social media a boon or curse, bane
सोशल मीडिया के दुष्प्रभाव,
social media ke fayde aur nuksan | Social Media Ka kshatro Par Prabhav | Social Media Aur Aaj Ka Yuva Pidhi
सोशल मीडिया का छात्रों पर प्रभाव Or सोशल मीडिया और आज का युवा पीढ़ी
जब कभी हम अपने किसी पसंद के काम मे खो जाते है, तो उसका नशा हमारे दिमाक की घड़ी को भ्रमित कर देता हैं। जिस वजह से समय का हमारा एहसास गायब सा हो जाता है। ऐसे में पता ही नही चलता कि कब इतना समय बीत गया। सोशल नेटवर्किंग साइट्स भी एक नशा है, जिससे आज की पीढ़ी प्रभावित हो रही है।
लाइक, कमेंट और पोस्ट... ये है सोशल मीडिया की जादुई दुनिया। यह एक नशा है, जहां जाकर न समय का ज्ञान रहता है, न सेहत की चिंता। क्या पोस्ट करना है और क्या नहीं। किस पोस्ट से आपकी प्राइवेसी भंग हो सकती है, इस बात की परवाह किए बिना कुछ भी पोस्ट करते रहना और उम्मीद करना कि लोग ज्यादा-से-ज्यादा कमेंट करें। यह अपेक्षा मानसिक रूप से आपको कमजोर बना रहा है। विभिन्न शोध सोशल मीडिया के नकारात्मक पक्ष को उजागर कर रहे हैं, फिर भी हम नहीं चेत रहे हैं। आज लगभग सभी अपनी खुशी, अपना गम सोशल नेटवर्किंग साइट के जरिए ही शेयर कर रहे हैं। सोशल नेटवर्किग का दौर माई स्पेस से शुरू होकर फेसबुक और ट्विटर तक
पहुंच चुका है। ग्लोबल वेब इंडेक्स के अनुसार, दुनिया
भर में 2.8 बिलियन लोग सोशल मीडिया पर सक्रिय
हैं। पर इन सबके बीच क्या आपने कभी गौर किया है
कि सोशल मीडिया पर ज्यादातर लोग अपनी जिदंगी के
सबसे अच्छे पलों को साझा करते हैं और कई बार तो
वह सच भी नहीं होती... ये सिर्फ सोशल मीडिया
पर लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करने का जरिया
होता है।
अब जरा सोचिए, सोशल मीडिया पर कितने दोस्त हैं
आपके। सौ, हजार या फिर उससे भी ज्यादा, लेकिन
उनमें से कितनों से आप असल जिंदगी में वाकिफ हैं।
यकीन के साथ कहा जा सकता कि इनकी संख्या
आपके आभासी दोस्तों की आधी भी नहीं होगी। और ये
भी मुमकिन है कि आप सोशल नेटवर्किंग साइट पर
अपने दोस्तों की सफलता से खुश न हो... लेकिन
उनकी उपलब्धियां आपके जीवन में एक सवाल तो
जरूर छोड़ कर जाती है कि आपने अब तक क्या
किया? खैर ये ह्यूमन नेचर है कि हम अपनी
उपलब्धियों का ढोल पीटते हैं और कमजोरियों को
जितना हो सके छिपाने की कोशिश करते हैं।
पोस्ट करने से पहले विचार लें
सोशल मीडिया पर लोग अपने प्रमोशन या ट्रांसफर
जैसी बातों को बहुत जल्दी शेयर करते हैं। देखते-ही-
देखते उस पोस्ट पर लाइक और कमेंट का सिलसिला
भी शुरू हो जाता है। हालांकि, लोग अपने प्रमोशन में
देरी, बॉस के साथ नोक-झोंक जैसी बातें सोशल
मीडिया पर नहीं डालते, क्योंकि ऐसे अपडेट्स आपकी
नेगेटिव इमेज लोगों तक पहुंचाता है, जिसे शायद आप
पंसद न करें। पर तब क्या, जब आपके पोस्ट को ज्यादा
अहमियत न मिलें? अगर आपका स्टेट्स आपकी
वाहवाही का कारण नहीं बनता तो आप दुःखी हो जाते
हैं। इसमें कुछ गलत नहीं है, पर ऐसे विचार आपकी
आंकाक्षाएं बढ़ा देते हैं और मन ही मन आप खुद से
खीझने भी लगते हैं। इन दिनों एक और अपडेट्स का
चलन है.. चेक इन का।सोशल मीडिया पर आपके कई
ऐसे दोस्त होंगे, जो ज्यादातर छुट्टियां बिताते हैं। आप
उनकी अपडेट्स से दुःखी होने लगते हैं और ये सोचने
लगते हैं कि आपकी जिंदगी में उनकी तरह खुशिया क्यों
नहीं है। जरा सोचिए, फेसबुक और अन्य सोशल
नेटवर्किंग साइट्स तो 21वीं सदी में आई, इससे पहले
इनका कोई नामो-निशां नहीं था। फिर भी लोग एक-
दूसरे से जुड़े थे, लोगों में एक-दूसरे के पास जाने और
उनसे मिलने का समय था। तब भी लोग घूमने जाते थे,
तब भी छुट्टियां एन्जॉय करते थे। हां, तब सोशल
मीडिया आपके अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों पर चेक इन
पोस्ट जैसी सुविधा नहीं देता था। तब लोग घूम कर
आते थे. तो दोस्तों संग वहां यादें मिलकर शेयर करते
थे। इसी बहाने वे एक-दूसरे से मिलते थे। पर आज
ऐसा है क्या? शायद नहीं।
मैरिज और रिलेशनशिप अपडेट्स
सोशल मीडिया पर ज्यादातर लोग अपनी शादी या
डेटिंग की तस्वीरें पोस्ट करते हैं। ये दिखाने की कोशिश
करते हैं कि उनके बीच सब कुछ कितना अच्छा चल
रहा है। वे दुनिया की सबसे खुशमिजाज जोड़ी है।
हालांकि वे अपने रोजाना के होने वाले झगड़ों को लेकर
कोई अपडेट पोस्ट नहीं करते। वे यह दिखाना चाहते हैं
कि उनकी लाइफ में सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा
है। वे छोटी-छोटी बातें और तस्वीरें अपने दोस्तों के
साथ साझा करते हैं। मसलन, वे कहां गए-आए, वहां
उन्होंने कैसे मौज-मस्ती की। यों देखा जाए तो ज्यादातर
मामलों में किसी के द्वारा फेसबुक पर पोस्ट की गई बातें
या तस्वीरें उनके निजी जिंदगी में झांकने के लिए एक
खिड़की का काम करती हैं। इसमें कोई शक नहीं कि
ज्यादातर युवाओं के लिए फेसबुक वक्त काटने का
एक जरिया है। सभी को सोशल मीडिया पर लोगों के
बीच बने रहना पंसद होता है। और जब आपके पोस्ट
पर ज्यादा तवज्जो नहीं मिलती, तो आप खुद को और
बेहतर बनाने की कोशिशों में जुट जाते हैं। खुद से
परेशान रहने लग जाते हैं और लोगों का ध्यान अपनी
तरफ खींचने के लिए तरह-तरह के हथकंडे इस्तेमाल
करते हैं। यह ठीक उसी तरह होता है, जब भीड़ में
आपकी आवाज किसी को सुनाई न दे रही हो, तो आप
तेज चिल्लाना शुरू कर देते हैं। और तब आपके अंदर
एक ऐसा व्यक्तित्व जन्म लेता है, जिसे सिर्फ अपनी
अच्छाइयां सुनने की आदत पड़ जाती है।
सोशल मीडिया की लत
ज्यादातर लोग सोशल मीडिया पर 4-5 घंटे गुजार देते हैं। कई बार तो लोग मीटिंग के दौरान भी फोन रखना पंसद नहीं करते और इसका परिणाम यह होता है कि वे धीरे-धीरे अपनी याद रखने की क्षमता खो देते हैं। एक सर्वे के मुताबिक, लोग 5-6 घंटे केवल फोन पर गेम खेलने
और चैटिंग करने में गुजार देते हैं। अध्ययन बताता है कि 90% से ज्यादा किशोर, जो सोशल मीडिया पर लगातार बने रहते हैं, वे भावनात्मक परेशानियों से ग्रस्त पाए गए। हर चीज को पोस्ट करना, आगे चलकर आपको अविश्वास की भावना से भर सकता है।
लोगों से हर वक्त जुड़े रहने की भावना बताती है कि आप भीतर ही भीतर असुरक्षित महसूस करने लगते हैं।सोशल मीडिया बुरा नहीं है, बशर्ते आप उसका इस्तेमाल जरूरत के हिसाब से करें। सोशल साइट्स पर पोस्ट अपडेट्स करने में समय व्यर्थ करने के बजाए अच्छे दोस्तों से मिलें और बात करें। जब भी वक्त मिले, फोन उठाएं और पारिवारिक दोस्तों से बात करें। हर चीज को सोशल साइट्स पर पोस्ट करने से बचें। जानकारी पाने के लिए यह माध्यम ठीक है, मगर इसे लत न बनने दें।
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