इनफर्टिलिटी समस्या के लिए योग या इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट के लिए योगा आसन इन हिन्दी मे जानकारी
इनफर्टिलिटी अब एक आम समस्या बनती जा रही है, जो केवल महिलाओं में ही नही बल्कि पुरषों में भी देखने को मिल रही है। लेकिन योग के जरिये आप इस समस्या से पार पा सकते हैं।
infertility kya hai in hindi?
इनफर्टिलिटी अब पुरुषों और महिलाओं के बीच
एक आम समस्या बन गई है। लगभग 45 फीसदी
दंपति इनफर्टिलिटी की समस्याओं का सामना कर
रहे हैं। यह केवल महिलाओं को ही नहीं, बल्कि
पुरुषों को भी प्रभावित करती है। एक शोध से पता
चलता है कि पिछले पांच वर्षों में इनफर्टिलिटी के
मामलों में 20 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
जीवनशैली में बदलाव ने जैसे तनाव, चिंता, प्रदूषण,
मोटापा और खान-पान की आदतों ने महिला और
पुरुष के प्रजनन स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित
किया है। महिलाओं की बढ़ती उम्र के साथ अंडों में
खराबी, जेनेटिक व मेटाबॉलिक डिसऑर्डर के
कारण कम उम्र में भी अंडों की संख्या में कमी व
उनकी गुणवत्ता में गिरावट सामने आ रही है, लेकिन
अगर योगासन की मदद ली जाए, तो इस समस्या
को नियंत्रित किया जा सकता है। कुछ अध्ययनों में
यह साबित हुआ है कि जो महिलाएं फर्टिलिटी
बढ़ाने वाले योगासन करती हैं, उनके गर्भवती होने
की संभावना उन महिलाओं के मुकाबले तीन गुना
बढ़ जाती है, जो ये योगासन नहीं करती हैं। फरी
स्टेप आईवीएफ क्लीनिक की फर्टिलिटी विशेषज्ञ
डॉ. प्रीती गुप्ता का कहना है कि गर्भावस्था की दर
और माता-पिता के तनाव के स्तर के बीच संबंध है,
पारंपरिक चिकित्सा के साथ-साथ तनाव को कम
करने वाले योग करने से गर्भाधारण की संभावना
बढ़ती है। कुछ ऐसे योगासन हैं, जो शरीर का ब्लड
सर्कुलेशन सुधारते हैं। इससे तनाव के साथ-साथ
प्रोस्टेट ग्लैंड और ओवरी से संबंधित समस्याएं भी
दूर होती हैं। इससे पुरुषों और महिलाओं, दोनों को
फर्टिलिटी बढ़ाने में मदद मिलती है।
भ्रामरी प्राणायाम: यह प्राणायाम शरीर को शांत
करता है, जिससे तनाव और चिंता से मुक्ति मिलती
है। इसलिए आप मन और शरीर की शांत स्थिति के
साथ गर्भधारण की संभावनाओं को एक उल्लेखनीय
सीमा तक बढ़ा सकते हैं।
सर्वागासन: यह थायराइड ग्रंथि को उत्तेजित करने
में मदद करता है, जिसकी शिथिलता इनफर्टिलिटी
के कारण हो सकती है। यह आपके दिमाग को शांत
करने और तनाव को दूर करने में भी मदद
करता है।
भुजंगासनः प्रजनन क्षमता में सुधार
के लिए यह बेहतर आसन है। यह
अंडाशय और गर्भाशय के
लिए रक्त प्रवाह को बढ़ाने में
मदद करता है। यह हार्मोनल
संतुलन बनाने में सहायता करता है।
यह अंडे तक शुक्राणु की यात्रा को
आसान बना देता है।
पाश्चिमोतानासन: पश्चिमोत्तानासन हेमस्ट्रिंग,
लोअर बैक और कूल्हों को स्वस्थ्य रखने में मदद
करता है। यह आसन गर्भधारण के लिए जिम्मेदार
प्रमुख अंगों, अंडाशय और गर्भाशय को भी
महत्वपूर्ण बनाने में मदद करता है। पश्चिमोत्तानासन
आसन आपकी मनोवैज्ञानिक स्थिति को भी सुधार
सकता है।
बद्ध कोणासन: बद्ध कोणासन वैसे तो पुरुषों और
महिलाओं दोनों के लिए बहुत लाभदायक है।
लेकिन, महिलाओं के लिए यह अधिक फायदेमंद है,
क्योंकि इसे करने से फर्टिलिटी बढ़ने के साथ-साथ
उन्हें प्रसव पीड़ा भी कम होती है। इस आसन को
महिलाएं महावारी के दौरान न करें। रीढ़ की हड्डी
या स्पोंडलाइटिस की समस्या वाले लोगों को यह
आसन नहीं करना चाहिए।
जानू शीर्षासनः यह शीर्षासन का ही एक प्रकार है,
जिसे पुरुष और महिलाएं दोनों कर सकते हैं। इसे
करने से मांसपेशियों का तनाव दूर होता है और
प्रोस्टेट ग्लैंड्स मजबूत होते हैं।
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