Commerce Class 11th Ke Notes
Golden Rule Of Commerce

1. दोहरालेखा प्रणाली के जनक ल्यूकॉस पैसियोली है।
2. दोहरालेखा प्रणाली की खोज 1494 में इटली के वेनिस नगर में हुआ था।
3. ल्यूकॉस पैसियोली कि पुस्तक का नाम “De Computiset Scripturise” है।
4. पुस्तपालन को अंग्रेजी में “Book Keeping” कहते हैं।
5. “पुस्तपालन व्यवसायिक तथा अन्य सौदो को मुद्रा के रूप में लिखने की कला है” स्पाइसर व वेगलर
6. पुस्तपालन काल एवं विज्ञान दोनों है।
7. पुस्तपालन का अर्थ व्यापारिक व्यवहारों को पुस्तकों में नियमानुसार लिखना है।
8. लेखाकर्म में पुस्तपालन का जांच किया जाता है।
9. जहां पुस्तपालन का अंत होता है, वहां से लेखाकर्म का प्रारंभ होता है।
10. पुस्तपालन के चार प्रणालियां है 1. रोकड़ प्रणाली 2. इकहरा लेखा प्रणाली 3. दोहरा लेखा प्रणाली 4. भारतीय बहीखाता प्रणाली
11. इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेण्ट्स की स्थापना 1949 में हुयी।
12. लेखाकर्म में यन्त्रो का प्रयोग नहीं होता है।
13. दोहरा लेखा प्रणाली का अर्थ सौदो का दो खातों में लेखा करना है।
14. डेविड(Debit) लैटिन भाषा के डेबिटम (Debitum) शब्द से बना है। जिसका अर्थ उनसे देय (Due for That) है।
15. क्रेडिट (Credit) लैटिन भाषा के Credere से बना है। जिसका अर्थ उसको देय (Due to That) है।
16. लेखाकर्म की प्रथम सीढ़ी जर्नल है तथा अंतिम सीढ़ी निर्वचन है।
17. कोई व्यापारी जिस वस्तु का व्यापार करता है। वह उसका माल(Goods) है।
18. निजी प्रयोग के लिए माल या मुद्रा का प्रयोग आहरण Drawings कहलाता है।
19. सूची मूल्य में बिक्री बढ़ने के उद्देश्य से की गई कमी व्यापारिक छूट(Trade Discount) कहलाती है।
20. Trade Discount = Price x % Of Trade Discount / 100
21. भुगतान समय से पहले प्राप्त करने के उद्देश्य से दिया गया छूट नगद छूट कहलाता है।
22. Cash Discount (Price – Trade Discount) x % Of Cash Discount
23. कॉमर्स (वाणिज्य) का अर्थ व्यापार + वितरण सेवाओं से है।
24. वैधानिक प्रबंधक एवं विवेकीकरण औद्योगिक युग की देन है
25. मानव व्यवस्था विकास की 6 अवस्थाएं हैं:- (1) आत्मनिर्भरता युग (2) पशुपालन युग (3)कृषि युग (4) हस्तकला युग (5) गृह उद्योग युग (6) औद्योगिक युग
26. “वाणिज्यिक की पेशो का संबंध वस्तुओं के क्रय-विक्रय वस्तुओं के विनिमय तथा निर्मित उत्पादों के वितरण से है” थामस
27. वस्तु विनिमय प्रणाली का जन्म कृषि युग में हुआ ।
28. दास प्रथा का जन्म पशुपालन युग में हुआ।
29. कंप्यूटर का प्रयोग औद्योगिक युग में हुआ।
30. “व्यवसाय एक ऐसा कार्य है, जिसका मुख्य उद्देश्य मौद्रिक लाभ तथा है जिसकी जोखिम कि मौद्रिक हानि है।“ थामस
31. व्यवसाय का मुख्य उद्देश्य समाज सेवा द्वारा लाभ अर्जित (प्राप्त) करना है।
32. व्यवसाय एक मानवीय क्रिया है।
33. व्यवसाय कला एवं विज्ञान दोनों है।
34. प्रजनन द्वारा उनकी संख्या में वृद्धि जननिक उद्योग है:- जैसे कृषि, बागवानी, मत्स्य, पशुपालन आदि
35. प्रकृति की गोद से वस्तुओं को प्राप्त करना निष्कर्षण उद्योग है:- कोयला, पत्थर, तेल, मछली पकड़ना, सागर से मूंगा मोती शेख आदि प्राप्त करना।
36. कच्चे माल से पक्का माल तैयार करना निर्माण करना उद्योग है:- जैसे चीनी, सूती, रेशमी, कागज, लोहा इस्पात आदि उद्योग।
37. किसी निश्चित स्थान पर वस्तुओं को बनाना रचनात्मक उद्योग कहलाता है:- जैसे पुल, बांध, भवन, सडक, नहर का निर्माण।
38. सश्लेषणात्मक उद्योग वह है जिसमे संश्लेषण क्रिया के द्वारा वस्तु का निर्माण किया जाता है:-जैसे कार में इंजन कही और बॉडी कही और बनाया जाना तथा दोनों में पुनः जोड़कर कार बनाना।
39. पेशा व्यवसाय का प्रथम उद्देश्य सेवाभाव होता है।
40. प्रदूषण मुख्यत: पांच प्रकार का होता है। 1. जल प्रदूषण 2. वायु प्रदूषण 3. ध्वनि प्रदूषण 4.मृदा प्रदूषण 5. रेडियोधर्मी प्रदूषण
41. पर्यावरण संरक्षण अधिनियम सन् 1986 में बनाया गया था।
42. विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून को मनाया जाता है।
43. सहकारी संस्थाओं को उद्देश्य – “एक सबके लिए तथा सब एक के लिए कार्य करते हैं।
44. “लाभ जोखिम का पुरस्कार है” – प्रो0 टॉमस
45. ईमानदारी व्यापार की सर्वश्रेष्ठ नीति है।
46. औद्योगिक क्रांति सबसे पहले इंग्लैंड प्रारंभ हुआ।
47. विश्व का सबसे गोपनीय व्यापार एकल व्यापार है।
48. साझेदारी व्यापार में कम-से-कम दो तथा अधिकतम बैंकिंग में 10 तथा सामान्य व्यापार में 20 सदस्य होते हैं।
49. एलआईसी(LIC) वैधानिक निगम है।
50. रेलवे तथा पोस्ट ऑफिस सरकार का विभागिय उपक्रम है।
51. बिजली विभाग सरकार का प्राधिकृत क्षेत्र है।
52. एचएमटी (HMT) सरकारी कंपनी है।
53. साझेदारी अधिनियम 1932 में बना।
54. कंपनी अधिनियम 1956 में बना।
55. “ऐसा उपक्रम जिसका स्वामित्व एवं प्रबंध एक ही व्यक्ति द्वारा किया जाता है - एकाकी
56. व्यवसाय अथवा एकल स्वामित्व कहलाता है” शिल्ट व विल्सन के अनुसार
57. एकल व्यापार व्यवसायिक संगठन का सबसे प्राचीन रूप है।
58. एकल व्यापार में किसी विशेष औपचारिकता की आवश्यकता नहीं होती हैं।
59. एकल व्यापार में व्यापारी का दायित्व असीमित होता है।
60. एकल व्यापार का जीवन असीमित होता है।
61. एकल व्यापार में गोपनीयता से संदेह का जन्म होता है।
62. “एक व्यक्ति का नियंत्रण विश्व में सर्वश्रेष्ठ है यदि वह व्यक्ति इतना बड़ा हो कि वह व्यवसाय का स्वयं प्रबंध कर सकें।“ विलियम आर वैसेट के अनुसार
63. एकल व्यापारी की अनुपस्थिति में हानि होती है।
64. एकल व्यापार में उतावलापन, सीमित साख की समस्या होती है।
अधिकोषण तत्व
65. दो पक्षों के मध्य वस्तुओं एवं सेवाओं के ऐच्छिक वैधानिक तथा पारस्परिक हस्तांतरण विनिमय कहलाता है।
66. विनिमय में कम-से-कम दो पक्षों का होना आवश्यक है।
67. “एक वस्तु से दूसरी वस्तु की सीधी अदल-बदल ही वस्तु विनिमय कहलाती है।“ थायॅस
68. धातु मुद्रा लोहा, ताबा, टिन, सीसा, पीतल है।
69. चेक, ड्राफ्ट, विनिमय विपत्र, प्रतिज्ञा पत्र, हुण्डी – यह सब साख मुद्रा है।
70 मुद्रा शब्द की उत्पत्ति संस्कृत भाषा के मणि शब्द से हुआ।
71. “मुद्रा का प्रादुर्भाव प्राचीन सभ्यता के साथ-साथ हुआ।” वीन्स
72. मुद्रा शब्द लैटिन भाषा के Moneta शब्द से बना है।
73. “मुद्रा वह है जो मुद्रा का कार्य करे।” – हार्टले विदर्स
74. “मुद्रा क्रयशक्ति है- कोई ऐसी वस्तु जो वस्तुओ को खरीदती है” कोल
75. मुद्रा के सहायक कार्य- 1. क्रय शक्ति का संचय 2. भावी भुगतान का आधार 3. मूल्य का हस्तान्तरण है।
76. “मुद्रा वह है जिसे सर्वग्राहयता प्राप्त है।” – क्राउथर
77. “मुद्रा एक अच्छा सेवक है किन्तु बुरा स्वामी है।” – प्रो. राबर्टसन
78. “मुद्राके प्रमुख कार्य – 1. विनिमय का माध्यम 2 मूल्य का माप
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें
Thanks You Guys
Please Share This Link