speech therapy course ke bare me jankari, speech therapy 2 year old, speech therapy 3 year old
बच्चों के हकलाने या देर से बोलने की समस्या अब आम हो गई है। लेकिन इसके लिए घबराने की जरुरत नहीं है। स्पीच थेरैपी से आप अपने बच्चे के उच्चारण को ठीक कर सकती हैं।
जब कोई बच्चा अपनी उम्र के अनुरूप शब्दों का प्रयोग नहीं करता है, तो इसे उसकी कमी माना जाता है। ऐसे में उसके सहपाठी और दोस्त उसका मजाक उड़ाते
हैं। वास्तव में, इसके पीछे कोई विकार हो सकता
है। इसलिए सबसे पहले अपने बच्चे को बाल
मनोचिकित्सक को दिखाएं और सही कारण जानें।
फिर स्पीच थेरैपी के जरिए उसका सही उपचार
किया जा सकता है।
speech therapy kya hoti hai?
स्पीच
थेरैपी ऐसी उपचार पद्धति
है, जो बोलने और अन्य
लोगों से बातचीत में होने
वाली परेशानी का इलाज
करती है। इसमें बच्चे का
बोलने का तरीका सुधारने,
समझने की क्षमता बढ़ाने और भाषा में अभिव्यक्ति
की क्षमता बढ़ाने पर फोकस
किया जाता है। इस थेरैपी में
इशारों से बोली जाने वाली भाषा भी शामिल है।
स्पीच थेरैपिस्ट या स्पीच एंड लैंग्वेज पैथोलॉजिस्ट
(एसएलपी) वह प्रोफेशनल हैं, जो इस तरह की
सर्विस प्रदान करते हैं।
अधिकतर बच्चे 18 महीने तक 10 से 20
अर्थपूर्ण और कई शब्दो में प्रयोग होने वाले शब्द
बोलना सीख जाते हैं। जब वे 2 साल के होते हैं तो
50 या इससे ज्यादा शब्द बोलना सीखते हैं। इन 6
महीनों में उनकी डिक्शनरी में कई शब्द जुड़ जाते
हैं। यही बच्चों में बोलने की क्षमता विकसित करने
का सही समय होता है। दो वर्ष से ऊपर के बच्चे
शब्दों को आपस में जोड़कर वाक्य बनाना सीख
जाते हैं, जैसे पानी दो या कुत्ता भौंकता है आदि।
क्या होती है वजह?
बच्चों की भाषा सही समय पर विकसित न होने के कई
कारण हैं। कई बार दूध पिलाने के गलत तरीके से बच्चे
के कानों में इंफेक्शन हो जाता है। ऐसे में बच्चों के
कानों के इंफेक्शन को अच्छी तरह चेक करना चाहिए।
जिन बच्चों को किन्हीं कारणों से सुनने में तकलीफ
होती है, वे देर से बोलते हैं और शब्दों को जोड़ने या
भावों को जताने में उन्हें काफी मुश्किल होती है।शारीरिक रूप से दिव्यांग या ऐसे बच्चे, जो मस्तिष्क
पक्षाघात, अतिसक्रियता और ऑटिज्म के शिकार होते हैं,
उन्हें भी बोलने में तकलीफ हो सकती है। हालांकि
ऑटिज्म से पीड़ित कुछ बच्चे बोल लेते हैं, लेकिन
उनकी बातों का कोई अर्थ नहीं होता। वे न तो किसी से
बातचीत करने की शुरुआत कर सकते हैं और न ही
किसी की बातों का जवाब दे सकते है।
speech therapy kaise ki jati hai
कुछ तरीके
आप कई सामान्य तरीकों से अपने बच्चे की भाषा
का ज्ञान बढ़ा सकते हैं। उन्हें रोज कुछ न कुछ
पढ़कर सुनाएं। उनके साथ गेम खेलें, डांस करें
और साथ-साथ म्यूजिक सुनें। आपको यह भी
देखना होगा कि बच्चे की दिलचस्पी किसमें हैं।
धीरे-धीरे उसे उसकी रुचि के क्षेत्र में आगे बढाएं।
अगर आपके बच्चे को खाने में कोई चीज पसंद हो,
तो उसे वह चीज दिलाने के साथ यह भी बताएं कि
वह बीज बोने और मिट्टी की सिंचाई करने के बाद
कैसे पैदा होती है। उन्हें खाने की चीज का रंग भी
बताएं। बोलने से कहीं ज्यादा कोई चीज देखने से
याद होती है। जो दिखाएं उसका नाम बार-बार लें, ताकि दिमाग में उसकी तस्वीर बने।
आलोचना न करें
बच्चों के शब्दों को जोड़कर बोलने या उनके तरीकों
की आलोचना न करें। आपके टोकने का भविष्य में
उनके बोलने की क्षमता पर असर पड़ सकता है।
कभी-कभी कई कारणों से मन में छिपे डर, बेचैनी
या घबराहट से हकलाने की समस्या पैदा होती है।
इसका कारण उनका अपने पैट को खो देना या
अपने बेस्ट फ्रेंड से दूर चले जाना भी हो सकता है।
यह साबित हो चुका है कि स्क्रीन के सामने समय
बिताने वाले 3 वर्ष से कम उम्र के कुछ बच्चे देर से
बोलते हैं।
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