Body Ki
Antrik Suraksha Tantra-Lymphatic Ke Bare Me
शरीर में सफाई और स्वच्ठता
के लिए एक लिम्फेटिक संस्थान होता है।
रक्त का तरल भाग, पोषक तत्वों
के साथ सूक्ष्मतम रक्त वाहिनियों से बाहर निकलता है और कोशिकाओं को पोषक तत्व तक
पहुचाकर वापस रक्त वाहिनियों में लौट जाता है।
इसमें 600 के लगभग क्षेत्रीय लिम्फनोड्स
के समूह होते है। जैसे बगल में, जांघ में, पेट में, सीने में, गर्दन में व
अन्यत्र, जो उस क्षेत्र से लाए गए साफलिड व लिक्विड वेस्ट का
निस्तारण करते है। इसमें लिम्फ छनता है और कचरे को छांटकर उनका उपयुक्त निस्तारण
किया जाता है।
शरीर के प्रवेश द्वार, नाक और मुंह के पीछे
पांच टॉन्सिल्स (लिम्फनोड्स) ेा एक पूरा चक्र होता है, जो आने
वाले विषैले पदार्थ व कीटाणुओं को रोककर, उनका विश्लेषण कर शरीर
को उनके बारे में सूचित करता है। आगाह करता है। उनसे बचाता है।
आंत की आंतरिक सतह पर भी ऐसे ही लिम्फेटिक सफाई चेक
पोस्ट होते है। प्रवेश द्वार पर नही, छोटी आंत के निकास
द्वार पर स्थित अपेंउिक्स भी यही कार्य करता है। अपेंउिक्स बेकार अंग नही है। यह
भी अहम सूचनांए इकट्ठी करता है।
लिम्फेटिक में कार्यरत लिम्फोसाइट्स की दो प्रमुख
श्रेणियां ‘बी लिम्फोसाइट्स’ और ‘टी लिम्फोसाइट्स’ होती है। अन्य रक्त कोशिकाओं की
तरह इनका उद्गम स्त्रोत भी बोन मैरो होती है। टी लिम्फोसाइट्स पिशिष्ट योग्यता
प्राप्त करने को ‘थाइमनस’ नामक संस्थान
में भेज दी जाती है और बी-लिम्फोसाइट्स स्प्लीन और लिम्फनोड्स में। यहां उन्हें
प्रशिक्षण देकर अलग-अलग सफाई कर्म की योग्यता दी जाती है।
स्प्लीन लिम्फेटिक की सबसे बडी केन्द्रीय इकाई होती
है।
शरीर के लिम्फ संस्थान में मृत कोशिकाओं, मृत रोगाणुओं आदि के निस्तारण के लिए अलग-अलग व्यवस्थाएं होती है।
लिम्फ शरीर की सफाई व धुलाई ही नही करता, वरन अंगों की सुरक्षा में भी अहम भूमिका निभाता है।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें
Thanks You Guys
Please Share This Link