Paramedical Me Career Kaise Banaye Ya Paramedical Career, Jobs Ke Bare Me Jankari
महामारी के दौरान पैरामेडिकल क्षेत्र के लोग इस चुनौती का सामना करने वालों को अग्रिम पंक्ति में खड़े रहे। आने वाले समय में चुकी हेल्थ केयर के क्षेत्र को और पुख्ता बनाने की योजनाएं बन रही है, तो बतौर पैरामेडिकल प्रोफेशनल एक बेहतर कैरियर की संभावना पैदा हो रही है।
पैरामेडिकल कोर्स क्या होता है?
मेडिकल के क्षेत्र में डॉक्टरी सेवाओं के अलावा ऐसे भी कई पेशे हैं, जिन्हें चुनकर आप अपने भविष्य को चमका
सकते हैं और देश हित में अपनी सेवाएं दे सकते हैं। हम
बात कर रहे हैं पैरामेडिकल क्षेत्र की, जिसमें काम करने
वाले व्यक्ति को सहायक चिकित्सक भी कहा जाता है,
क्योंकि पैरामेडिकल स्टाफ इमरजेंसी मेडिकल केयर
प्रोवाइडर के रूप में काम करता है, जो मूल रूप से
प्राथमिक चिकित्सा और ट्रॉमा सेवाएं प्रदान करता है। ये
एलाइड हेल्थ केयर वर्कर आमतौर पर हेल्थ केयर वर्कर
(नर्सिंग, मेडिसिन और फार्मेसी) से अलग होते हैं। इन
एलाइड हेल्थकेयरके क्षेत्र में अपना करियर बनाने के लिए
पैरामेडिकल का कोर्स करना जरूरी होता है।
किन क्षेत्रों का कर सकते हैं चयन
एलाइड हेल्थ केयर वर्कर, डेंटल हाईजिनिस्ट,
डायग्नोस्टिक मेडिकल सोनोग्राफर, डाइटिशियन,
मेडिकल टेक्नोलॉजी, फिजिकल थेरेपिस्ट, रेडियोग्राफर,
रेस्पिरेटरी थेरेपिस्ट, ऑक्युपेशनल थेरेपिस्ट और स्पीच
लैंग्वेज पैथोलॉजिस्ट के रूप में बेहतरीन अवसर प्राप्त कर
सकते हैं। इस क्षेत्र से संबंधित कोर्सेज में मेडिकल सहायता प्रदान करने के साथ-साथ बीमारी का पता लगाना भी
सिखाया जाता है। साथ ही मेडिकल टेस्टिंग व उपकरणों
से संबंधित कौशल भी सिखाए जाते हैं। यह आप पर निर्भर
करता है कि आप कौन सा क्षेत्र चुनते हैं।
पैरामेडिकल योग्यता
पैरामेडिकल बैचलर डिग्री कोर्स करने के लिए फिजिक्स,
केमिस्ट्री और बायोलॉजी विषयों से 12वीं पास होना
जरूरी है। कुछ सर्टिफिकेट कोर्सेज में
10वीं के बाद भी एडमिशन
मिलता है। पोस्ट ग्रेजुएट, बैचलरडिग्री, डिप्लोमा से लेकर
सर्टिफिकेट तक के कोर्स उपलब्ध हैं। बैचलर्स डिग्री
कोर्स 3 से 4 साल की अवधि का होता है। पैरामेडिकल
डिप्लोमा कोर्स की अवधि 1
3 साल तक की होती है।
प्रवेश परीक्षाएं
भारत में सभी मेडिकल कॉलेज मेडिकल काउंसिल ऑफ
इंडिया द्वारा संचालित किए जाते हैं। हर साल अप्रैल-मई
के बीच में पैरामेडिकल कोर्सेज के लिए आवेदन आमंत्रित
किए जाते हैं। पैरामेडिकल कोर्स में एडमिशन के लिए छात्र
CPNET यानी संयुक्त पैरामेडिकल एंड नर्सिंग प्रवेश परीक्षा
में भाग ले सकते हैं। इसके अलावा आप जिपमर
(JIPMER), नीट-पीजी (NEET-P),एमएचटी सीईटी
(MHT-CET), नीट-यूजी (NEET-UG) की बड़ी
प्रवेश परीक्षाओं के साथ ही निजी व सरकारी
कॉलेजों में सीधा मेरिट के आधार पर भी
एडमिशन ले सकते हैं।कुछ संस्थान स्वयं
का एंट्रेंस एग्जाम करवाकर एडमिशन
देते हैं।
प्रमुख संस्थान
• दिल्ली पैरामेडिकल एंड मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट,
दिल्ली
• एम्स, नई दिल्ली
• डेंटल कॉलेज, लखनऊ
• प्रोस्थेटिक्स एंड ऑर्थोटिक्स, सफदरजंग ।
अस्पताल, दिल्ली
• इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकली हैडिकैप्ड, नई
दिल्ली
• स्कूल ऑफ फिजियोथेरेपी, मुंबई
• उपाधि पैरामेडिकल कॉलेज, इटावा
• राजीव गांधी पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट, दिल्ली
हिंदुस्तान मेडिकल साइंसेज संस्थान, लखनऊ
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
कोरोना काल में हमने जाना है कि डॉक्टरों को
इलाज में मदद करने के साथ-साथ रोगों की
पहचान और उसके निदान में पैरामेडिकल स्टाफ
ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मौजूदा संकट
को देखते हुए देश में चिकित्सा क्षेत्र को लेकर
सुधार के काफी प्रयास किए जा रहे हैं। आने
वाले दिनों में भी स्वास्थ्य सेवाओं पर सरकारों
का सर्वाधिक जोर होगा। ऐसे में पैरामेडिकल
स्टाफ के लिए काफी संभावनाएं बन रही हैं।
क्या हैं प्रमुख कोर्स
बैचलर्स डिग्री कोर्स : ऑपरेशन थियेटर टेक्नोलॉजी, एक्स रे टेक्नोलॉजी,
रेडियोग्राफी और मेडिकल इमेजिंग, डायलिसिस टेक्नोलॉजी, मेडिकल
रिकॉर्ड टेक्नोलॉजी, मेडिकल लैबोरेट्री टेक्नोलॉजी, ऑप्थैल्मिक
टेक्नोलॉजी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी, फिजियोथेरेपी, स्पीच थेरेपी,
बीएएसएलपी कोर्स, ऑडियोलॉजी और एनेस्थीसिया टेक्नोलॉजी
पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स : इन कोर्स की अवधि 2 साल की होती है। इसके तहत
आप मैटर्नल एंड चाइल्ड हेल्थ, पीजी डिप्लोमा इन हॉस्पिटल एंड हेल्थ
मैनेजमेंट, पीजी डिप्लोमा इन जेरिएट्रिक मेडिसिन, मास्टर ऑफ रेडिएशन
टेक्नोलॉजी, मास्टर ऑफ मेडिकल लैब टेक्नोलॉजी, मास्टर ऑफ ऑप्टोमेट्री एंड
ओपथैल्मिक टेक्नोलॉजी, मास्टर ऑफ ऑक्यूपेशनल थेरेपी, मास्टर ऑफ फिजियोथेरेपी
एंड हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन आदि कोर्स कर सकते हैं।
डिप्लोमा कोर्स : रूरल हेल्थ केयर, ओ.टी टेक्नीशियन, ऑक्यूपेशनल थेरेपी, डायलिसिस टेक्नोलॉजी, डेंटल
हाइजीनिस्ट, फिजियोथेरेपी, नर्सिंग केयर असिस्टेंट का डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं। वहीं, सर्टिफिकेट कोर्स
की अवधि छह महीने से दो साल तक की होती है।
करियर की संभावनाएं
अपने इच्छित क्षेत्र में पैरामेडिकल
ट्रेनिंग कोर्स के बाद आप हेल्थकेयर
के क्षेत्र में कई काम कर सकते हैं:
फिजियोथेरेपी: फिजियोथेरेपिस्ट तरह-
तरह की मसाज, एक्सरसाइज और
कुछ
उपकरणों की मदद से ऊष्मा, रेडिएशन, पानी,
इलेक्ट्रिकल एजेंट्स आदि के जरिये क्षतिग्रस्त
मांसपेशियों, जोड़ों औरहड्डियों के संचालन को बहाल
करने में मददगार होते हैं।
मेडिकल लैब टेक्नोलॉजिस्ट : इससे संबंधित कोर्स में
आपको किसी बीमारी की जांच के तरीके बताए जाते हैं।
आज डायग्नोस्टिक सेंटर्स के प्रोफेशनल्स की मांग बढ़
गई है। इस कोर्स के बाद आप सरकारी एवं प्राइवेट
चिकित्सालय, ब्लड डोनेशन सेंटर, इमरजेंसी सेंटर,
क्लिनिक या पैथोलॉजी लैब्स या हॉस्पिटल्स में लैब
टेक्नीशियन के तौर पर कार्य कर सकते हैं।
● ऑप्टोमेट्रीः इसमें आंखों से जुड़ी तकलीफों के प्रारंभिक
लक्षण, लेंस का प्रयोग एवं अन्य परेशानियों की जांच की
जाती है। इसमें बैचलर ऑफ क्लिनिकल ऑप्टोमेट्री,
डिप्लोमा इन ऑप्थैल्मिक टेक्नीक प्रमुख कोर्स में आते
हैं। इसे करने के बाद नेत्र चिकित्सालय तथा क्लिनिक में
नौकरी आसानी से मिल जाती है।
● मेडिकल रेडिएशन टेक्नोलॉजी/रेडियोलोजी/रेडियोग्राफ
यह पैरामेडिकल क्षेत्र में सबसे ज्यादा डिमांड वाले क्षेत्रों
में से है। इस कोर्स के बाद आपएक्सरेटेक्नीशियन, सीटी
स्कैन टेक्नीशियन के तौरपरकाम शुरूकर सकते हैं। इससे
जुड़े अन्य कोर्स भी हैं जैसे कि बीएससी मेडिकल रेडिएशन
टेक्नोलॉजी, बीएससी रेडियोग्राफी टेक्नोलॉजी, बीएससी
मेडिकल इमेजिंग टेक्नोलॉजी, डिप्लोमा एंड सर्टिफिकेट
इन रेडियोग्राफी आप डिप्लोमा इन सीटी स्कैन, डिप्लोमा
इन एक्स रेटेक्नीशियन कोर्स भी कर सकते हैं।
● प्रोस्थेटिक और ऑर्थोटिक इंजीनियरिंगः इस कोर्स को पूरा
करने के बाद आसानी से आप हॉस्पिटल और कृत्रिम अंग
बनाने वाली कंपनियों में नौकरी पा सकते हैं। इसमें बैचलर
डिग्री के बाद छह माह की इंटर्नशिप करनी होती है।
● ऑक्यूपेशनल थेरेपी: ऑक्यूपेशनल थेरेपी मानसिक और
शारीरिक रूप से अक्षम लोगों की जिंदगी में जान डाल देती
है। ऑक्यूपेशनल थेरेपिस्ट सरकारी और प्राइवेट
अस्पतालों, एडल्ट डे केयर, रिहैबिलिटेशन सेंटर, मेंटल
हॉस्पिटल आदि में नौकरी के अवसर हासिल कर सकते
हैं। कुछ समय नौकरी के बाद आप खुद का क्लिनिक भी
खोल सकते हैं।
चुनौतियां और जरूरी कौशल
पैरामेडिकल जगत में करियर बनाना है, तो यह आपका
पेशा नहीं, जुनून होना चाहिए। यहां काम कभी भी आ
सकता है। डिजास्टर मैनेजमेंट से जुड़े इस तरह के लोगों
के लिए काम के घंटे निर्धारित करना मुश्किल होगा। इस
फील्ड में जितना अधिक प्रैक्टिकल पर फोकस करेंगे,
उतना ही बेहतर होगा।
वेतन
पैरामेडिकल क्षेत्र में कोर्स, अनुभव और आपकी स्किल्स
पर ही आपका वेतन निर्भर करता है। साथ ही नियोक्ता
संगठन पर भी यह निर्भर करता है। आमतौर से शुरुआत
में सैलरी पैकेजदोलाख से पांच लाख रुपये प्रति वर्ष तक
हो सकता है।
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