साझेदार (Partnership)
- चालू व्यवसाय में साझेदारो की सहमति से नये व्यक्ति फर्म या संस्था को शामिल करना नये साझेदार का प्रवेश कहलाता है ।
- New Profit Sharing Ratio = Old Profit Sharing Ratio – New Profit Sharing Ratio
- Sacrifice Ratio = Old Profit Sharing Ratio – New Profit Sharing Ratio
- त्याग अनुपात वह अनुपात है जिसे पुराने साझेदार नये साझेदार को प्रदान करके फर्म में शामिल करते है।
- जब नया साझेदार समान दर से सभी साझेदारो से हिस्सा पाता है तो पुराना लाभ हानि अनुपात तथा त्याग अनुपात बराबर होता है।
- ख्याति एक अदृश्य स्थायी सम्पत्ति है। यह सच्चाई ईमानदारी प्रतिष्ठा आदि का परिणाम होता है।
- ‘’ख्याति एक लाभ है जो व्यवसाय के संबधं एवं प्रसिद्धि से उत्पन्न होती है’’ यह कथन लार्ड लिण्डले का है।
- ख्याति तीन प्रकार की होती है। A - बिल्ली के स्वभाव की ख्याति B - कुत्ते के स्वभाव की ख्याति C - चूहे के स्वभाव की ख्याति
- Goodwill = Total Profit x Purchase Number Of The Year/ Number Of The Year
- Super Profit = Actual Or Average Profit – Normal Profit
- Goodwill = Super Profit x Number Of Purchases Year
- नये साझेदार का प्रवेश साझेदारी अधिनियम 1932 की धारा 31(1)(2) में वर्णित है।
- अवयस्क को केवल लाभ के लिये साझेदार बनाया जा सकता है।
- साझेदारो में लाभ हानि का बटवारा साझेदारी संलेख के अनुसार करना चाहिए।
- नये साझेदार के प्रवेश के पश्चात चिट्ठे मे ख्याति खाता बन्द करना अनिवार्य है।
- फर्म मे छिपी हुयी ख्याति गुप्त ख्याति है।
- नये साझेदार के प्रवेश पर सम्पत्तियो एवं दायित्व का मुल्य ज्ञात करने के लिए पुनमूल्यांकन खाता बनाया जाता है।
- सम्पत्तियो के मूल्यो में वृध्दि लाभ होता है। इसे Cr. पक्ष में दिखाते है।
- दायित्वो के मूल्यो में वृध्दि हानि होता है। इसे Dr. पक्ष में दिखाते है।
- सम्पत्तियो के मूल्यो में कमी हानि होता है। इसे Dr. पक्ष में दिखाते है।
- दायित्वो के मूल्यो में कमी लाभ होता है। इसे Cr. पक्ष में दिखाते है।
- स्थायी सम्पत्तियो के मूल्य में कमी लाभ ह्रास कहलाता है।
- पुनर्मूल्यांकन खाता नाम मात्र का खाता है।
- नये साझेदार के प्रीमियम की राशि पुराने साझेदार त्याग अनुपात में बाट लेते है।
- पुनर्मूल्यांकन पर लाभ तथा हानि को पुराने साझेदार पुराने अनुपात में वहन करते है।
- पुनर्मूल्यांकन के केडिट पक्ष का Dr. पक्ष पर आधिक्य लाभ कहलाता है।
- पुनर्मूल्यांकन के डेबिट पक्ष का Cr. पक्ष पर आधिक्य हानि कहलाता है।
- पेटेण्ट्स एक अमूर्त सम्पत्ति है।
- प्रश्न में लाभ हानि अनुपात स्पष्ट न होने पर बराबर अनुपात माना जाता है।
व्यावसायिक संगठन
- व्यापार का अर्थ वस्तुओ एवं सेवाओ का क्रय विक्रय है।
- देशी की सीमाओ के अन्दर होने वाला व्यापार देशी व्यापार कहलाता है।
- देशी व्यापार की प्रक्रिया का प्रथम चरण पुछताछ होता है।
- पुछताछ के उत्तर को ‘’निर्ख पत्र’’ या कोटेशन के नाम से जानते है।
- माल उधार देने से पूर्व व्रिकेता क्रेता के आर्थिक स्थिति को निम्न बिन्दु से जानने की कोशिश करता है – व्यापारिक सन्दर्भ, व्यापारिक सुचनालय, व्यक्तिगत, व्यापार मण्डल, निजी साधन, बैंक आदि।
- रेलवे से विक्रेता को जो रसीद मिलती है उसे रेलवे बिल्टी R/R कहते है।
- रेलवे बिल्टी अर्ध्दविनिमय साध्य प्रलेख है।
- रेलवे बिल्टी खोने पर क्षतिपूर्ति अनुबन्ध भरना पडता है।
- विक्रेता द्वारा बीजक तैयार किया जाता है।
- अवधि के पश्चात माल छुडाने पर विलम्ब शुल्क देना पडता है।
- हल्के एवं खराब होने वाले सामान सवारी गाडी से भेजा जाता है।
- बीजक एक विवरण पत्र है। जिसमें माल की किस्म दर संख्या आदि का विस्तृत विवरण विक्रेता द्वारा क्रेता को दिया जाता है।
- बीजक दो प्रकार का होता है। 1. सुचनार्थ बीजक 2. पूर्ण बीजक
- व्यापारिक छूट बिक्रय मूल्य से घटाई जाती है।
- सूचनार्थ बीजक अनुमानित होता है।
- नकद छूट विक्रय मूल्य से व्यापारिक छूट घटाने के बाद घटाते है।
- व्यापारिक छूट को सूची मूल्य से घटाया जाता है।
- परिशोध कमीशन सकल विक्रय मूल्य पर दिया जाता है।
- जब बीजक का योग अधिक लग जाता है। विक्रेता द्वारा जमापत्र (Credit Note) बनाया जाता है।
- जब बीजक में योग कम लगाता है।तो नाम पत्र Debit Note बनाया जाता है।
- रेल मूल्य में माल लादने तक के व्यय सम्मिलित होते है।
Foreign
Trade
- दो देशो के मध्य होने वाला व्यापार विदेशी या अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार कहलाता है।
- ’स्टीफेन्सन – ‘’जो व्यापार एक देश की सीमाय पार करके किया जाता है। विदेशी व्यापार कहलाता है।‘’
- विदेशी व्यापार तीन प्रकार के होते है।1. आयात व्यापार 2. निर्यात व्यापार 3. पुननिर्यात व्यापार
- भारत में फिलिप्स वाटा आदि विदेशी शाखाए है।
- विदेशी व्यापार से दो देशो के बीच सभ्यता एवं संस्कृति का विकाश होता है।
- विदेशी व्यापार का प्रथम चरण आर्डर या इण्डेण्ट से प्रारम्भ होता है।
- आर्डर उत्पाद कम्पनी को दिया जाता है।
- इण्डेण्ट दो प्रकार का होता है – 1. खुला इण्डेण्ट 2. बन्द इण्डेण्ट
- वह स्थान जहां आयात करनी आयात कर, Import Tax चुकाने तक अपना माल रखता है। प्रमाणित गोदाम कहलाता है।
- गोदाम अधिकारी माल रखने पर जो रसीद देता है। गोदी वारन्ट या डाक वारन्ट कहलाता है।
- पूरा जहाज किराये पर लेने के सम्बन्ध में जहाजी कम्पनी एवं निर्यात एजेण्ट के मध्य होने वाला अनुबन्ध नवभाटक पत्र कहलाता है।
- नवभाटक पत्र तीन प्रकार का होता है – 1. यात्रा नवभाटक पत्र 2. समय नवभाटक पत्र 3. समय+यात्रा नवभाटक पत्र
- आयात कर चुकाने हेतु जो फार्म भरा जाता है। प्रवेश विल या आगम पत्र कहलाता है।
- प्रवेश विल की तीन प्रतिया भरी जाती है – काल, नीला, आसमानी रंग की होती है।
- विदेशी व्यापार में रूक्के वाला बिल या प्रलेखी बिल का प्रयोग बैक के द्वारा भुगतान करने के लिये होता है।
- नवभाटक पत्र को चार्टर पार्टी के नाम से भी जानते है। यह विदेशी व्यापार में ही प्रयोग होता है।
- जहाजी बिल्टी विदेशी व्यापार में प्रयोग होता है।
- जहाजी बिल्टी दो प्रकार का होता है – 1 वाहक बिल्टी 2 अदिस्ट बिल्टी
- जहाजी बिल्टी अर्ध्द विनिमय साध्य प्रलेख है।
- जहाज का कप्तान माल लदने पर जो रसीद देता है। कप्तान की रसीद या भेट की रसीद कहलाती है।
- प्रेषक या प्रतिनिधि का विदेशी चुंगी घर से परमिट प्राप्त करना होता है।
- कप्तान की रसीद दो प्रकार की होती है। 1 स्वच्छ 2 दूषित
- आर्डर एक ही प्रकार का होता है।
- आर्डर लिखित तथा मौखिक दोनों हो सकता है।
- इण्डेण्ट केवल लिखित होता है।
- विदेशी व्यापार में मतभेद होने पर पंच निर्णय का प्रयोग होता है।
- रेलवे बिल्टी का प्रयोग देशी व्यापार में होता है।
- विदेशी व्यापार में भुगतान विदेशी मुद्रा में किया जाता है।
d. यूरोपिय देशो के साथ व्यापार करने पर Euro (Symbol Of Money €) में करना पडेगा।
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