ठंड के दिनों में इस प्राणायाम का बहुत सीमित प्रयोग ही करना चाहिए। जिन
लोगों को दमा और ब्लड प्रेशर की शिकायत है, वे इस प्राणायाम का अभ्यास न करें।
मधुमेह मुद्रा
डाइबिटीज से बचे
रहने का कारगर इलाज
शारीरिक रूप से
सक्रिय न रहने, व्यायाम न करने आदि से मधुमेह होता है। इससे निजात पाने के लिए ‘मधुमेह
मुद्रा’ का अभ्यास करे। वज्रासन में या कुर्सी पर बैठें। दोनों हाथों के अंगूठों
को मुट्ठी बनाकर बंद करे। दोनो मुट्ठियों की हड्डियों के पिछले हिस्से को मिलाकर
पहले नाभि के ऊपरी हिस्से पर, फिर नीचे रखकर लम्बी गहरी सांस लें1 फिर सांस
छोडते हुए धीरे-धीरे आगे की ओर झुके। तीसरे चरण में बाई हथेली को नाभि पर रखे और
दांए हाथ को तिरछा करते हुए बाएं हाथ के ऊपर रखें। अंगूठे एक-दूसरे को क्रॉस करते
हुए हो। तीनों चरणों में 10-10 बार सांस छोडते हुए आगे की ओर झुके। इसे खाली पेट
ही करे।
अर्ध मत्स्येन्द्रासन
टाइप-2 डाइबिटीज में फायदेमंद
अर्ध मत्स्येन्द्रासन से पैक्रियाज, लिवर और आमाशय पर दबाब
पडता है, जिससे इंसुलिन बनना प्रारम्भ हो जाता है। इससे टाइप-2 मधुमेह ठीक होता है।
पित्त की थैली में पथरी नहीं बनती और सर्वाइकल मांसपेशियां मजबूत होती है। दाएं पैर
को मोडकर बाई जांघ के बीच से बाहर निकालें। दाएं पैर को बाएं घुटने के बाहर खडा करें।
दोनों हाथों की ग्रिप बनाकर सांस भरें। घुटने को पकडकर सीने से लगाएं। अब दायां हाथ
ऊपर से लाते हुए कोहनी से घुटने पर और दबाव बनाएं। हाथ से बांए पैर का पंजा पकडे, गर्दन
बाई ओर घुमाएं ताकि ठुड्डी कंधे से लगे। बायां हाथ कमर के पीछे ले जाएं। शरीर में तनाव
बना रहने दे। थोडी देर रूकें, फिर सांस छोडकर पैर सीधा कर लें।
उदान मुद्रा
थायरॉइड संबंधी सभी रोगों में लाभकारी
उदान मुद्रा से अग्नि, वायु, आकाश और पृथ्वी तत्वों का संयोग
होता है।यह थायरॉइड संबंधी सभी रोगों में लाभकारी है। इस मुद्रा के अभ्यास से मन-मस्तिष्क
दोनों प्रभावित होते है। इसके साथ ही इसे प्रतिदिन करने से बुद्धि का विकास होता है।
स्मरण-शक्ति और समझदारी बढती है। मन शांत रहता है। व्यक्ति मानसिक रूप से स्थिर हो
जाता है। थायरॉइड के रोगियों को इसके साथ उज्जायी प्राणायाम करने से बहुत लाभ होता
है। सबसे पहले अंगूठा, तर्जनी, मध्यमा और अनामिका उंगलियों के शीर्ष को एक साथ मिलाएं।
कनिष्ठा को सीधा रखें। इसे प्रतिदिन 45 मिनट अवश्य करें। शुरूआत में थोडा कम करें,
लेकिन कुछ दिनों के बाद आप समय बढा सकते है। लाभ अवश्य नजर आएगा।सुखासनमन को होता
है असीम शांति का अनुभवध्यान की सारी विधियां प्राय: सुखासन में ही सहजता से की जाती है, क्योकि सुखासन
में बैठते ही सुषुम्ना नाडी चलने लगती है। आराम की मुद्रा होने के कारण इस आसन में
काफी देर बैठना संभव है। इससे शरीर के भीतरी तथा बाहरी दोनों हिस्सों को बहुत कम थ्कान
महसूस होती है। नीचे के जोड मुलायम बनते है। जब कोई बात ध्यानपूर्वक सुननी हो, तो
सुखासन आजमाएं। इससे मन शांत रहेगा। बैठकर एक पैर को दूसरे के घुटने के नीचे और फिर
दूसरे पैर को पहले घुटने के नीचे रखें। रीढ सीधी रखें। अंगुठे को तर्जनी के शीर्ष से
मिलाकर ज्ञान मुद्रा लगाएं। आंखें बंद हो। पलकों में कोई हलचल न हो। दोनों भौहों के
बीच ध्यान केंद्रित करें।
शून्य मुद्रा
नहीं होगा कान में दर्द
कान के जो रोग आकाश मुद्रा से ठीक नहीं होते, उन सब में शून्य
मुद्रा लाभकारी है। खासकर कान दर्द, बहरापन, सनसनाहट आदि में यह मुद्रा बहुत कारगर
है। हवाई यात्रा के समय कानों पर बढे दबाव को नियंत्रित करने में जो काम इयर प्लग
करता है, वहीं काम शून्य मुद्रा करती है। अत्यधिक चंचल बचचे इस मुद्रा का अभ्यास
करें, तो उनकी चंचलता सामान्य स्तर पर आ जाती है। इससे उनकी एकाग्रता भी बढ सकती
है। इसे मुद्रा से मसूडों को मजबूती मिलती, पायरिया में लाभ मिलता है। आवाज साफ होती
है और थायरॉएड के रोग भी दूर होते है। मध्यमा को मोडकर अंगूठे की जड में लगाएं। उंगलियों
को सीधा रखें। रोजाना एक घंटा करें।
सुर्य मुद्रा
कोलेस्ट्रॉल और वजन रहे काबू में
सूर्य मुद्रा आंखो की रोशनी बढाती है। मोतियाबिंद ठीक करती है।
तीव्र सिरदर्द से इस मुद्रा में मुद्रा में तुरंत आराम मिलता है। इससे कोलेस्ट्रॉल
और वजन कम होता है। शरीर की चयापचय प्रक्रिया, मधुमेह और कब्ज ठीक रहता है। कफ, दमा,
सर्दी-जुकाम, न्यूमोनिया, टीबी, साइनस के रोगियों के लिए यह वरदान है। अनामिका के
शीर्ष को अंगूठे के आधार पर लगाएं और अंगूठे से अनामिका पर हल्का दबाव बनाएं। शेष
तीनों उंगलियां सीधी रखें। भोजन के पांच मिनट पहले और 15 मिनट बाद 15-15 मिनट के इसे
करें। उच्च रक्तचाप के रोगी यह मुद्रा कम समय के लिए करे। गर्मी में यह मुद्रा अधिक
देर नहीं करनी चाहिए।
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