मिर्गी और उपचार के बारे मे जानकारी या मिर्गी बीमारी का इलाज क्या है?
मिर्गी और उसके उपचार
राष्ट्रीय मिर्गी दिवस (17 नवंबर) के लिए इस वर्ष की थीम रही 'आइए मिर्गी के बारे में बात करें।' जानते हैं इस बीमारी के आधुनिक उपचार के बारे में...
मिर्गी हर आयु के बच्चों को प्रभावित कर सकती है। हालांकि यह एक सामान्य विकार है, जो संपूर्ण जनसंख्या के एक फीसद बच्चों में पाया जाता है। अभी भी मिर्गी के बारे में बहुत सारे मिथक बने हुए हैं, जिसके परिणामस्वरूप बच्चों को उचित उपचार नहीं मिल पाता है। बच्चों में मिर्गी प्रमुख रूप से एक वर्ष की आयु तथा किशोरावस्था में दिखाई देने वाली बीमारी है। बचपन में मिर्गी के दौरे विभिन्न प्रकार के होते हैं। जिसमें कुछ लक्षण न दिखाई देने वाले तथा कुछ में कंपकपाहट व सिहरन की समस्या हो सकती है।
भारत में इसके होने के दो प्रमुख कारण हैं, जिनमें एक आनुवांशिक व दूसरा मस्तिष्क की चोट होता है। इस बीमारी के बारे में आज भी जागरूकता का अभाव है। इसका बुरा पहलू यह है कि आज भी इसके रोगी को लोग उपेक्षा की नजर से देखते हैं, जबकि अब तो दवाओं के साथ ही मिर्गी की सर्जरी का विकल्प भी मौजूद है, जिससे पीड़ित बच्चा, सामान्य बच्चों की तरह जीवन व्यतीत कर सकता है।
सर्जरी का विकल्प है मौजूदः
हालांकि ऐसा नहीं है कि कुछ फीसद बच्चे जिनकी मिर्गी दवाओं से नियंत्रित नहीं होती है, उनके लिए संभावनाएं खत्म हो जाती हैं। ऐसे रोगियों के लिए मिर्गी की सर्जरी, न्यूरोमॉड्यूलेशन सर्जरी और कीटोजेनिक आहार जैसे विभिन्न प्रकार के उपचार उपलब्ध हैं। इनमें मिर्गी की सर्जरी सबसे बेहतर विकल्प है, क्योंकि यह सफल रोगनिवारक है। इससे रोगी के पूरी तरह ठीक होने की संभावना रहती है।
हर उम्र में कारगर :
मिर्गी की सर्जरी किसी भी उम्र में की जा सकती है। यह देश के चुनिंदा मिर्गी केंद्रों में उपलब्ध है। इस सर्जरी को करने से पहले रोगी को कुछ विशिष्ट व निश्चित चरणों से गुजारा जाता है। इसके पहले चरण में रोग का मूल्यांकन किया जाता है और इसी के साथ वीडियो ईईजी और विशेष एमआरआई स्कैन जैसे परीक्षण किए जाते हैं। कुछ मरीजों में पीईटी और एसपीईसीटी स्कैन भी किए जाते हैं। इन सभी जांचों से रोग के बारे में सटीक जानकारी मिल जाती है। चिकित्सक सर्जरी की सलाह तभी देते हैं, जब वे सुनिश्चत कर लेते हैं कि बच्चा इससे ठीक हो जाएगा या नहीं।
कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं :
अच्छी बात यह है कि मिर्गी की सर्जरी के दुष्परिणाम बहुत कम होते हैं। न्यूरोमाड्यूलेशन सर्जरी में रोगी के सीने या गर्दन की वेगसतंत्रिका के आसपास अथवा दिमाग में एक डिवाइस इंसर्ट कर दी जाती है। ये डिवाइस संकेत भेजती है, जिससे रोगी मिर्गी के दौरों पर नियंत्रण पा लेता है और दवाओं की जरूरत खत्म हो जाती है।
लगभग 70-80 फीसद मिर्गी का उपचार मिर्गी रोधी दवाओं के जरिए किया जाता है। बालपन में मिर्गी के अधिकतर मामलों में चिकित्सक कुछ वर्षों के बाद दवाओं को बंद कर देते हैं, क्योंकि मिर्गी के लक्षण एक उम्र तक ही सीमित होते हैं। ऐसा नहीं है कि इस बीमारी से ग्रसित बच्चे अन्य बच्चों जैसी गतिविधियां जैसे स्कूल जाना, खेलना, पढ़ना और पिकनिक नहीं कर सकते हैं। सच तो यह है कि इससे ग्रसित बच्चे भी मेधावी हो सकते हैं और अन्य बच्चों की तरह सफल करियर बना सकते हैं।
ये बच्चे भी होते हैं मेधावी
लगभग 70-80 फीसद मिर्गी का उपचार मिर्गी रोधी दवाओं के जरिए किया जाता है। बालपन में मिर्गी के अधिकतर मामलों में चिकित्सक कुछ वर्षों के बाद दवाओं को बंद कर देते हैं, क्योंकि मिर्गी के लक्षण एक उम्र तक ही सीमित होते हैं। ऐसा नहीं है कि इस बीमारी से ग्रसित बच्चे अन्य बच्चों जैसी गतिविधियां जैसे स्कूल जाना, खेलना, पढ़ना और पिकनिक नहीं कर सकते हैं। सच तो यह है कि इससे ग्रसित बच्चे भी मेधावी हो सकते हैं और अन्य बच्चों की तरह सफल करियर बना सकते हैं।
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