Environmental Engineering
पर्यावरण इंजीनियरिंग क्या हैं?
"दूसरे शब्दों में कहें, तो पर्यावरण इंजीनियरिंग, इंजीनियरिंग की वह शाखा है, जो पर्यावरण के मुद्दों और समस्याओं पर केंद्रित है।"
पर्यावरण का स्तर दिन ब दिन बद से बदतर होता जा रहा है। ग्लोबल वार्मिंग, वायु, जल और भूमि प्रदूषण, मिट्टी का क्षरण, पेड़ों की कटाई आदि पर्यावरण के सामने आने वाली प्रमुख समस्याएं हैं। इन समस्याओं से निबटने, पर्यावरण की सरक्षा और सुधार 'पर्यावरण इंजीनियरिंग के अंतर्गत आता है। पर्यावरण इंजीनियरिंग (एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग) एक ऐसा क्षेत्र है, जो पर्यावरण से संबंधित समस्याओं पर काम करता है। प्राकृतिक संसाधनों की गुणवत्ता का स्तर सुधारने में योगदान देता है। यह क्षेत्र पर्यावरण के संरक्षण से संबंधित होता है। इसमें कार्य करने वाले पर्यावरण इंजीनियर्स पर्यावरण के संकट की चुनौतियों का सामना करने का प्रयत्न करते हैं। पहले, एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग को सिविल इंजीनियरिंग की एक शाखा माना जाता था।
क्या है एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग
एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग विज्ञान और इंजीनियरिंग के सिद्धातों का मिश्रण है, जिनकी मदद से इस पृथ्वी पर निवास करने वाले मानव और अन्य जीव-जंतुओं को एक अच्छा वातावरण, स्वास्थ्यवर्धक हवा, पानी और जमीन आदि मुहैया कराने का प्रयास किया जाता है। दूसरे शब्दों में कहें, तो पर्यावरण इंजीनियरिंग, इंजीनियरिंग की वह शाखा है, जो पर्यावरण के मुद्दों और समस्याओं पर केंद्रित है।शैक्षणिक योग्यता
पर्यावरण इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन करने के लिए आपके पास फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथमेटिक्स में 12वीं पास का प्रमाणपत्र होना चाहिए। वहीं पोस्टग्रेजुएशन करने के लिए एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री जरूर होनी चाहिए।
संभावनाओं से भरा क्षेत्र
एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग में नौकरी के लिहाज से सरकारी एवं निजी कई तरह के क्षेत्र हैं, जहां आपको नौकरी मिल सकती है। चाहे रिसर्च सेंटर्स हों, एनजीओ हो या फिर सरकारी विभाग आदि। प्रदूषण नियंत्रक संस्थाओं में डिजाइनर या प्लानर के रूप में भी अपना भविष्य संवार सकते हैं। भारत की सरकारी संस्था केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी यूपीएससी परीक्षा के तहत एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग संबंधी पेशेवरों की भर्ती करती है। सरकारी और निजी संस्थाएं रिसर्चर के तौर पर नियुक्ति करते हैं। विश्वविद्यालयों में प्राध्यापक बनकर भी भविष्य निर्माण कर सकते हैं।
कार्य स्वरूप
एनवायरमेंटल इंजीनियर को वातावरण संबंधी प्रबंध और उसका ऑडिट करना पड़ता है। जैसे-जैसे शहरों का विकास हो रहा है, वैसे ही यहां कई तरह की परेशानियां भी जन्म देने लगी हैं। इनमें अलग-अलग तरह के प्रदूषण और कूड़ा-कचरा की समस्या प्रमुख होती है। इनसे निपटने के लिए एनवायरमेंटल इंजीनियर को इनका प्रबंध करना पड़ता है। इसके अलावा शहरीकरण के कारण प्राकृतिक पर्यावरण को भी बहुत नुकसान पहुंचा है। प्राकृतिक पर्यावरण का मानवीय जीवन से तारतम्य बनाने के लिए भी एनवायरमेंटल इंजीनियर्स की आवश्यकता पड़ती है।
प्रमुख शिक्षण संस्थान
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी,खेड़गपुर,
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी), दिल्ली ,
(www.iitd.ac.in)
मणिपाल यूनिवर्सिटी (एमयू, कर्नाटक
(www.manipal.edu)
इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी (आईसीटी), मुंबई,
(www.ictmumbai.edu.in)
कमाई हो कितनी
- 20-25 हजार शुरुआत में एक पर्यावरण इंजीनियर की सैलरी हो सकती है।
- 35-50 हजार रुपये एमटेक कर चुके लोगों का वेतनमान होता है।
- एनवायरमेंटल इंजीनियर बनकर न सिर्फ आप वातावरण को स्वच्छ बनाने में योगदान करते हैं, बल्कि खुद के लिए एक बेहतर भविष्य का निर्माण भी करते हैं।
वेतन की बात
जहां तक वेतन की बात है, तो यह बहुत हद तक संगठन पर निर्भर करता है कि आप किस संगठन से जुड़े हैं। संगठन सरकारी है या प्राइवेट। हालांकि, शुरुआत में एक एनवायरमेंटल इंजीनियर को प्रत्येक माह 20 से 25 हजार रुपये आसानी से मिल जाते हैं। कुछ वर्षों के अनुभव के बाद आप किसी संस्थान में बतौर सलाहकार भी जुड़ सकते हैं। पर्यावरण इंजीनियरिंग में एमटेक कर चुके लोगों को 35 से 50 हजार रुपये प्रति माह वेतन मिलता है।
बेहतर विकल्प
करियर के लिहाज से यह एक अच्छा ऑप्शन है। भारत में इसका बहत स्कोप है। जैसे-जैसे देश में शहरीकरण हो रहा है, वैसे-वैसे एनवायरमेंटल इंजीनियर की मांग भी बढ़ रही है।
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