बीमारियों के घरेलू उपचार या बीमारियों से बचने के लिए उपाय
आज जिस प्रकार के वातवरण में हम रह रहे हैं, वहां बुखार, जुखाम, पेट दर्द
और अन्य बीमारियां आम है। इनके लिए आप आए दिन हॉस्पिटल और मेडिकल स्टोर के चक्कर
काटती रहती होंगी। लेकिन बाहर के इतने चक्कर लगाने का क्या फायदा जब आपके पास आपका
अपना दवाखाना मौजूद है, जहां कि डॉक्टर भी आप हैं, नर्स भी आप हैं और कम्पाउंडर भी आप ही हैं। ये दवाखाना है आपका किचन। यहां
हर वह चीज मौजूद है, जो आपकी बीमारी का इलाज कर सकती है।
दैनिक जीवन में उपयोग में आने वाले मसालों के कई औषधीय गुण भी हैं। यह मसाले आपके
खाने का स्वाद ही नहीं बढ़ाते बल्कि आपको बीमारियों से दूर भी रखते हैं।
दालचीनी
सर्दी, खांसी या गले की तकलीफों
में दालचीनी बेहद असरदार है। इसे पीसकर एक चम्मच शहद के साथ एक चुटकी मात्रा में
खाने से जुकाम में आराम मिलता है। गुनगुने पानी में दालचीनी के पाउडर को शहद के
साथ मिलाकर पीने से खांसी में भी फायदा होता है। दालचीनी के पाउडर को पिसी हुई
काली मिर्च के साथ लेने से कफ में राहत मिलती है। अगर सर्दी के कारण सिर में दर्द
है, तो दालचीनी का लेप लगाने से आराम मिलता है। इसके अलावा
दालचीनी के तेल की कुछ बूंदें, तिल के तेल में मिलाकर सिर पर
मालिश करने से भी सिरदर्द में आराम मिलता है।
पिपली
पिपली का इस्तेमाल वैसे तो खाने में होता है, लेकिन इसका पाउडर बनाकर आंखों में लगाने से आंखें तेज होती है और नाईट
ब्लाइंडनेस भी ठीक रहता है। एक पिपली और दो हरीतकी को पानी के साथ पीसकर उसकी
बत्तियां बनाकर आंखों पर रखने से आई-फ्लू और आंखों से पानी बहने की समस्या हल होती
है। पिपली पाउडर, सेंधा नमक, हल्दी और
सरसों के तेल का मिश्रण दांतों पर लगाने से दांत का दर्द दूर होता है। अब पेट में
ऐंठन को कम करने के लिए पिपली की जड़ का पाउडर, दूध और बांसा
का मिश्रण बनाकर पानी के साथ लें। पिपली वात और कफ संबंधी बीमारियों को दूूर करने
में मदद करता है। तीन ग्राम पिपली को एक और ग्राम पानी में उबालकर एक चम्मच शहद के
साथ तीख सुबह-शाम खाने से कफ में फायदा होता है।
जीरा
जीरा का इस्तेमाल रसोई में रोज दाल या सब्जी में
ज्यादातर छौंक लगाने के लिए किया जाता है, लेकिन जीरा आयरन का एक
अच्छा स्रोत भी है। अगर आप नियमित रूप से इसका सेवन
करती हैं, तो खून की कमी दूर होती है। इसमें मौजूद
एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट के गुण ट्यूमर को बढ़ने से रोकते हैं। इसके
अलावा जीरे का सेवन बवासीर में लाभदायक है। इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर होता है,
जो आपकी पाचन क्रिया को ठीक करता है। जीरा त्वचा के लिए
भी काफी फायदेमंद है। इसमें मौजूद एंजाइम्स, विटामिन
और मिनरल त्वचा को स्वस्थ रखते हैं।
अकरकरा
कम प्रचलित अकरकरा का इस्तेमाल सामूहिक
और राजसी दावतों की दाल, कढ़ी, मसाला बाटियों, गट्टा
और पुलाव में किया जाता है। अकरकरा कड़वा, तीखा, प्रकृति में गर्म तथा कफ और वातनाशक है।
यह खून को साफ करने, सूजन को कम करने,
मंह की बदबू को नष्ट करने, दंत रोग, दिल की कमजोरी, बच्चों के दांत निकलने के समय के रोग,
तुतलाहट, हकलाहट, रक्तसंचार
को बढ़ाने में भी गुणकारी है। इसका प्रयोग दंतमंजनों और पेस्ट में होता है। यह
पाचक और रुचिवर्धक होता है। अर्जुन की छाल और अकरकरा का चूर्ण, दोनों को बराबर मिलाकर पीसकर दिन में सुबह और शाम आधा-आधा चम्मच खाने से
घबराहट, हृदय की धड़कन, पीड़ा, कंपन और कमजोरी में लाभ होता है।
हल्दी
हल्दी के एंटीसेप्टिक और एंटी
इंफ्लेमेट्री गुण प्राकृतिक पेन किलर का काम करते हैं। हल्दी शरीर की बाहरी चोट के
साथ,शरीर की आंतरिक चोट पर भी असर करता
है। अंदरूनी चोट के लिए दूध को गर्म करके उसमें हल्दी डालकर कुछ दिन लगातार पीएं।
अगर बाहरी चोट है, तो हल्दी को प्याज के रस में मिलाकर चोट
पर लगाएं, इससे सूजन और दर्दसे राहत मिलेगी।
सोंठ
सोंठ और अदरक एक ही पदार्थ के दो रूप हैं। गीले रूप
में यह अदरक कहलाती है और सूखने पर यही सोंठ हो जाती है। यह रुचिकारक, गठिया नाशक, त्रिदोष नाशक, पाचक,
स्वादिष्ट, गर्म, अतिसार,
हृदयरोग और उदर रोग नाशक है। सोंठ का उपयोग हर घर में किसी न किसी
रूप में जरूर होता है। दाल- साग के मसाले में इसका उपयोग होता है। कच्ची अदरक चटनी,
मुरब्बा, अचार के रूप में, सब्जी-दाल में सुगंध एवं स्वाद के साथ पाचन शक्ति बढ़ाने का काम करती है।
अदरक की चाय से सर्दी, जुकाम, खांसी और
सिरदर्द ठीक होता है। सोंठ, जीरा और सेंधा नमक का चूर्ण ताजा
दही में, मट्ठे में मिलाकर भोजन के बाद पीने से पेट साफ होता
है।
लौंग
आपके पाचन तंत्र को ठीक रखता है। साथ ही दांत
दर्द से बचने के लिए लौंग के तेल का इस्तेमाल करना काफी फायदेमंद होता है। इसमें
मौजूद एंटीसेप्टिक गुण माउथवॉशनर का काम भी करते हैं। लौंग में प्रोटीन, है आयरन, कार्बोहाइड्रेट्स, कैल्शियम,
फॉस्फोरस, पोटैशियम, सोडियम
और हाइड्रोक्लोरिक एसिड जैसी कई चीजें भरपूर मात्रा में पाई जाती हैं। इसमें
विटामिन-ए और सी, मैग्नीशियम और
फाइबर भी पाया जाता है। यह सभी शरीर के लिए बहुत फायदेमंद हैं। इसके अलावा यह
मुहांसों को दूर करने में भी मदद करता है।
अजवाइन
अजवाइन शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मददगार है।
इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट दिमाग के लिए एक औषधि की तरह है काम करता है। अजवायन
आपकी भूख व पाचन शक्ति को बढ़ाकर पेट संबंधी अनेक रोग जैसे- गैस, अपच, कब्ज आदि को दूर करने में मदद करती है। अजवायन
डायबिटीज रोगी को फंगल इंफेक्शन से भी बचाती है। पेट दर्द होने पर आधा चम्मच अजवायन
को पानी के साथ फांकने से राहत मिलती है। नियमित रूप से इसका सेवन करने से पेट साफ
रहता है।
सौंफ
ओरल कैंसर से बचने का अचक उपाय है- सौंफ। रोजाना खाने
के बाद सौंफ चबाने से ओरल कैंसर का खतरा नहीं होता और खाना भी अच्छे तरीके से पचता
है। यह खान के स्वाद और खूशबू को भी बढ़ाता है। सौंफ को पानी मे उबाल लें, फिर ठंडा होने पर इसे पी लें। इस पानी स खूप साफ रहता है और चेहरे पर चमक
आती है।
धनिया
हर व्यंजन का स्वाद बढ़ाने के लिए धनिया
का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन साबुत धनिया में ब्लड शुगर को कंट्रोल करने की
क्षमता भी होती है। धनिया में ऐसे तत्व होते हैं, जो शरीर से कोलेस्ट्रॉल को कम करते हैं और उसे कंट्रोल में रखते हैं। इसके
अलावा धनिया में भरपूर मात्रा में एंटी-ऑक्सीडेंट, मिनरल,
विटामिन-ए, सी और आयरन पाया जाता है,जो एनिमिया की समस्या को दूर करने और कैंसर से बचाव में मदद करता है। साथ
ही यह दर्द में राहत देता है।
हींग
हींग दर्द निवारक और पित्तवर्द्धक होती है। छाती और
पेट दर्द में हींग का सेवन लाभकारी होता है। छोटे बच्चों के पेट मे दर्द होने पर
हींग को पानी में घोलकर पकाने और उसे बच्चों की नाभि के चारों ओर उसका लेप करने से
दर्द में राहत मिलती है।
जायफल
औषधीय गुणों के कारण जायफल को आयुर्वेद में सालभर
उपयोगी माना जाता है। यह वातनाशक और कृमिनाशक होता है। गर्म मसाले में जायफल का
प्रयोग बहुत ही थोड़ी मात्रा में किया जाता है। बच्चों को दस्त, जुकाम व खांसी होने पर जायफल को गर्म पानी में घिसकर चटाया जाता है। इसके
फूल जावित्री कहलाते हैं। सांस के रोग में पान मे दो-तीन
पंखुड़ी जावित्री डालकर लेने से फायदा होता है। भूख नहीं लगती हो, तो चुटकी भर जायफल लें, आराम मिलेगा। इससे पाचन
शक्ति बढ़ेगी और भूख लगेगी।
यह
कीब
बच्च
गठिया के दर्द में काली मिर्च को तिल के तेल में
पकाकर ठंडा करके लगाने से राहत मिलती है। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट शरीर से सभी
तरह के टॉक्सिंस को बाहर निकालता है, जिससे शरीर में किसी तरह
की बीमारी जन्म नहीं लेती। सर्दी में पांच काली मिर्च एक गिलास दूध में उबालकर
पीने से फायदा होता है ।
आंखो की रोशनी बढाने के लिए आटा भूनकर काली मिर्च का
चूर्ण घी चीनी मिलाकर पंजीरी बना एक एक चम्मच सवेरे और शाम खाली पेट दूध के साथ
लें। नमक आपके जायके को बढाने के साथ शरीर में पानी के स्तर को नियंत्रित करता
है। यह पाचन शक्ति बढाता है। हमारी हड्डियो और आंसूओ में नमक का समावेश होता है।
लेकिन ध्यान रखे, जरूरत से अधिक नमक हानिकारक हो
सकता है।
जालकर पीने से फायदा
सोंठ
सोंठ
ल होती है। सों के तेल र होता है।
सामूहिक और बाटियों, गट्टा रकरा कड़वा,
वातनाशक है। कम करने, मुंह
की कमजोरी, ग, तुतलाहट, । गुणकारी है। होता है। यह की छाल और नाकर
पीसकर म्मच खाने से कंपन और
जीरा और i मिलाकर
है
धनिया हर व्यंजन का जाता है। लेकिन क्षमता भी होत
कोलेस्ट्रॉल का अलावा धनिय विटामिन-ए, समस्या को दूर करता है।
साथ
का इस्तेमाल करना चक्र फूल द एंटीसेप्टिक
गण स्टार के आकार का यह मसाला गर्म मसाले
लोग में प्रोटीन है.जिसे
चक्र फूल
स्टार ऐनिसकेमा यम, फॉस्फोरस, है। तेज खुशबू के कारण, इसका इस्तेमाल
और अन्य व्यंजनों में किया जाता है। मसाल
वाले मुख्य मसालों में से एक चक्र पर इसकी चाय पीने से सूजन, गैस, अपच पाचन संबंधी रोगों को दूर करने में मदद
अलावा चक्र फूल में मौजदी
गर्म मसाले का मुख्य घटक
के नाम से जाना जाता इस्तेमाल बिरयानी, सीफट है। मसाला चाय में डलने
से एक चक्र फूल है। भोजन के जन गैस, अपच और कब्ज
में मदद मिलती है। इसके
ल में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट
विटामिन-ए एवं सी, डायबिटीज से लड़ने में
मदद करता है।
निवारक और पित्तवर्द्धक होती है। छाती और पर
॥ है। छोटे बच्चों के पेट घालकर पकाने और उसे सका लेप
करने से दर्द में
सिड जैसी कई दर्द में हींग का सेवन लाभकारी होता ह
टामिन-ए और में दर्द होने पर हींग को पानी में घोलकर प । है। यह सभी बच्चों की
नाभि के चारों ओर उसका लप अलावा यह राहत मिलती है।
विटामिन-ए एवं सी, डायबिटीज करता है।
डने में मदद
सौंफ
साल कैंसर का खतरा नहीं से पचता है। यह खाने
सौंफ को पानी में
पानी से खून
सरल कैंसर से बचने का अचूक उपाय है-सौंफारी खाने के
बाद सौंफ चबाने से ओरल कैसा होता और खाना भी अच्छे तरीके से पचता है। के स्वाद और
खुशबू को भी बढ़ाता है। सौंफ को उबाल लें, फिर ठंडा होने पर इसे पी
लें। इस पानी से साफ रहता है और चेहरे पर चमक आती है।
चन तंत्र को अच्छा रखता है। साथ ही नाव, अवसाद और नात्मक समस्याओं में तदेता है। लेकिन ध्यान
जरुरत से अधिक नमक निकारक भी हो सकता है।
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Thanks You Guys
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