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2020-06-12

What Is An Internet Of Things Device Kya Hai? Internet Of Things (IOT) Ke Kya Kary Hote Hai Ke Bare Me Jankari Hindi Mein

Internet Of Things Device Ke Bare Mein

 

इंटरनेट ऑफ थिंग्स एक नई अवधारणा है। आम भाषा में हम इंटरनेट को कंप्यूटरों के वैश्विक नेटवर्क के रूप में जानते हैं, लेकिन वस्तुओं से जुड़ा इंटरनेट एक हकीकत बनता जा रहा है। आइए जानें, इंटरनेट ऑफ थिंग्सकी ताकत और फायदों के बारे में...

 

नाम सुनेंगे तो ताज्जुब होगा कि क्या ऐसा भी कोई इंटरनेट हो सकता है-चीजों का इंटरनेट या चीजों के लिए इंटरनेट? आम भाषा में हम इंटरनेट को कंप्यूटरों के वैश्विक नेटवर्क के रूप में जानते हैं। उस पर इंसानों के भी अनगिनत नेटवर्क संचालित हो रहे हैं, यह भी हम जानते हैं, लेकिन वस्तुओं या चीजों का इंटरनेट?  यह एक आम सवाल है कि भला यह कैसे हो सकता है और इसमें तुक भी क्या है? लेकिन 'इंटरनेट ऑफ थिग्स' एक हकीकत है, जो टेक्नोलॉजी के फायदों और उसकी टेक एक्सपर्ट ताकत को और भी बढ़ाने वाली है। 

 

IOT Kya Hota Hai, Uske Bare Me Jane?

 

इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आइओटी) इंटरनेट से जुड़े हुए ऐसे उपकरणों का नेटवर्क है, जो इंटरनेट पर मौजूद सेवाओं का उपभोग कर सकते हैं। वे अपने जैसे दूसरे उपकरणों से संपर्क कर सकते हैं, इंटरनेट के जरिए दूर से नियंत्रित किए जा सकते हैं और इसी तरह उनकी निगरानी भी की जा सकती है। एक आम उदाहरण हमारे घरों के बाहर-भीतर लगाए जाने वाले आइपी कैमरे हैं, जो इंटरनेट के जरिए आपके स्मार्टफोन या पर्सनल कंप्यूटर तक तस्वीरें भेज सकते हैं। इतना ही नहीं, जरूरत पड़ने पर वे दूर से ही चालू या बंद किए जा सकते हैं। जरूरी नहीं कि इंटरनेट ऑफ थिंग्स से जुड़े ये उपकरण कोई बहुत आधुनिक किस्म के तकनीकी गैजेट हों। ये रोजमर्रा के काम में आने वाली सामान्य चीजें, मशीनें आदि भी हो सकती हैं। शर्त यह है कि उनमें डिजिटल संकेतों को प्रॉसेस करने, इंटरनेट से कनेक्ट करने और ऐसी ही दूसरी डिजिटल गति‍विधियां चलाने की क्षमता हो।

घरों में लगने वाले एयरकंडीशनर देखिए। बुनियादी किस्म के एयर में आप बटन या रिमोट के जरीये इसको घटा या बढ़ा सकते हैं, लेकिन एयरकंडीशनरों में एक छोटी-सी डिवाइस भी होती है, जिसमें उस समय का तापमान भी अंकित होता है। आप रिमोट कंट्रोल के जरिए इन एयरकंडीशनरों का तापमान सेट कर सकते हैं और कुछ ही देर में कमरे का तापमान उस स्तर पर पहुंच जाता है। यह तापमान एयरकंडीशनर की स्क्रीन पर दिखाई भी देता है। अब जरा कल्पना कीजिए कि किसी एयरकंडीशनर में अलग से एक हार्डवेयर फिट किया गया हो, जो इंटरनेट पर मौजूद किसी प्रणाली या सेवा के साथ कनेक्ट हो सके। तब ऐसा मोबाइल एप बनाया जा सकता है, जो उसी सेवा से कनेक्ट होकर आपके एयरकंडीशनर को नियंत्रित कर सके। अपने दफ्तर में बैठे-बैठे ही आप घर का एसी ऑन या ऑफ कर सकें। ऐसा Air Conditioner Internet Of Things की श्रेणी में आएगा। दिलचस्प बात यह है कि Internet Of Things महज चीजों तक सीमित नहीं है, बल्कि आपका कमरा, घर, मोहल्ला, दफ्तर और यहां तक कि पूरा का पूरा शहर भी इस नेटवर्क का एक सदस्य हो सकता है। शर्त वही है कि इसमें डिजिटल संकेतों तथा सूचनाओं को प्रॉसेस करने, इंटरनेट से संपर्क करने और संकेतों के लेनदेन की क्षमताएं होनी चाहिए। ऐसा भी कहा जा सकता है कि Internet Of Things के विकास का अगला चरण है। पहले हम केवल कंप्यूटर को इंटरनेट से कनेक्ट करते थे। उसके बाद स्मार्टफोन भी इंटरनेट से कनेक्ट हो गया और आज भारत जैसे देशों में इंटरनेट के इस्तेमाल का सबसे बड़ा जरिया स्मार्टफोन ही है। विकास के अगले चरण में अब हम इंटरनेट से वस्तुओं, उपकरणों, प्रक्रियाओं और चीजों की एक पूरी सीरीज को जोड़ रहे हैं। आइए देखते हैं कि दूरसंचार और आधुनिक तकनीक के इतिहास में इंटरनेट ऑफ थिंग्स की क्या भूमिका है। 

 

इंटरनेट-पूर्व : Internet Ka Pratham Charan(First Step)

 

इंटरनेट ऑफ थिंग्स के विकास को अगर पांच चरणों में विभाजित किया जाए, तो सबसे पहला चरण इंटरनेट से पूर्व का होगा, जिसमें लोग या तो सीधे एक दूसरे के साथ संपर्क किया करते थे या फिर फिक्स्ड टेलीफोन और मोबाइल टेलीफोन के जरिए। फोन ने उपभोक्ताओं का नेटवर्क बनाने में मदद की, क्योंकि लोग दूर से भी एक दूसरे के संपर्क में रहने लगे।

 

इंटरनेट ऑफ कंटेंट: Internet Ka Dusara Charan(Second Step)

 

 

दूसरे चरण की शुरुआत World Wide Web(WWW) से हुई जब हम Email, इंटरनेट पर मौजूद सूचनाओं, इंटरनेट पर उपलब्ध मनोरंजन आदि का प्रयोग करने लगे। इसी चरण में कई IT Platform और सेवाएं विकसित हुई। नेटवर्किंग की प्रक्रिया अब पहले से ज्यादा आसान हो गई, लेकिन अभी भी नेटवर्क के रूप में हम कंप्यूटर या कंप्यूटर जैसे उपकरणों तक ही सीमित थे।

 

इंटरनेट ऑफ सर्विसेजः Internet Of Services Internet Ka Tisara Charan(Thirds Step)

 

 

तीसरे चरण को हम वेब 2.0 के रूप में जानते हैं, जब इंटरनेट का इस्तेमाल महज सूचनाओं, मनोरंजन और संवाद से आगे बढ़ गया। अब वह उत्पादकता, वाणिज्य, शिक्षा, सरकार आदि क्षेत्रों में पहुंचा। यह ई-कॉमर्स, ई-शिक्षा, ई-गवर्नेस आदि के विकास और स्थापना का काल था। इसी दौरान स्मार्टफोन और स्मार्ट एप्लिकेशनों की शुरुआत हुई। यही वह समय था जब एपल ने आइफोन का विकास किया, जिसके बाद कंप्यूटिंग, संचार और कंटेंट के प्रसार और इस्तेमाल के तौर-तरीके बदल गए।

 

इंटरनेट ऑफ पीपल: Internet Of People Internet Ka Chautha Charan(Four Step)

 

 

चौथे चरण को सोशल मीडिया के दबदबे वाले युग के रूप में देखा जा सकता है। इस दौरान इंटरनेट का प्रयोग करते हुए लोगों को करीब लाना और आपस में जोड़ना बेहद आसान हो गया। इस दौरान क्रांतिकारी प्लेटफॉर्म, सेवाएं और प्लेटफॉर्म उभरे जिन्होंने भौगोलिक दूरियों को पाट दिया। स्काइप, फेसबुक, यूट्यूब, लिंक्डइन आदि देखते ही देखते बेहद लोकप्रिय हो गए और उन्होंने इंसानों के इंटरनेट के विकास को और आगे बढ़ाया। इसी दौरान स्मार्ट उपकरणों, स्मार्ट चीजों, स्मार्ट टैग आदि का भी प्रादुर्भाव हुआ।

 

इंटरनेट ऑफ थिंग्सः Internet Of Things Internet Ka Panchava Charan (Five Step)

इस पांचवें और आखिरी चरण में इंटरनेट इंसानों, सामग्री या सेवाओं से आगे बढ़कर इतना विस्तार पा गया कि उसमें मशीनों या चीजों को भी शामिल कर लिया गया। दुनिया की अरबों मशीनें इंटेलिजेंट और स्मार्ट बन गई, क्योंकि उनमें इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल तकनीकों को एम्बेड यानी फिट किया गया था। इन मशीनों के बीच आपस में भी संपर्क होने लगा और वे एक-दूसरे के साथ तालमेल करके काम करने लगीं। साथ ही, उन्हें इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल माध्यमों से दूर से ही संचालित करना, पहचानना, निगरानी करना भी संभव हो गया।

इंटरनेट ऑफ थिंग्स के आने से इन तमाम उपकरणों के जरिए बड़ी मात्रा में डेटा तैयार होने लगा। इस डेटा को दूसरे डिजिटल माध्यमों के साथ जोड़कर प्रॉसेस करना भी आसान हो गया। डेटा तैयार करने का जिम्मा अब इंसान तक ही सीमित नहीं रह गया था, बल्कि स्मार्ट मशीनों ने उसका कुछ काम खुद संभाल लिया था। इनमें छोटी-बड़ी तमाम तरह की मशीनें शामिल थीं, जो न सिर्फ सूचनाओं का इस्तेमाल कर सकती थीं, बल्कि खुद सूचनाएं पैदा भी कर रही थीं अपने बारे में, अपनी गतिविधियों के बारे में, अपनी स्थिति के बारे में, अपने आसपास के बारे में और यहां तक कि दूसरों के बारे में भी।

इंटरनेट ऑफ थिंग्स के आने से हम एक और क्रांतिकारी दौर में आ गए हैं, जब जीवन के तमाम क्षेत्रों में इंटेलिजेंट उपकरण अपनी जगह बनाते जा रहे हैं। ये उपकरण हमारे जीवन को बेहतर और ज्यादा सुविधाजनक बनाने वाले हैं। वे हमारे लिए बेहतर इलाज, बेहतर सुरक्षा और बेहतर परिवहन आदि का भी रास्ता साफ करेंगे। आज आप आसानी से ऐसे फ्रिज की कल्पना कर सकते हैं, जो अपने भीतर रखी चीजों का हिसाब-किताब रख सके और जरूरत पड़ने पर आपको सूचित कर सके कि उसमें फलां चीज बहुत कम रह गई है। आप ऐसे पेस मेकर की कल्‍पना कर सकते है जो हृदय में कोई असामान्‍य गतिविधियो होने पर मरीज या डॉक्‍टर को खबर कर दे। इन्‍हे यह क्षमता इंटरनेट ऑफ थिंग्स से ही मिली है। लेकिन अभी तो शुरूआत है।

 

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