गहरी नींद में सोने के आसान उपाय या गहरी नींद लाने या आने के लिए घरेलू उपाय
नींद की कमी केवल थकावट ही नहीं, बल्कि सेहत संबंधी कई समस्याओं को भी बढ़ाती है। लेकिन इसके लिए जिम्मेदार आप नहीं, बल्कि आपकी दिनचर्या भी हो सकती है।
1940 की तुलना में आज आधुनिक व्यक्ति के सोने का पैटर्न बिल्कुल बदल चुका है। व्यक्ति के सोने की अवधि ही कम नहीं हुई है, बल्कि लोग गहरी नींद भी
नहीं ले पा रहे हैं। नींद की कमी ने सेहत संबंधी कई
समस्याओं को बढ़ा दिया है। अब सवाल यह है कि
गहरी नींद पाए कैसे? सही नींद के लिए क्या करें? तो
जवाब है जीवनशैली में बदलावा अपनी दिनचर्या में
संतुलन बैठाकर नींद के पैटर्न को सही कर सकते हैं,
जैसे कि-
1. शारीरिक व्यायाम या मेहनत करने से
अच्छी नींद आती है, क्योंकि इससे दर्द निवारक रसायन एंडोर्फिन निर्मित होता है।
गहरी नींद लेने के पश्चात अगले दिन
ज्यादा श्रम के लिए शरीर में ऊर्जा आ जाती है। नई
स्फूर्ति और शक्ति प्राप्त होती है। इस प्रकार श्रम और
विश्राम दोनों ही एक-दूसरे पर परस्पर निर्भर हैं।
2. कई बार अनियमित कार्यों की वजह से भी
नींद का समय बाधित होता है, इसलिए
दिनचर्या में संतुलन जरूरी है। निश्चित
समय पर सोना और निश्चित समय पर
उठना सबके लिए जरूरी है। शरीर की बायोलॉजिकल
क्लॉक की रिसेट करने के लिए एक बार निर्णय कर लें
कि आपको कितने बजे जागना है और कितने बजे
सोना है? समय सेट करने में 3-4 दिन कठिनाई
महसूस हो, किंतु शीघ्र ही शरीर और दिमाग इस पैटर्न
के आदी हो जाते हैं।
3. मेलाटोनिन नामक रसायन को बनाने के
लिए अंधेरे की जरूरत होती है, जिससे नींद
आती है। शाम के बाद मोबाइल और
लैपटॉप स्क्रीन से दूर रहें। एलईडी स्क्रीन से निकली नीली प्रकाश किरणें जब आँखों पर पड़ती
हैं, तो ब्रेन को सूचना मिलती है कि अभी दिन का वक्त
है और मस्तिष्क दिग्भ्रमित हो जाता है और वह
मेलाटोनिन का निर्माण नहीं कर पाता।
4. रात को अपना कमरा सामान्य से ज्यादा
ठंडा रखें। यदि दिन के वक्त आप 21-22
डिग्री तापमान पर सक्रिय रहती हैं, तो
अच्छी नींद की खातिर तापमान 2-3 डिग्री
कम होना चाहिए। 18,19 और 20 डिग्री सेल्सियस
पर हमारा ब्रेन आसानी से सो सकता है। गर्मी एक
प्रकार की ऊर्जा है, जो सक्रियता व बेचैनी उत्पन्न
करती है, शिथिल नहीं होने देती। गर्म पानी से स्नान
करने के बाद या 15 मिनट पैदल चलकर ऊष्मा पैदा
करने के बाद, जैसे ही ठंडे कमरे में आने पर तापमान
घटना आरंभ होता है, गहरी नींद आने लगती है।
5. शराब और कैफीन के असर से नींद
डिस्टर्ब होती है। याद रखिए कि अल्कोहल
सेडेटिव (संतोषजनक) नहीं है। चाहे कोई
व्यक्ति कहे कि मुझे डिनर के बाद
अल्कोहल लेने से नींद में कोई बाधा नहीं पड़ती, किंतु
अध्ययन से पता चलता है कि उसकी नींद उथली रहती
है। नींद तो आती है, मगर सुबह वैसी ताजगी और
स्फूर्ति प्राप्त नहीं होती, जैसी होनी चाहिए।
6. यदि किसी रात 20 मिनट तक नींद नहीं
लगी, तो दूसरे कमरे में चले जाएं। वहां
हल्की रोशनी जलाएं। आपकी साहित्यिक
रुचि है, तो कुछ पढ़ लें। अथवा मधुर
संगीत का आनंद लें। जब नींद आने लगे, तब अपने
कमरे में वापस लौटें। रात को कभी उत्तेजक संगीत न
सुनें। विवादास्पद विषयों पर चर्चा न करें। चिंता करते
हुए न सोएं, इससे भी नींद प्रभावित होती है।
7. ध्यान करना सीखें। अपने नर्वस सिस्टम
को रिलैक्स होने का प्रशिक्षण दें। सुबह
जागरूकता बढ़ाने वाले ध्यान का प्रयोग
करना चाहिए, जैसे सक्रिय ध्यान
(डायनैमिक मेडिटेशन), विपश्यना मेडिटेशन आदि।
रात में योग निद्रा का प्रयोग उपयोगी है। योग निद्रा के
सुझावों को संगीतबद्ध किया गया है, जो कि ज्याद
प्रभावी हैं। आप कम वॉल्यूम पर इन्हें सुनते-सुनते गहरी
नींद में डूब जाएंगे। यह संगीत ट्रैक 24 मिनट का है।
8. हम सब जानते हैं कि भूखे पेट नींद नहीं
आती। अधिक भोजन लेने पर उबासियां
आने लगती हैं। चूंकि खाना पचाने के लिए
आंतों में रक्तसंचार बढ़ जाता है।
परिणामस्वरूप दिमाग में जाने वाले खून की मात्रा कम
हो जाती है। सोने के ठीक पहले थोड़ा-सा भोजन खाने
से गहरी नींद आसानी से आती है। इसके लिए अनिवार्य
है कि डिनर के वक्त कुछ कम भोजन लिया जाए।
ताकि कुल मिलाकर कैलोरी का हिसाब-किताब
संतुलित रहे।
9. श्रम और विश्राम की तरह ही ध्यान और
नींद भी एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। नींद
यानी बेहोशी, ध्यान यानी होश। जो व्यक्ति
दिन भर जितना होश में रहेगा, वह रात में
उतनी ही गहरी नींद लेता है। रात में जो गहरी निद्रा में
रहता है, वह दिन अपने हर काम को सजगता के साथ
कर पाता है। जो गहरी नींद नहीं ले पाता, वह ध्यान
साधना भी ठीक से नहीं कर सकता।
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