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2022-04-07

वायु जनित रोग - वायु जनित बीमारियों से कैसे बचे

वायु जनित बिमारियो या रोगों से कैसे बचे




बुरा वक्त भविष्य के लिए कई तरह के सकटे खड़ा कर  जाताहै। कोरोना संक्रमण
नेसमाजको बुरी तरह
प्रभावित किया, लेकिन
सेहतकेप्रतिसतर्करहने
कीसीखभी मिल रही
है।यदिइसी तरह हम
स्वास्थ्यकेप्रतिसजग
रहें तोवायुजनित रोगों से
नकेवलबचे रहेंगे, बल्कि
हर सालइससेहोनेवाली
मौतों कोटालाजासकता
है।ध्यान रखने की बात
यह है कि अधिकतर
संक्रमण श्वसनमार्ग से
ही होते हैं...


कोरोना महामारी से लोगों में सेहत
के प्रति जागरूकता काफी बढ़
गई है। वयस्क हों या बुजुर्ग
सभी की आदतों में बड़ा बदलाव दिख रहा
है। खासकर, कोमर्बिडिटी ग्रुप के मरीजों
में दूसरी बीमारियों को नियंत्रित करने के
लिए हेल्थ मानीटरिंग का चलन तेजी से
बढ़ा है। वास्तव में लोगों के जीवन में आई
यह सजगता स्वस्थ भारत के निर्माण की
बुनियाद बन रही है। ऐसी ही सकारात्मक
पहल के जरिए एक बड़ी आबादी को
कई वायुजनित बीमारियों से बचाया जा
सकता है। इनमें ज्यादातर रोगों का माध्यम
यानी रास्ता एक ही है, वह है व्यक्ति का
श्वसन मार्ग। इसलिए सावधानी बरतकर
वायुजनित रोगों से हर साल लाखों लोगों
की मौत को टाला जा सकता है।
क्या है वायुजनित रोगः वायुजनित (एयर
बार्न डिजीज) बीमारियां पीड़ित व्यक्ति के


खांसने, छींकने से फैलती हैं। इस दौरान व्यक्ति की नाक या मुंह से जो ड्रापलेट्स
निकलते हैं, उनमें मौजूद घायरस व
बैक्टीरिया काफी देर तक वातावरण में
सक्रिय रहते हैं। इनके संपर्क में आने
पर दूसरा व्यक्ति बीमारी की चपेट में
आ जाता है। चिकित्सकीय भाषा में बात
करें तो ये एक वायरल, बैक्टीरियल और
फंगल इंफेक्शन डिजीज हैं। वायुजनित
रोग फेफड़ों समेत शरीर के कई अंगों को
प्रभावित करते हैं।
प्रमुख बीमारियां:
कोविड-19
• ट्यूबरकुलोसिस
• एंथ्रेक्स
• एस्परगिलोसिस
•चिकन पाक्स
.स्माल पाक्स
•स्वाइन फ्लू


राइनो वायरस
•निमोनिया
.खसरा
सार्स
टीबी ले रहा लाखों लोगों की जान: कोरोना
वायरस के कारण बड़ी तादाद में लोगों को
अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। इसीलिए
वायरस से बचाव के तमाम प्रोटोकाल बन
गए हैं, जिन्हें हर एक के लिए मान्य कर
दिया गया है। इसका परिणाम है कि हम
बीमारी के खिलाफ जंग जीतने के करीब
पहुंच रहे हैं। वहीं यदि ऐसी ही सतर्कता
दूसरी वायुजनित बीमारियों के लिए बरती
जाए तो बड़ी आबादी की जान बचाई जा
सकती है।
भारत की ही बात करें तो 2019 से
2022 तक कोरोना से पांच लाख के करीब
मौतें हुई हैं। वहीं वायुजनित रोगों में सिर्फ
टीबी की बात करें तो यहां हर साल करीब

चार लाख लोग टीबी से जान गंवा देते हैं।
यदि दूसरी बीमारियों से होने वाली मौतों
को शामिल किया जाए तो आंकड़ा और
बढ़ जाएगा। कोराना संक्रमण के कारण
लोगों में आई जागरूकता द्वारा दूसरी
बीमारियों से भी जंग जीती जा सकती है।
इसके लिए लोगों को लगातार सजग रहने
की जरूरत है।
अस्पतालों में संक्रमण नियंत्रण की हो कड़ी
निगरानी : बाहर का ही नहीं अस्पतालों
का संक्रमण भी चुनौती बना हुआ है।
देश के सरकारी व निजी अस्पतालों में
संक्रमण नियंत्रण की मानीटरिंग की
जाए। आईसीयू में पहुंचने वाले तमाम
मरीज भर्ती के दौरान हास्पिटल एक्वायर्ड
इंफेक्शन की चपेट में आ जाते हैं।
इससे न सिर्फ मरीज के इलाज का खर्च
बढ़ जाता है, बल्कि कई की जान भी चली
जाती है।


सुपर इंफेक्शन ले रहा जानः बीमारी से जूझ
रहे मरीज सेकंडरी इंफेक्शन की चपेट में
आ रहे हैं। वे एकाएक बैक्टीरिया व फंगस
की गिरफ्त में आ जाते हैं। अंदर ही अंदर
उनका पूरा शरीर संक्रमण की चपेट में
आ जाता है। ऐसे में कम रोग प्रतिरोधक
क्षमता वाले मरीजों के लिए यह जानलेवा
साबित हो जाता है। इसे 'सुपर इंफेक्शन'
भी कहते हैं। सुपर इंफेक्शन की वजह से
मरीज शाक में जाने के साथ-साथ मल्टी
आर्गन फेलियर के शिकार भी हो जाते हैं।
ऐसे में आइसीयू में भर्ती मरीजों का समय-
समय पर ब्लड मार्कर व कल्चर टेस्ट
आवश्यक है।
उपकरणों से मरीज में पहुंच रहे बैक्टीरियाः
मरीजों में ई-कोलाई, क्लेबसिएला,
स्टैफीलोकोक्स, स्युडोमोनाज, एसीनेटो
बैक्टर बैक्टीरिया घातक बन रहे हैं। वहीं
केडिडा फंगस भी जानलेवा बन रहा है।
इनसे मरीज का शरीर सेप्टीसीमिया का
शिकार हो रहा है। ऐसे में जहां मरीज भर्ती
हैं, वह हास्पिटल, डिवाइस, वेंटीलेटर,
उपकरण, हेल्थ वर्कर व मरीज में हाईजीन
को बनाए रखना बेहद आवश्यक है।


कैसे बचें संक्रमण से

• मरीज से शारीरिक दूरी बनाए रखें
●बाहरनिकलने परमास्क लगाएं
●घर में वेंटिलेशन व्यवस्था ठीक रखें
●हाथोंवघर की साफ-सफाई काध्यान
रखें
●घरकी दीवारों में नमी से फंगसन
पनपनेदें
●घरऐसा हो जिसके अंदर कुछ देर के
लिए धूपजरूर आए
• इम्युनिटीदुरुस्त रखें
●योग व व्यायाम करें
●बीमार लोग चिकित्सक के परामर्श पर
दवा का सेवन नियमित करें
●मिट्टी औरखाद का काम करते समय
जूते, ग्लव्स पहनें रहें


ये बैक्टीरिया भी हैं घातक एलीजाबेथकिंगी एनाफिलिजः
इस बैक्टीरिया से नवजात निमोनिया की चपेट
में आ रहे हैं ।दिमागी बुखार का कारण भी
यह बैक्टीरिया है।

स्ट्रेप्टोकाकस-एगैल्कटी: यह
बैक्टीरियामां से जन्म लेने वाले शिशुको
होता है। इसकी चपेट में शिशुको
दिमागी
बुखार हो जाता है।

स्ट्रेप्टोकाकस पायोजीन: यहएक
प्रकार का खतरनाक फंगस है, जो त्वचा
को नुकसान पहुंचाता है। समय पर
पहचाननहोने से मरीज के हाथ-पैर में
सड़न पैदा होजाती है और मरीज का पूरा
शरीर संक्रमण की जद में आजाता है।
इसमें मरीज कीजान तक जा सकती है।

कैंडिडा यूटिलिस: खुले घाव से यह
फंगस फैलता है,जो खून में संक्रमणपैदा
करता है। समय पर सटीक एंटीफंगल
दवा न मिलने से जान जोखिम में पड़
सकती है।

सियूडोमोनास स्टूडजेरी: आइसीयू में
भर्ती मरीजों कोयह बैक्टीरिया संक्रिमत
करता है। शरीर में इसका संक्रमण घाव
के माध्यमसे होताहै।

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