मशीन लर्निंग (Machine Learning) और एई (AI) मे कैरियर कैसे बनाए?
कोरोना की चुनौतियों से जूझ रहे उद्योगों की नजर इन दिनो मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर है। लॉकडाउन और उसके बाद भी वर्क फ्रॉम होम की बढ़ती अहमियत को देखते हुए उन्नत तकनीकों को अपनाने पर सबका जोर है। जाहिर है आने वाले दिनों में तेजी से उभरते इस फील्ड में अपार संभावनाएं सामने आएंगी...
मशीन लर्निंगसे मिलेगी तरक्की को रफ्तार
10 टॉप डिमांडिंग जॉब्स में शुमार हैं भारत में एआइ-एमएल प्रोफाइल के जॉब।
8.50 लाख रुपये तक सैलरी ऑफर हो रही है इन प्रोफेशनल्स को।
आज अगर आप सीरी, अलेक्सा या आफैसबुक फ्रेंड सजेशंस से इंसानों की तरह बात कर पा रहे हैं, तो यह मशीन लर्निंग का ही कमाल है। इस तकनीक की ही देन है कि आज की मशीनें इतनी इंटेलिजेंट हो गई हैं कि ये इंसानों की तरह खुद ही अपना काम कर ले रही हैं। इस तकनीक की बढ़ती उपयोगिता को देखते हुए इन दिनों सिर्फ युवा ही नहीं अन्य कामकाजी लोग भी अपनी कार्यकुशलता बढ़ाने के लिए इस स्किल को सीखने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। कोरोना से जंग में भी इसकी अहम
भूमिका देखी जा रही है। कुछ समय पहले यूपी की
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी
और किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी ने
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित एक
कोविड-19 डायग्नोसिस टूल विकसित किया
था। इसकी मदद से कोरोना की 99.98 फीसद
सटीक जांच की जा सकती है। इसी तरह,
कोरोना का टीका बनाने के लिए दुनिया भर के
तमाम शोधकर्ता, वैज्ञानिक और दवा बनाने वाली
कंपनियां एआइ और मशीन लर्निंग विशेषज्ञों के
साथ काम कर रही हैं। कोरोना वायरस की ट्रेसिंग
में भी इसका इस्तेमाल हो रहा है। बीमारी का डाटा
जुटाने में इसकी मदद ली जा रही है। एमएल या
एआइ के सहारे कारोबार को आगे बढ़ाने में मदद
लेने के साथ-साथ युवाओं द्वारा निजी तौर पर भी
इन तकनीकों के प्रति रुचि तेजी से बढ़ रही है।
टॉप डिमांडिंग करियर में शुमारः
जानकारों का मानना है कि बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच एक-दूसरे
से आगे रहने और तेज गति से काम करने के लिए
कंपनियों को ऑटोमेशन का सहारा लेना पड़ रहा
है। ऐसे में ऑटोमेशन के कारण मशीन लर्निंग
इंजीनियर, डीप लर्निंग इंजीनियर, कंप्यूटर विजन
इंजीनियर या डाटा साइंटिस्ट जैसे प्रोफेशनल्स
के लिए जॉब्स की अपार संभावनाएं सामने आ
रही हैं। आने वाले समय में भी इस क्षेत्र में लाखों
नौकरियां पैदा होने का अनुमान है, जो ऑटोमेशन
के कारण पैदा होंगी। इनडीड की मानें, तो पिछले
कुछ सालों में एआइ/एमएल के जानकारों की मांग
बढ़कर दोगुनी हो चुकी है। यही कारण है कि आज
के टॉप 10 डिमांडिंग जॉब्स में यह शुमार है।
यहां तलाशें मौके: मशीन लर्निंग तकनीक का
अभी सबसे अधिक इस्तेमाल इंडस्ट्रियल उद्देश्यों
के लिए हो रहा है। यह भी देखा गया है कि जिन
संस्थानों में एमएल तकनीक अपनाई जा रही है,
उनकी दक्षता और कुशलता प्रतिस्पर्धियों से कहीं
अधिक हो गई है। वैसे, इनदिनों फाइनेंशियल
सर्विसेज, गवर्नमेंट सेक्टर्स, हेल्थकेयर, रिटेल,
ई-कॉमर्स, ऑयल एंड गैस तथा ट्रांसपोर्टेशन जैसे
अन्य क्षेत्रों में भी इस तकनीक का इस्तेमाल तेजी 3
से बढ़ रहा है। दरअसल, मशीन लर्निंग तकनीक
मुख्य रूप से एआइ का ही एक पार्ट है, जो द्व
सॉफ्टवेयर को सही रूप से चलाने में मदद करती दि
है। इस प्रक्रिया के तहत कंप्यूटर संचालित मशीनें
अपने आप चीजें सीख जाती हैं और उन्हें अपना
काम करने के लिए इंसानों की जरूरत नहीं पड़ती।
आजकल अमेजन, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील जैसी
शॉपिंग साइट्स भी मशीन लर्निंग का इस्तेमाल
अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए खून कर रही हैं।
आवश्यक योग्यता: एमएल, एआइ या आइओट
आदि की डिमांड को देखते हुए तमाम संस्थानों
द्वारा इसमें पूर्णकालिक कोर्स कराए जा रहे हैं, जैसे
कि बीटेक प्रोग्राम इन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
ऐंड मशीन लर्निंग। पीसीएम विषयों से 12वीं के
बाद यह कोर्स किया जा सकता है। इसके अलावा,
कोर्सेरा, उडेमी जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्स से भी
इस तरह के कोर्स किए जा सकते हैं। कामकाजी
लोगों के लिए भी यहां एग्जीक्यूटिव प्रोग्राम्स कराए
जाते हैं। गूगल से भी ऑनलाइन माध्यम से मशीन
लर्निंग में कैश कोर्स किया जा सकता है।
सालाना पैकेजः किसी भी दूसरे जॉब प्रोफाइल की
तुलना में एक मशीन लर्निंग इंजीनियर को काफी
आकर्षक सैलरी मिलती है। फोर्ब्स की एक रिपोर्ट
के अनुसार, भारत में ऐसे एमएल प्रोफेशनल्स को
शुरुआत में ही औसतन 8 से 8.50 लाख रुपये
सालाना तक सैलरी ऑफर हो रही है। अमेरिका
जैसे देशों में यह सैलरी पैकेज और भी अधिक है।
दर्जनों क्षेत्रों में है करियर स्कोप
मशीन लर्निंग औरएआइके इस दौर में आज बहुत कुछ आसान हो गया है। आने वाले
समय मे और भी बदलाव होने वाला है। कारोबारके बाद सबसे अधिक यह बदलाव
चिकित्सा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में आएगा ।इस तकनीक की मदद से पांच-सात साल
पहले हीयह बताया जा सकेगा कि अमुकव्यक्ति को कितने साल बाद कौन-सी
बीमारी होने की आशंका है या वह किस स्थिति में है।आज कई ऐसे रोबोट आगए हैं,
जो एआइकी मदद लेते हुए मरीजों के स्वास्थ्य की उसी तरह देखभाल करते हैं जैसे
कि नर्स करती है । ये चौबीसो घंटे बिना थके और बिना विश्राम किए अनवरत काम
करसकते हैं । तमाम स्मार्ट डिवाइसेज में भीयही तकनीक इस्तेमाल हो रही है ।कुल
मिलाकर, युवाओं के लिएइस क्षेत्र में बहुत बड़े पैमाने पर जॉब के स्कोप है।
प्रमुख संस्थान
• आई आई टी, खड़गपुर, दिल्ली, मुम्बई, कानपुर, गुहावटी, रुड़की
www.iit.ac.in
• नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, नई दिल्ली
www. nsit. ac. in
• एनआई टी, ग्रेटर नोएडा
Www. neit.co.in
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