Degenerative Disc Disease Ki Samasya Se Kaise Nidan Paye
Intervertebral Disc Kise Kahte Hai? Ke Bare Me
रीढ़ की हड्डी (स्पाइन) में स्थित इंटर वर्टिबल डिस्क (आईवीडी) पर ज्यादा दबाव पड़ने से कालांतर में डीजनरेटिव डिस्क डिजीज (डीडीडी) की समस्या उत्पन्न हो जाती है, लेकिन आटीफिशियल डिस्क रिप्लेसमेंट तकनीक के प्रचलन में आने से इस समस्या का इलाज संभव है। क्या आपको मालूम है कि सीधे खड़े होने या झुकने की सभी स्थितियों को सुचारु रूप से संचालित करने में डिस्क का महत्वपूर्ण योगदान है। ऐसी डिस्क को इंटर वर्टिबल डिस्क कहते हैं। रीढ़ की हड्डी में स्थित होने वाली ये इंटरवर्टिबल डिस्क हमारी गर्दन से लेकर कमर के निचले हिस्से के दाहिनी ओर तक जाती है।
आईवीडी के प्रमुख कार्य: IVD Ke Pramukh Kary
इंटरवर्टिब्रल डिस्क का प्रमुख कार्य कमर या रीढ़ पर पड़ने वाले भार को बर्दाश्त करना है साथ ही चलने-फिरने पर, विभिन्न झटकों को बर्दाश्त करना है। रीढ़ में लचीलेपन और गतिशीलता की स्थितियां आईवीडी पर निर्भर हैं। आईवीडी पर पड़ने वाले लगातार दबाव के कारण इसकी क्षीण व कमजोर होने की प्रक्रिया कहीं ज्यादा तेजी से होती है। शरीर के अन्य जोड़ों की तुलना में आईवीडी 15 से 20 साल पहले ही क्षतिग्रस्त हो सकती है।
रोग के कारण : ऑफिस में डेस्क वर्क या कंप्यूटर के सामने बैठकर देर तक काम करना और भारी वजन उठाना आईवीडी में आए विकारों (डिफेक्ट्स ) का एक प्रमुख कारण है। इसके अलावा शारीरिक व्यायाम का अभाव और मादक पदार्थों का अधिक सेवन युवा वर्ग में भी डिस्क की समस्या बढ़ने का एक प्रमुख कारण है।
इसके लक्षण(Symptoms)
कमर में दर्द होना और इसमें कड़ापन महसूस होना।
कुछ लोगों में यह दर्द बांहों के निचले भाग से पैरों के निचले भाग तक होता है, जिसे सियाटिका के दर्द का एक प्रकार कह सकते हैं।
हाथों और पैरों में सुन्नपन और भारीपन महसूस होना। इसके साथ ही जलन और फटन महसूस होना।
बांहों में कमजोरी व वस्तुओं को पकडने में दिक्कत महसूस करना।
लिखने में और वजन उठाने में दिक्कत महसूस करना। रोग की गंभीर स्थिति में बांहों और पैरों में लकवा लग सकता है।
मरीज का मल-मूत्र पर नियंत्रण खत्म हो जाता है।
जानें आधुनिक इलाज के बारे में : (DDD) Degenerative Disc Disease Ke Adhunik Ilaj Ke Bare Mein
अभी तक डीजनरेटिव डिस्क डिजीज (डीडीडी) की समस्या से छुटकारा पाने के लिए फ्यूजन सर्जरी का सहारा लिया जाता है। इस सर्जरी से मरीज को आराम तो मिलता है, लेकिन यह इस समस्या का स्थाई और कारगर समाधान नहीं है। इसकी समस्या का आधुनिक इलाज आर्टीफिशियल डिस्क रिप्लेसमेंट या डिस्क रिप्लेसमेंट आर्थोप्लास्टी है। इस सर्जिकल प्रक्रिया के अंतर्गत क्षतिग्रस्त इंटरवर्टिब्रल डिस्क को आर्टीफिशियल डिस्क के जरिए बदल दिया जाता है।
खूबियां कृत्रिम डिस्क की:
• कृत्रिम या आर्टीफिशियल डिस्क के लग जाने के बाद डीजनरेटिव डिस्क डिजीज से पीड़ित व्यक्ति आगे-पीछे झुक सकता है।
• रीढ़ की हड्डी पर पड़ने वाले झटकों को बर्दाश्त करने की क्षमता बढ़ जाती है। सच तो यह है कि क्षतिग्रस्त आईवीडी का यह एक कारगर समाधान है। इस डिस्क के प्रत्यारोपण के बाद मरीज 40 साल बाद भी सुचारु रूप से कार्य कर सकता है।
• डिस्क रिप्लेसमेंट में एंडोस्कोपी की मदद से एक छोटा चीरा लगाकर आर्टीफिशियल डिस्क प्रत्यारोपित की जाती है। डिस्क रिप्लेसमेंट सर्जरी में संक्रमण का खतरा भी कम होता है। मरीज को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ होता है।
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