Corona Se Thik Hone Ke Baad Side Effects Or Corona Virus Ke Baad Hone Wali Bimari
Corona Thik Hone Ke Baad Ke Lakshan
कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद लोगों को कमजोरी, सांस फूलना, पैरों में सूजन, थकान और नींद न आने की समस्या हो रही है। दो से तीन माह में ये लक्षण समाप्त हो जाते हैं लेकिन अगर इस तरह की परेशानी बनी रहे तो चिकित्सकीय परामर्श जरूर लें...
कोरोना से ठीक होने के बाद भी लोगों को कई तरह की समस्याएं हो रही हैं। इनमें सबसे आम है थकान, कमजोरी और नींद नहीं आना। लोगों में कोरोना संक्रमण से उबरने के दो से तीन महीने तक इस तरह की तकलीफ देखने को मिल रही है। हालांकि पहली लहर की अपेक्षा दूसरी लहर में इस तरह के मामले ज्यादा देखने को मिल रहे हैं।
संक्रमित होने के बाद जिन लोगों को इस तरह की परेशानी हो रही है, वे घबराएं नहीं, क्योंकि अधिसंख्य मामलों में धीरे-धीरे इस तरह की परेशानी अपने आप ही समाप्त हो जाती है। ऐसे लोगों को चाहिए कि वे पोषक आहार लें, हल्का व्यायाम और योग करें। हां, सतर्कता रखना बेहद जरूरी है। यदि कुछ भी असामान्य लगता है।
चिकित्सक से परामर्श जरूर करें। इसके अलावा यदि छाती में दर्द, सांस फूलना और पैरों में सूजन हो तो इसे भी गंभीरता से लें। ये समस्याएं खून का थक्का जमने की वजह से होती हैं। खून का थक्का किसी भी अंग में पहुंचकर नुकसान पहुंचा सकता है। ये थक्का फेफड़े, हार्ट और ब्रेन में पहुंचकर खून की आपूर्ति रोकता है, जो
जानलेवा साबित होता है। कोरोना संक्रमण के बाद लकवा और हार्ट अटैक के भी खूब मामले प्रकाश में आ रहे हैं। कई बार खून का थक्का इस तरह का अवरोध पैदा करता है कि पैरों में गैंगरीन (खून की सप्लाई नहीं होने से वह हिस्सा खराब होना) और आंखों की रोशनी जाने का खतरा हो सकता है। हालांकि इसमें उन लोगों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है, जो कोरोना संक्रमण के चलते गंभीर स्थिति में पहुंचे हों।
म्यूकरमायकोसिस से भी रहें सतर्क :
कोरोना से ठीक होने के बाद म्यूकरमायकोसिस के मरीज मिल रहे हैं। यह बीमारी उन लोगों को ज्यादा होती
है, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। यह सिर्फ परिकल्पना है कि कोरोना के दौरान जिन्हें स्टेरायड दिया गया उन्हें यह बीमारी हुई।
म्यूकरमायकोसिस का असर नाक, आंख और ब्रेन में होता है, लेकिन कई बार यह संक्रमण फेफड़ों में भी पहुंच जाता है, जो बहुत दुर्लभ माना जाता है। एंटीफंगल इंजेक्शन और सर्जरी से ज्यादातर मरीजों में यह बीमारी ठीक हो जाती है। नाक बंद होना, चेहरे में सूजन, आंखें लाल होना और नाक से काला पानी आने की समस्या हो तो तत्काल चिकित्सक को दिखाएं।
किसी बीमारी से पीड़ित रहे हैं और कोरोना
है, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। यह सिर्फ परिकल्पना है कि कोरोना के दौरान जिन्हें स्टेरायड दिया गया उन्हें यह बीमारी हुई।
म्यूकरमायकोसिस का असर नाक, आंख और ब्रेन में होता है, लेकिन कई बार यह संक्रमण फेफड़ों में भी पहुंच जाता है, जो बहुत दुर्लभ माना जाता है। एंटीफंगल इंजेक्शन और सर्जरी से ज्यादातर मरीजों में यह बीमारी ठीक हो जाती है। नाक बंद होना, चेहरे में सूजन, आंखें लाल होना और नाक से काला पानी आने की समस्या हो तो तत्काल चिकित्सक को दिखाएं।
किसी बीमारी से पीड़ित रहे हैं और कोरोना
हुआ है तो ज्यादा सतर्क रहें :
जिन मरीजों को पहले से कोई बीमारी थी और कोरोना की चपेट में आ गए तो उन्हें चाहिए कि पुरानी बीमारी की कोई भी दवा चिकित्सक की सलाह के बिना बंद न करें और न ही दवा का डोज खुद से बढ़ाएं।
जिन लोगों के फेफड़े पहले से खराब है, दिल की बीमारी है या फिर दूसरी तकलीफ है, उन्हें दोसरा कोरोना होने पर ज्यादा परेशानी हो सकती है। इन्हें कोरोना से बचने के सारे उपाय अपनाते हुए वैक्सीन जरूर लगवानी चाहिए। फेफड़े की बीमारी वाले मरीजों को पहले भी एंफ्लूएंजा और निमोनिया से बचाव के लिए न्यूमोकोकल वैक्सीन लगाई जाती थी और अब इसमें कोरोना से बचाव का टीका भी शामिल हो गया है।
कोरोना से उबर चुके मरीजों को अपनी दिनचर्या सुव्यवस्थित रखनी चाहिए।अधिक तेल- मसाले वाले खाने से परहेज करें और घर में बनी चीजों को प्राथमिकता दें दिन में दो लीटर पानी अवश्य पिएं। वही खाना खाएंजो आसानी से पच जाए। नियमित रूप से हल्के व्यायाम करें।दो-तीन महीने ऐसे व्यायाम न करें, जिनमें अधिक मेहनत लगती है।
जिन लोगों के फेफड़े पहले से खराब है, दिल की बीमारी है या फिर दूसरी तकलीफ है, उन्हें दोसरा कोरोना होने पर ज्यादा परेशानी हो सकती है। इन्हें कोरोना से बचने के सारे उपाय अपनाते हुए वैक्सीन जरूर लगवानी चाहिए। फेफड़े की बीमारी वाले मरीजों को पहले भी एंफ्लूएंजा और निमोनिया से बचाव के लिए न्यूमोकोकल वैक्सीन लगाई जाती थी और अब इसमें कोरोना से बचाव का टीका भी शामिल हो गया है।
सही हो खानपान और दिनचर्या :
कोरोना से उबर चुके मरीजों को अपनी दिनचर्या सुव्यवस्थित रखनी चाहिए।अधिक तेल- मसाले वाले खाने से परहेज करें और घर में बनी चीजों को प्राथमिकता दें दिन में दो लीटर पानी अवश्य पिएं। वही खाना खाएंजो आसानी से पच जाए। नियमित रूप से हल्के व्यायाम करें।दो-तीन महीने ऐसे व्यायाम न करें, जिनमें अधिक मेहनत लगती है।
कोरोना संक्रमित होने के बाद लोगों को नींद नहीं आने की भी समस्या हो रही है:
यदि लगातार यह समस्य बनी रहे तो मनोचिकित्सक को दिखाएं। अच्छी नींद के लिए जरूरी है कि शाम के बाद चाय-काफीन लें। सोने के एक घंटे पहले टीवी, कंप्यूटर या मोबाइल स्क्रीन से दूरी बना लें।
शुगर का स्तर नियंत्रित रखें :
डायबिटीज के मरीजों में कोरोना होने पर गंभीर होने का
खतरा ज्यादा रहता है। कोरोना संक्रमण के बाद
वे मरीज गंभीर स्थिति में आए, जिनका शुगर
का स्तर नियंत्रित नहीं रहा है। इन्हें यही सलाह
है कि दवाएं नियमित लें। कोरोना संक्रमण के
दौरान स्टेरायड दिए जाने की वजह से भी कुछ
मरीजों का शुगर का स्तर बढ़ता है, लेकिन एक-
दो महीने में अपने आप ठीक भी हो जाता है।
कोरोना संक्रमितों में देखा गया कि कुछ लोग
ऐसे भी थे, जो डायबिटीज की पूर्व अवस्था
(प्रीडायबिटिक) में थे। ये स्टेरायड दिए जाने से
डायबिटीज मरीज की श्रेणी में आ गए।
खतरा ज्यादा रहता है। कोरोना संक्रमण के बाद
वे मरीज गंभीर स्थिति में आए, जिनका शुगर
का स्तर नियंत्रित नहीं रहा है। इन्हें यही सलाह
है कि दवाएं नियमित लें। कोरोना संक्रमण के
दौरान स्टेरायड दिए जाने की वजह से भी कुछ
मरीजों का शुगर का स्तर बढ़ता है, लेकिन एक-
दो महीने में अपने आप ठीक भी हो जाता है।
कोरोना संक्रमितों में देखा गया कि कुछ लोग
ऐसे भी थे, जो डायबिटीज की पूर्व अवस्था
(प्रीडायबिटिक) में थे। ये स्टेरायड दिए जाने से
डायबिटीज मरीज की श्रेणी में आ गए।
मास्क अवश्य लगाएं :
मास्क का प्रयोग अनिवार्य रूप से करें। अस्पताल या भीड़ वाली जगह में जा रहे हैं तो एन-95 मास्क का प्रयोग करें। सामान्य भीड़ वाली जगह में सर्जिकल मास्क से भी काम चला सकते हैं। कपड़े का मास्क प्रयोग करें तो दोहरा मास्क लगाएं।
संक्रमित होने के बाद लोगों के मन में यह सवाल बार-बार आता है कि वैक्सीन लगवाई जाए या नहीं। ऐसे लोगों को चाहिए कि कम से कम दो माह तक वैक्सीन न लगवाएं।ध्यान रहे कि आप डायबिटीज या हाई ब्लडप्रशेर जैसी किसी भी बीमारी से पीड़ित क्यों न हों, वैक्सीन जरूर लगवाएं। ऐसी कोई बीमारी नहीं है जिसमें टीका लगवाने से मना किया गया हो। कोरोना से संक्रमित लोग पाजिटिव आने के दिन से कम से कम दो महीने बाद टीका लगवाएं। जिन्हें पहला डोज लगने के बाद कोरोना हुआ है चे भी यही करें। टीका लगवाने के पहले यह देख लें कि बुखार, स्वाद या गंध नहीं आने समेत कोरोना के कोई लक्षण तो नहीं हैं। यदि ऐसा है तो कोरोना की जांच कराने के बाद रिपोर्ट निगेटिव आने परही वैक्सीन लगवाएं।
कोरोना से ठीक होने के दो महीने बाद लगवाएं टीका
संक्रमित होने के बाद लोगों के मन में यह सवाल बार-बार आता है कि वैक्सीन लगवाई जाए या नहीं। ऐसे लोगों को चाहिए कि कम से कम दो माह तक वैक्सीन न लगवाएं।ध्यान रहे कि आप डायबिटीज या हाई ब्लडप्रशेर जैसी किसी भी बीमारी से पीड़ित क्यों न हों, वैक्सीन जरूर लगवाएं। ऐसी कोई बीमारी नहीं है जिसमें टीका लगवाने से मना किया गया हो। कोरोना से संक्रमित लोग पाजिटिव आने के दिन से कम से कम दो महीने बाद टीका लगवाएं। जिन्हें पहला डोज लगने के बाद कोरोना हुआ है चे भी यही करें। टीका लगवाने के पहले यह देख लें कि बुखार, स्वाद या गंध नहीं आने समेत कोरोना के कोई लक्षण तो नहीं हैं। यदि ऐसा है तो कोरोना की जांच कराने के बाद रिपोर्ट निगेटिव आने परही वैक्सीन लगवाएं।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें
Thanks You Guys
Please Share This Link