corona ke liye immunity kaise badhaye or corona me immunity power kaise badhaye?
आयुर्वेद के अनुसार कोरोना संक्रमण एक तरह का श्वास रोग है। इसलिए इससे बचने के लिए हमें सुरक्षा के सारे उपायों को अपनाते हुए अपने आहार पर देना होगा विशेष ध्यान...
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने बुरी तरह तबाही मचाई, लेकिन सुखद है कि अब स्थिति नियंत्रण में है। देश के चिकित्सा संस्थान इस प्रयास में जुटे हैं कि कैसे इस महामारी के प्रकोप को समाप्त किया जाए। ऐसा नहीं है कि संक्रमण के इस दौर में हम सिर्फ चिकित्सकों के उपचार के भरोसे रहें, बल्कि हर किसी को यह सोचना है कि किस तरह का हो हमारा आहार कि हम किसी भी संक्रमण से रह सकें सुरक्षित।
कोविड-19 संक्रमण के समकक्ष जो श्वास रोग हैं, उनमें दही, दूध, मछली, शीतल जल व ठंडे भोजन का सेवन वर्जित है। इसके साथ ही ऐसे रोगियों को नमी युक्त स्थानों व धूल, धुंए से भी बचना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार किसी भी वस्तु का प्रभाव व्यक्ति की प्रकृति और ऋतु के सापेक्ष होता है। पित्त प्रकृति के लोगों में स्वभावतया उष्णता होती है, वे शीतल वस्तुओं का आराम से पाचन कर लेते हैं। वहीं वात और कफ प्रकृति के लोगों में शीत गुण की अधिकता होने के कारण वो अधिक शीतल खाद्य पदार्थों को पचा नहीं पाते हैं और शीघ्र ही श्वास जन्य
रोगका शिकार हो जाते हैं।
हर पद्धति का अलग सिद्धांतः
एलोपैथी के विशेषज्ञ रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए खट्टे फलों जैसे संतरा, मौसमी आदि के सेवन पर जोर देते हैं। शरीर को प्रोटीन मिले इसके लिए दूध, दही व छाछ के सेवन की सलाह दी जाती है। एलोपैथ वस्तुओं का विश्लेषण इस आधार पर करता है कि उसमें कौन-कौन से विटामिन हैं; खनिज पदार्थ हैं और उनकी कैलोरी वैल्यू कितनी है। दूसरी तरफ आयुर्वेद सभी की प्रकृति अलग मानता है और उसी के अनुसार आहार का निर्देश देता है ताकि व्यक्ति उस चीज का पाचन कर सके और वह सेहत के लिए अच्छी हो।
हर चीज की है अलग तासीरः
रसोई घर में जो चीजें प्रयोग की जाती हैं, उन सबका आधार भी उनके उष्ण और शीत गुण ही हैं। सभी औषधियों का हमारे शरीर के अंगों पर अलग प्रभाव पड़ता है। कोविड-19 कफ और वायु की विगुणता से उत्पन्न होने वाला श्वास रोग है। इसीलिए यदि हम आयुर्वेद के हिसाब से इम्युनिटी बढ़ाना चाहते हैं तो हमें गरम तासीर वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। यह सच है कि आप उपचार किसी भी पैथी से लें, आपका आहार कैसा है यह बहुत मायने रखता है। फिलहाल कोरोना से बचने के लिए वैक्सीन की डोज और बचाव के उपाय ही सबसे बड़ा हथियार है।
यदि प्रकृति और ऋतु परिवर्तन को देखते हुए आहार में धीरे-धीरे परिवर्तन किया जाए और सावधानी बरती जाए तो कोरोना जैसी बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है। यदि हम इस रोग की रोकथाम पर विचार करें तो दो तथ्य हमारे सामने आते हैं। पहला ये कि हम अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं और दूसरा इस रोग से बचने के लिए अनुशासित जीवनशैली के साथ आहार पर विशेष ध्यान दें।
हमारा शरीरएक तरह से प्राकृतिक प्रयोगशाला है।जब हम कोई चीज खाते है तो हमारा शरीर तुरंत बता देता है कि वह वस्तु हमारे लिए लाभदायक है या हानिकारक।इसीलिए अपनी प्रकृति तथा मौसम को ध्यान में रखते हुए किसी भी खाद्य पदार्थ का सेवन करना चाहिए।
ऋतु के साथ आहार में परिवर्तन
यदि प्रकृति और ऋतु परिवर्तन को देखते हुए आहार में धीरे-धीरे परिवर्तन किया जाए और सावधानी बरती जाए तो कोरोना जैसी बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है। यदि हम इस रोग की रोकथाम पर विचार करें तो दो तथ्य हमारे सामने आते हैं। पहला ये कि हम अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं और दूसरा इस रोग से बचने के लिए अनुशासित जीवनशैली के साथ आहार पर विशेष ध्यान दें।
प्राकृतिक प्रयोगशाला है शरीर
हमारा शरीरएक तरह से प्राकृतिक प्रयोगशाला है।जब हम कोई चीज खाते है तो हमारा शरीर तुरंत बता देता है कि वह वस्तु हमारे लिए लाभदायक है या हानिकारक।इसीलिए अपनी प्रकृति तथा मौसम को ध्यान में रखते हुए किसी भी खाद्य पदार्थ का सेवन करना चाहिए।
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