Computer Malware Attack Ke Bare Me Jankari
Malware Attack Kya Hota Hai ?
मैलिसियस सॉफ्टवेयर आपकी निजी फाइलों तक पहुंचकर उन्हें दूसरी डिवाइस में ट्रांसफर कर सकता है। इसके जरिए हैकर्स आपकी सूचनाएं, फोटो, वीडियो, बैंक अकाउंट आदि से जुड़ी जानकारी चुरा सकते हैं।
मेल वेयर एक प्रकार का सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है। इसे मैलिसियस सॉफ्टवेयर भी कहते हैं। यह एक ऐसा सॉफ्टवेयर है, जो आपके कंप्यूटर को बहुत नुकसान पहुँचाता है। सॉफ्टवेयर को हैकर्स अन्य लोगों के कंप्यूटर से डाटा चोरी करने के लिए डिज़ाइन करते हैं। हैकर्स की भाषा में मैलवेयर टर्म का यूज वायरस, स्पाइवेयर और वोर्स आदि के लिए किया जाता है। ये सभी वायरस के ही रूप हैं। मैलवेयर आपकी निजी फाइलों तक पहुंचकर उन्हें दूसरी किसी डिवाइस मे ट्रांसफर कर सकता है। इसके जरिए हैकर्स आपका सूचनाएं, फोटो, वीडियो, बैंक या अकाउंट से जुड़ी जानकारी चुरा सकते हैं। मैलिसियस सॉफ्टवेयर आपके कंप्यूटर में कई तरह से आ सकते हैं, जैसे या तो आप खुद ही उन्हें गलती से डाउनलोड कर लें या किसी स्पैम ईमेल के जरिए या किसी वेबसाइट के जरिए आपके कंप्यूटर में पहुंच जाएं।
मैलवेयर के प्रकार मैलिसियस सॉफ्टवेयर कई प्रकार के होते हैं, जो अलग-अलग तरह से हमारे कंप्यूटर और डाटा को नुकसान पहुंचाते हैं।
Virus: वायरस मैलवेयर का सबसे लोकप्रिय प्रकार है। हम बाकी के मैलवेयर को भी वायरस ही बुलाते हैं, लेकिन ये सभी एक जैसे नहीं हैं। एक लोकल कंप्यूटर में सबसे ज्यादा खतरा वायरस से ही होता है। वायरस हमारे पास एक साधारण सॉफ्टवेयर के रूप में ही आता है। जब हम इसे अपने कंप्यूटर में इंस्टॉल करते हैं, तो यह हमें अपना असली रंग दिखाता है। यह हमारे कंप्यूटर की जरूरी फाइल्स, जैसे- ऑपरेटिंग सिस्टम को इन्फेक्टेड कर देता है या उसे क्रेश कर देता है, जिससे कंप्यूटर खराब और डाटा करप्ट हो जाता है।
Worms : वोर्म्स काफी हद तक कंप्यूटर वायरस की तरह ही होते हैं। इसकी खास बात यह है कि यह अपने आप की ही कई कॉपी बना सकता है यानी यह फैलता जाता है और आपके नेटवर्क से जुड़े सारे या किसी भी एक कंप्यूटर में जाकर उसे इन्फेक्टेड कर सकता है। इसे फैलने के लिए किसी निर्देश की जरूरत नहीं पड़ती है। यह आपके कंप्यूटर में ईमेल, इंटरनेट सर्किंग, डाउनलोडिंग के समय आ सकता है। यह वायरस की तरह ही आपके डाटा को नुकसान पहुंचाता है या उसे क्रेश कर देता है।
Trojan Horse : ट्रोजन हॉर्स कंप्यूटर में इंस्टॉल होते ही उस पर नियंत्रण पा लेता है। इसके बाद यह वायरस और दूसरे मैलवेयर से कंप्यूटर पर हमले करवाता है, जिससे हमारा डाटा करप्ट हो जाता है।
Ransomware : रैनसमवेयर के एक बार कंप्यूटर में इंस्टॉल होने के बाद हमारा सारा डाटा एन्क्रिप्ट कर दिया जाता है यानी उसे लॉक कर दिया जाता है। उसे अनलॉक या डिक्रिप्ट करने के लिए हमसे पैसे मांगे जाते हैं। रैनसमवेयर के ज्यादातर हमले बिटक्वाइन या क्रिप्टोकरेंसी के भुगतान के लिए ही होते हैं। जिससे रैनसमवेयर के डेवलपर को या रैनसमवेयर भेजने वाले को पकडा न जा सका।
Spyware : स्पाईवेयर का काम आपके द्वारा अपने कंप्यूटर में की गई सभी प्रतिक्रियाओं और डाटा पर नजर रखना और उन्हें किसी और के पास भेजना होता है। ये किसी भी अनजान सॉफ्टवेयर के साथ बाइंड होकर आपके कंप्यूटर में इंस्टॉल हो सकते हैं। स्पाईवेयर को किसी खास व्यक्ति, जगह या किसी खास कंप्यूटर को टारगेट करके ही बनाया जाता है।
Adware : ऐडवेयर का मकसद आपके कंप्यूटर या डाटा को हानि पहुंचाना नहीं होता, बल्कि इसके इंस्टॉल होने के बाद आपको बिना किसी एप को ओपन किए ही होम स्क्रीन पर ही विज्ञापन दिखने लगते हैं।
मैलवेयर से बचने के उपाय
कुछ भी डाउनलोड करने से पहले यह जांच लें कि वेबसाइट असली है या नकली। यदि वेबसाइट ज्यादा मशहूर नहीं है, तो आप उस वेबसाइट पर कमेंट पढकर पता लगा सकते हैं कि वह कैसी है? यदि वेबसाइट में कमेंट सेक्शन नहीं है, तो वहां से कुछ भी डाउनलोड न करें। ईमेल अटैचमेंट को ठीक से देखकर ही खोलें और डाउनलोड करने के बाद उसे किसी एंटीमैलवेयर सॉफ्टवेयर से स्कैन करे। सॉफ्टवेयर डाउनलोड करते समय सॉफ्टवेयर की ऑफिसियल वेबसाइट का ही उपयोग करें। पायरेटेड चीजें, जैसे- फिल्में या पेड सॉफ्टवेयर मुफ्त में डाउनलोड करने के चक्कर में न रहें। इसकी वजह से आपके डाटा को खतरा भी हो सकता है।
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