स्तन कैंसर से बचने के तरीके के बारे में जानकारी इन हिंदी
स्तन कैंसर के प्रति जागरूकता लाने के लिए अक्टूबर माह को 'विश्व स्तन कैंसर जागरूकता माह' के रूप में मनाते हैं। जानिए इससे जुड़ी सावधानियों व बचाव के बारे में...
चिकित्सा के क्षेत्र में हो रहे शोध और उपचार की नई-नई तकनीकों के आने के बाद भी देश में प्रति वर्ष हजारों की संख्या में महिलाएं जाने-अनजाने स्तन कैंसर की चपेट में आ जाती हैं। आंकड़ों के मुताबिक भारत में हर चार मिनट में एक महिला स्तन कैंसर की जांच कराती है, जबकि हर 13 मिनट में एक महिला की मृत्यु स्तन कैंसर के कारण होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के सर्वे के मुताबिक भारत में 28 में से एक महिला स्तन कैंसर का शिकार होती है। यदि समय रहते इस बीमारी के लक्षणों और परेशानी को गंभीरता से लिया जाए तो यह लाइलाज नहीं है, लेकिन हमारे देश में शर्म या स्वभावगत रूप से टालने की आदत के चलते यह बीमारी विकराल रूप लिए हुए है, इसलिए जरूरत है इसके प्रति जागरूकता लाने की।
कहीं देर न हो जाए:
भारत में 57 प्रतिशत स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाएं चिकित्सक के पास तब पहुंचती हैं, जब रोग अपनी प्रारंभिक अवस्था पार कर चुका होता है। यानी प्रारंभिक अवस्था में रोगी इसके लक्षण या तो पहचान नहीं पाते या फिर शर्म अथवा किन्हीं अन्य कारणों से परेशानी छुपा जाते हैं। अगर समय रहते इस बीमारी के बारे में पता चल जाए तो अच्छी बात यह है इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। बीमारी के दूसरी या तीसरी अवस्था में पहुंचने पर ही यह जानलेवा साबित होती है।
बीमारी के प्रमुख लक्षण
- यदि स्तन के आकार में बदलाव, सूजन, दर्द, गांठ, लालपन, रक्त का आना, निप्पल का सिकुड़ना, लगातार जलन रहना आदि
- परेशानी हो तो इसे सामान्य समस्या मानकर नजरअंदाज न करें। तत्काल चिकित्सक से परामर्श लें। इस तरह की परेशानी स्तन कैंसर का संकेत हो सकती है।
रोग का कारण
- परिवार में कैंसर का आनुवंशिक होना ।
- बच्चे को स्तनपान न कराना ।
- अधिक उम्र मे मां बनना।
- हार्मोंस का असंतुलन।
- अत्यधिक या नियमित शराब का सेवन।
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