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2020-06-26

pati patni ke rishte majboot karne ke upay ya pati patni ke rishte mein sudharane ke upay

जिंदगी में हर व्यक्ति को अपने लिए 'निजी स्पेस' की जरूरत होती है। इस निजी स्पेस को आप अपनी सलाहों से भर देने की कोशिश न करें। सलाहें उतनी ही अच्छी, जितनी जरुरी हो। पति-पत्नी के रिश्ते की मजबूती के लिए आप अपने सहयोग को देखें और परखें...कहीं ज्यादा

तो नहीं हो रहा है।



हर इंसान की जिंदगी में निजता बेहद जरूरी है, बेशक वह शादीशुदा ही क्यों न हो। और जब यह नहीं मिल पाती तो दोनों के बीच तनाव के साथ-साथ उनमें चिड़चिड़ापन भी बढ़ने लगता है। इस रिश्ते में सहयोग के साथ थोड़ी आलोचना भी जरूरी है। 





सलाह पर सलाह

बेहतर होगा कि बिना प्रमाण के चीजों को समझने या सुझाव देने की प्रवृत्ति से निकलकर सलाह तभी दें, जब आपसे मांगी जाए। तब भी उस पर अपनी बात थोपें नहीं, केवल सुझाव के तौर पर उसके सामने अपनी राय रखें। 

2. अगर आप अपने साथी से सहयोग चाहती हैं, तो यह मानकर न चलें कि वह आपके दिल और दिमाग में चलने वाली बातों को पढ ही लेगा और आपके बिना कहे यह समझ लेगा कि उसे आपका सहयोग चाहिए या नहीं। आप खुलकर अपने साथी से बात करें।

3. सवाद कायम रखे। बहुत ज्यादा सहयोग करना या बिल्कुल भी सहयोग न करना, दोनों ही स्थितियां ठीक नहीं है। इसलिए संचार कर बीच का रास्ता चुनें। याद । रखें एक बैलेंस बनाकर रखना महत्वपूर्ण है।

4. अगर आपको साथी से सहयोग चाहिए, तो उससे आग्रह करें, अगर आप सहयोग देना चहती हैं, तो पूछे कि आप किस तरह से उसकी मदद कर सकती हैं। अपने मन या इच्छा से कुछ भी करने की कोशिश न करें।

5. साथी के विश्वास को बनाए रखने के लिए आप भावनात्मक सहारा दे सकती हैं। उसकी क्षमताओं की और उसका ध्यान दिलाए या उसे अहसास कराएं कि किस तरह से वह पहले भी कठिन परिस्थितियों से बाहर आ चुके हैं।

6. अपने साथी पर बहुत ज्यादा हक जमाने का आपका व्यवहार भी आपको हर पल साथी को सहयोग देने या उसकी परेशानियों को ओद लेने के लिए उकसाता है। साथी से प्यार करे, उसकी मदद करे, लेकिन उसे इस बंधन मेन बा कि सिर्फ आप ही है जो उसकी हितैषी है। उसे दूसरे विकल्पों, यानी मित्रों, रिश्तेदारों आदि को भी तलाशने या सलाह लेने का मौका दे और उसके फैसले का सम्मान करें।




पर्सनल स्पेस नहीं मिलता

    यह सही है कि आपके पार्टनर को आपके साथ की आवश्यकता होती है और हर साथी चाहता है कि उसका साथी उसे सहयोग दे, पर अमेरिका की 'यूनिवर्सिटी ऑफ आयोवा' में हुए एक अध्ययन से यह बात सामने आई है कि बहुत ज्यादा सपोर्ट आपकी शादी को खतरे में डाल सकता है। असल में बहुत ज्यादा सहयोग अंततः एक हस्तक्षेप का रूप ले लेता है और इस तरह जोड़ों के बीच एक निजता नहीं रहती। मैरिज काउंसलर मानतेे हैं कि हर इंसान की जिंदगी में निजता जरूरी है, बेशक वह शादीशुदा ही क्यों न हो। निजता न मिल पाने की स्थिति में उनके बीच तनाव के साथ-साथ उनमें चिड़चिड़ापन भी बढ़ने लगता है और साथी को लगने लगता है कि चूंकि आप उसे लगातार सहारा दे रही है, उसकी वजह यह है कि आप उसे काबिल नहीं मानते हैं। ऐसे में वह आपके सहयोग को सकारात्मक तरीके से लेने के बजाय नकारात्मक रूप में ले लेता है। कहा जाता है न कि बहुत ज्यादा मिठास भी रिश्तों में कड़वाहट भर देती है। इसलिए चाहे वो मीठा हो, नमकीन हो या खट्टा, हर तरह का स्वाद वैवाहिक जीवन में होना चाहिए।


कमियों पर ध्यान दिलाएं

हमेशा साथी का समर्थन करना या उसकी लगातार प्रशंसा करते जाना उसके काम में बाधक हो सकता है। फैसले लेने में कभी-कभी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जब आपका साथी एक बुरे वक्त से गुजर रहा हो, तो उसका समर्थन करना सही लग सकता है, क्योंकि आप उस पर अटूट विश्वास करती हैं, लेकिन यह विश्वास कभी-कभी आपके साथी की कमियों पर पर्दा डाल देता है और वह लगातार भूल करता ही जाता है, जो आगे चलकर उसके करियर में बाधक बन सकती है।


Main Jaise Sabdo Ko Bhul Jana Behatar Hain


कुछ साथी, अपने साथी की जरूरतों या भावनाओं को उसके बताने से पहले ही समझने लगते हैं और यह जानने की कोशिश नहीं करते कि वास्तव में उनका साथी क्या चाहता है। यही नहीं, ऐसे साथी स्वयं को किसी मेंटर से कम नहीं समझते और ये मानकर चलते हैं कि उन्हें साथी को सलाह देते रहना चाहिए। यह भूमिका निभाने में धीरे-धीरे उन्हें मजा आने लगता है और वे स्वयं को एक ऊंचे पायदान पर बैठा महसूस करते हैं। इस तरह उनके अहंकार को भी हवा मिलती है। वे मानने लगते हैं कि सिर्फ वही साथी को हर मुश्किल से बचा सकते हैं वहीं, साथी को लगता है मानो उसका दम घुट रहा है। उसकी सोच पर जैसे उसे प्यार करने वाला साथी हावी होने लगता है। तब वह उस बंधन को तोड़ने के लिए बैचेन हो उठता है और झटके से साथी को उस पायदान से नीचे गिरा देता है। जाहिर है तब चीजों को पहले से समझने वाले साथी के अहंकार को ठेस पहुंचती है और आपस में मतभेद आरंभ हो जाता है।




कोई कारण हो तभी...


अक्सर हम लोगों को ऐसी बातें कहते सुनते पाते हैं कि, काश मेरा पति कुछ ज्यादा सहयोग देने वाला होता... मैं हमेशा उसे सहयोग देना चाहता हूं, पर उसे तो मेरी किसी बात की कद्र ही नहीं है... जब वह परेशान होती है तो मैं समझ नहीं पाता कि मुझे क्या करना चाहिए... जिस तरह वह मुझे सहयोग करती है, उससे तो लगता है कि वह मेरे कहे बिना ही मेरे मन की सारी बात समझ लेती है। ये सब बातें सुनने में बेशक बहुत अच्छी लगती हैं, पर आपकी अवांछित सलाह कई बार साथी को परेशान भी कर सकती है।

इसकी वजह यह भी है कि हर समय साथी आपकी सलाह, परामर्श या फिर एक अभिभावक की तरह मार्गदर्शक बनना पसंद नहीं करता है। अक्सर होता भी यही है कि साथी सलाह देते-देते एक अभिभावक की भूमिका में आ जाते हैं और यह बात महिलाओं पर ज्यादा लागू होती है। जबकि एक पुरुष अपनी पत्नी के अतिरिक्त अपने मित्रों, परिवार के अन्य सदस्यों से भी सलाह या सहयोग की अपेक्षा रखता है या उनका भी उसे सहयोग मिलता है। इसलिए पति को जब-तब सहयोग करके अपने रिश्ते में दरार पैदा करने की खुद ही वजह न बनें।


मनोवैज्ञानिक यह भी मानते हैं कि


स्वभाव से पुरुष थोड़े अंतर्मुखी होते हैं, इसलिए समस्याओं से घिरने पर वे अकेला रहना पसंद करते हैं, जबकि औरत चाहती है कि उनकी छोटी-छोटी बातें सुनी जाएं, उनका हाथ पकड़ साथी उसे सांत्वना दे कि सब ठीक हो जाएगा या उसे सीने से लगाकर उसके आंसू पोंछ दे। यही वजह है कि औरतों के पास सहयोग के बहत सारे जरिए होते हैं और उसे वे अपनी ताकत मानती हैं, जबकि पति को लगता है कि अगर कोई उसे बहुत ज्यादा सहयोग कर रहा है, तो वह इसलिए क्योंकि वह उसे कमजोर या नाकाबिल मानता है।


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