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2020-04-20

jivan(Life) me safalta(Success) pane ke upay, Ya Mahilaye(Woman) Life Me Safalata Kaise Hasil Kar Sakati Hain, Tips, Tarika Ke Bare Me Jankari

Jivan(Life) Me Ek Safal Yani Success Woman (Aurat) Kaise Bane??

आपके पास अच्छे विचार हैं, अच्छी योजनाए हैं और इन योजनाओ को पूरा करने की काबिलियत हैं, तो सफलता आपकी कदम चूमेगी। बस आप अपने शब्दकोश पर ध्यान दे।

कहते हैं, इंसान की वाणी से ही उसकी पहचान बनती है। वह जो बोलता है, वही उसका अंतर्मन है, वही उसकी सोच है और उसी से उसके विचार दूसरों तक पहुंचते हैं। इसलिए विद्वानों ने कहा है कि जो भी बोलना हो, उसे तोलकर बोलना चाहिए। अर्थात खूब सोच विचारकर ही बोलना चाहिए। क्योंकि एक बार यदि शब्द आपके मुख से निकल गए, तो वे कभी वापस नहीं आएंगे। अपनी बात कहने के लिए आप जिन शब्दों का सहारा ले रही हैं, उन्हें नाप-तोलकर ही दूसरों तक पहुंचाएं। यदि आप महिला हैं और ऊंचे पद पर हैं, तो आपके लिए यह और भी चुनौतीपूर्ण तथा आवश्यक हो जाता है। जब आप अपने घर-परिवार और दोस्तों के बीच होती हैं, तो आपको अपने विचारों और सोच को व्यक्त करने में अधिक कठिनाई नही होती, क्योंकि अधिकतर लोग आपके व्यक्तित्व से वाकिफ होते हैं। लेकिन ऑफिस में ऐसा नहीं होता। ऑफिस में आपके साथियों, टीम के सदस्यों के बीच आपका व्यवहार, बोलने का अंदाज और सबसे अधिक अपने विचार व्यक्त करने के लिए आप किन शब्दों का सहारा ले रही हैं, इस बात पर निर्भर करता है। इसी से आपकी काबिलियत और आत्मविश्वास का पता चलता है।

आपके विचार, आपकी क्षमता, आपका आत्मविश्वास, करियर और सफलता के रास्ते में कहीं आपके कुछ नकारात्मक शब्द या वाक्य


 आड़े तो नहीं आ रहे हैं? यदि ऐसा हैं तो जितना जल्दी हो सके, इन्हे भूल जाइए और अपने शब्दकोश से हमेशा के लिए निकाल दीजिये।

आपके पास अच्छे विचार हैं, अच्छी सोच हैं, अच्छी योजनाए हैं और इन योजनाओ को पूरा करने की काबिलियत भी हैं, तो सफलता निश्चित ही आपके कदम चूमेगी। पर इसके साथ ही आपको अपने विचार व्यक्त करने, दूसरों के विचारो को अपनाने का हुनर भी आना चाहिए। इसके लिए नपे तुले शब्द और आत्मविश्वस चाहिए। साथ ही कई शब्दो से छुटकारा भी, जो आपको आगे बदने से रोक रहे हैं। रेल्वे स्पोट्स प्रोमोसन बोर्ड के सचिव के अनुसार(जो महिला हैं), 'जब आप ऐसी पोजिसन पर हैं


जहां आपकी बात सुनी जाती है, तो वहां आपकी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है कि आप जो भी बोलें सोच-समझकर बोलें और आपके शब्दों में नकारात्मक भावना दिखाई नहीं दे। क्योंकि जब आप ही नकारात्मक जैसे कि मैं यह नहीं कर सकती, मैं वह नहीं कर सकती, बोलेंगी तो उसका पूरे ऑफिस पर असर पड़ेगा। आपके बारे में एक धारणा बन जाएगी कि आप कुछ नहीं कर सकतीं। बजाय एकदम से अपना आत्मविश्वास खो देने के, आपको कुछ अतिरिक्त योजनाएं, बेहतर करने की जिज्ञासा दर्शानी चाहिए। न कहने से तो आपने सभी दरवाजे बंद कर दिए। कई बार ऐसा होता है कि आपके पास विचार हैं, लेकिन उन्हें व्यक्त करने के लिए आप शब्दों की माला नहीं बना पाते। शब्दों को एक माला की तरह पिरोने की कोशिश करनी चाहिए। तभी आपकी बातें खूबसूरत और प्रभावी बन पाएंगी।"

 मैं नहीं कर सकती

 किसी मीटिंग में एक असाइनमेंट पर चर्चा हो रही है, बात आप तक पहंचती है। जैसे ही आपके मुंह से ये शब्द निकलते हैं 'मैं नहीं कर सकती..' वैसे ही यह संदेश भी साथ चला जाता है कि आपके अंदर उस काम को करने की क्षमता और योग्यता नहीं है। आप स्वयं अंदाजा लगाइए कि लोगों के सामने आपकी कैसी इमेज बनेगी। वहां उपस्थित सभी लोग यही मान बैठेंगे कि आप में काबिलियत नहीं है। जाने-अनजाने ही आपने अपनी क्षमताओं को सीमित कर दिया। इसकी जगह यदि आप कहें 'मैं यह नहीं करूंगी' तो सभी के दिमाग में यह वाक्य कौंधेगा कि क्या नहीं करेंगी। तब आप अपनी बात ढंग से और आत्मविश्वास के साथ रख सकेंगी। आपकी बात सुनी भी जाएगी और नाकाबिल होने का आरोप भी नहीं लगेगा। ध्यान रखिए, बड़े पदों पर आसीन लोगों से इस तरह के वाक्यों की अपेक्षा नहीं की जाती। इसलिए इस तरह के शब्दों को सबसे पहले अपने शब्दकोष से दूर कर दीजिए।

मैं विशेषज्ञ नहीं हूं, लेकिन... 

'मैं विशेषज्ञ नहीं हूं', 'निश्चित तौर पर मैं नहीं


कह सकती' जैसे वाक्य किसी भी मीटिंग में आपकी बात को कमजोर कर सकते हैं। इतना बोलने भर से ही लगता है कि आप अपनी बात पर कायम नहीं रहेंगी? आपको गलत होने का भी डर सता रहा है और जैसे ही गलत अथवा अनिश्चित होने का डर बैठा, वहीं आपने अपनी नकारात्मक छवि बनाने का मौका अपने साथियों को दे दिया। इस दुनिया में कोई भी मनुष्य सर्वज्ञानी नहीं है और न ही हर कोई विशेषज्ञ। आप ही क्यों सफाई दें। जो बात कहनी है, उसे अपना विचार समझकर दावे से कहिए। इसमें जिसकी असहमति होगी, उसे भी बोलने दीजिए। सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिले तो कोई बात नहीं। अपनी बात तथ्यों के साथ मन ही मन दोहराकर फिर से कहिए। कुछ बोलने से पहले ही अपने आप को गलत समझ लेना कहां की समझदारी है। इससे तो आप बोलने से ही कतराने लगेंगी। आपके बोलने से क्या होगा, बस इतना ही कि आपके विचार खारिज हो जाएंगे या फिर लोग पसंद नहीं करेंगे। इससे आपकी जॉब या पोजीशन पर तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा। अपने विश्वास को मजबूत करने के साथ ही अपनी आलोचनाओं का स्वागत करिए।

क्या यह संभव है

मान लीजिए कोई महत्वपूर्ण बैठक चल रही है। आप भी उस बैठक का एक अहम हिस्सा हैं। आपको भी अपनी बात रखनी है, अपने विचारों को सबके बीच साझा करना है। आपकी बारी आती है और आप अपनी बात प्रश्न से शुरू करती हैं जैसे 'क्या यह संभव है?' 'क्या होगा यदि हम इसे ऐसे करेंगे तो' आदि। देखा जाए तो ये सामान्य शुरुआत है, इसमें कुछ गलत नजर नहीं आता। लेकिन आप ऐसा न करें। कारण यह कि आप अपनी बात प्रश्न से शुरू कर रही हैं। हो सकता है की  कोई साथी आपके प्रश्न को ही खारिज कर दे अथवा प्रतिप्रश्न ही कर दे। अगर यही बात अपने विचार के रूप में रखेंगी, तो आप पर सबसे पहले विश्वास किया जाएगा और और गंभीरता से आपकी बात सुनी जाएगी। प्रश्न की बात नहीं विचार दीजिए।


क्या मैं सही कह रही हूं

 जब हम किसी बात को इस वाक्य 'क्या मैं सही कह रही हूं' से शुरू करती हैं, तो इसक क्या संदेश सामने वाले के मन में जाएगा। यही न कि आप खुद उस बात को सही नहीं मान रही हैं। तब दूसरे क्यों मानेंगे। आपको खुद ही भरोसा नहीं है, तो लोग भी आपको गंभीरता से नहीं लेंगे। यदि आप मार्केटिंग के क्षेत्र मे हैं, तो यही संदेश जाएगा की आपका विचार कमजोर हैं। इसलिए पहले अपने विचारो को टीम के साथ साझा कीजिए और फिर अपनी बात रखिए। इससे सकारात्मक वातावरण बनाने में मदद मिलेगी।

अपने विचार एक प्रश्न के रूप में सबके सामने रखने से यही संदेश जाता है कि आप ही अपने विचारों को अच्छा नहीं मानतीं, जब तक दूसरे उसे अच्छा नहीं मानें? जाहिर है आप क्यों ऐसा चाहेंगी। इसलिए जब भी बोलें अपने विचारों को सवालों के रूप में नहीं, बल्कि कुछ इस तरह बोलें 'मुझे विश्वास है... या मेरा मानना है' जैसे शब्दों से अपनी बात शुरू करें। इससे स्पष्ट संदेश जाता है कि आप जो बात कह रही हैं  उसमे दम हैं।

 आपका लक्ष्य अपनी बात को कम शब्दों में  स्पष्ट, तथ्यपरक और सकारात्मक ढंग से रखना है, ताकि आपकी बात सुनी जाए। उसकी  आलोचना कम हो, ऑफिस में आपके व्यक्तित्व की एक अलग पहचान बने। अगर आप शब्दों, वाक्यों और लहजे का ध्यान रखेंगी तो सफलता आपसे कभी दूर नहीं जाएगी।

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