मन उदास क्यों रहता है, मन उदास क्यों होता है
सर्दियों में दिन छोटे और रातें बड़ी होती हैं। इससे
हमारी बॉडी क्लाक प्रभावित होती है और मन-
रहता है उदास...
मौसम बदलने का असर सिर्फ शारीरिक
स्वास्थ्य पर ही नहीं मानसिक स्वास्थ्य पर भी
पड़ता है। सर्दियों में कई लोगों का मानसिक
संतुलन बिगड़ जाता है और वे अवसादग्रस्त
हो जाते हैं। इनमें से कुछ लोग तो समझ ही नहीं
पाते कि उनके साथ हो क्या हो रहा है और क्यों हो
रहा है। अवसाद की ये समस्या इतनी बढ़ जाती
है कि आत्महत्या करने की प्रवृत्ति विकसित हो
जाती है।
विश्व भर में होने वाली आत्महत्या के
आंकड़ों को देखें तो यह निष्कर्ष आसानी से
निकाला जा सकता है कि सर्दियों में यह मामले
बाकी मौसमों के मुकाबले बढ़ जाते हैं। हालांकि
सीजनल इफेक्टिव
डिस्आर्डर (उदासी)
के कुछ मामले
गर्मियों के
मौसम की शुरूआत में भी देखे जाते हैं।
अब समझें कि आखिर ऐसा होता क्यों हैं?
दरअसल, सर्दियों में दिन छोटे और रातें बड़ी
होती हैं। ऐसे में जागने-सोने का चक्र गड़बड़ा
जाता है, जिससे थकान होती है। सर्दियों में सूरज
की रोशनी कम होने का अर्थ है कि आपका
मस्तिष्क ज्यादा मात्रा में मेलैटोनिन हार्मोन बना
रहा है, जो आपको आलसी बनाता है। सर्दियों
में हमारी शारीरिक सक्रियता भी थोड़ी कम हो
जाती है। हम थका-थका सा महसूस करते हैं।
कभी-कभी यह थकावट और आलस गंभीर
विंटर डिप्रेशन का संकेत भी होता है।
लक्षण
• सुस्त या उत्तेजित होने का अनुभव करना।
•थकान या ऊर्जा की कमी।
•अधिक नींद आना।
लोगों से कटे-कटे रहना।
•भूख न लगना।
नींद की समस्या होना।
ध्यान केंद्रित करने में समस्या आना।
•अक्सर आत्महत्या का ख्याल आना।
रोकथाम
• प्राकृतिक प्रकाश में रहें।
•विटामिन-डी का सेवन
बढ़ा दें।
संतुलित और पोषक
भोजन करें।
•नियमित रूप से
व्यायाम करें।
•तनाव से बचें।
मानसिक
शांति के लिए
ध्यान करें।
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