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Clubfoot Kya Hai?
आज की भाग-दौड़ भरी और तनावपूर्ण जिंदगी के कारण लोगों को अपने जीवन में कई असामान्यताओं का सामना करना पड़ रहा है। इसी तरह की एक असामान्यता ‘क्लबफुट' स्थिति है यानी अंदर की तरफ मुड़ी हुई पैरों की उंगलियां।
उदयपुर स्थित नारायण सेवा संस्थान के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अमरसिंह चुंडावत के मुताबिक, यह एक जन्मजात ऑर्थोपेडिक विसंगति है, जो किसी पारंपरिक उपचार या ऑपरेटिव ट्रीटमेंट के बाद वापस पहले जैसी स्थिति में आ सकती है। दरअसल, यह एक जन्मजात दोष है, जिसमें पैर या तो अंदर की तरफ या नीचे की ओर घूमे हुए होते हैं। नतीजतन, इन बीमारियों से पीड़ित बच्चे बिल्कुल भी नहीं चल पाते हैं, यहां तक कि वे खुद बाथरूम तक भी नहीं जा पाते हैं। आमतौर पर, बच्चे के जन्म के करीब एक सप्ताह के भीतर इस स्थिति का पता लग जाता है। इस स्थिति का इलाज इसका पता लगने के तुरंत बाद शुरू होता है और ऐसे मामलों में प्री-सर्जिकल और पोस्टसर्जिकल उपचार भी उपलब्ध हैं।
जन्म के करीब एक सप्ताह के भीतर ही क्लब फूट का पता चलता हैं। यदि इस दौरान ही इसका उपचार हो जाए, तो इसके खतरे को कम किया जा सकता हैं।
गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान भी इसका एक कारण होता हैं, जो बच्चो मे इस विकार को जन्म देने की आशंका को बढ़ाता हैं।
शोधकर्ता क्लबफुट के कारणों के बारे में अनिश्चित हैं, हालांकि वे दृढ़ता से मानते हैं कि यह गर्भ में एमनियोटिक द्रव की कमी से संबंधित है, क्योंकि एमनियोटिक द्रव फेफड़ों, समग्र मांसपेशियों और पाचन तंत्र के विकास में मदद करता है। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान एक और कारण धूम्रपान हो सकता है, जो बच्चे में इस विकार को जन्म देने की आशंका को बढ़ाता है। इसके अलावा जिन बच्चों का पारिवारिक इतिहास हैं, उनके इस विकार से पीड़ित होने का सबसे ज्यादा जोखिम हैं।
निदान के दौरान क्लबफुट के लक्षण सामने आने पर रोगी को दिया जाने वाला उपचार निर्धारित किया जा सकता है। कुछ मामलों में, वे इसकी गंभीरता को जांचने और इसका निदान करने के लिए अल्ट्रासाउंड की मदद लेते हैं। प्रारंभिक स्थिति में इसका उपचार कराने से स्थिति के अधिक गंभीर होने की आशंका को कम किया जा सकता है। डॉ. चंडावत कहते हैं, "यह आवश्यक है कि बच्चे को जन्म के तुरंत बाद उपचार मिलना चाहिए। इसके अलावा यह भी जरूरी है कि मातापिता को बच्चे की स्थिति को लेकर गलत धारणाएं बनाए बिना डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।"
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