सर्वाइकल कैंसर के उपचार(इलाज) और लक्षण (सिम्पटम्स) इन हिन्दी या सर्वाइकल कैंसर क्या होता है के बारे में जानकारी
सर्वाइकल कैंसर के सभी मामलों में जरूरी नहीं कि दिखें लक्षण। इसलिए प्राथमिकता में रखें जांच और कराएं उपचार...
cervical cancer kya hota hai
कैंसर आधुनिक दुनिया की सबसे भयानक बीमारियों में से एक है। महिलाएं कई तरह के कैंसर की शिकार होती हैं। इनके लक्षणों एवं संकेतों की जानकारी और नियमित रूप से जांच कराने से इसकी शीघ्र पहचान और सफल उपचार में मदद मिल सकती है। भारतीय महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के बाद सर्वाइकल कैंसर के ही मामले सबसे अधिक देखने को मिलते हैं। महिलाओं में होने वाले हर तरह के कैंसर में से लगभग 23 फीसद मामले सर्वाइकल कैंसर के होते हैं।
cervical cancer kaise hota hai
सर्वाइकल कैंसर की शुरुआत गर्भाशय ग्रीवा से होती है। भारत में कैंसर से होने वाली मौतों का यह तीसरा सबसे बड़ा कारण है और देश में कैंसर से होने वाली लगभग 10 फीसद मौतें इसी के चलते होती हैं। हालांकि इससे निराश होने की जरूरत नहीं है यदि शीघ्र पहचान हो जाए तो सर्वाइकल कैंसर का सफलतापूर्वक उपचार किया जा सकता है। जागरूकता कार्यक्रम, पैप स्मीयर टेस्ट के जरिए जांच और एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) टीकाकरण से सर्वाइकल कैंसर के बढ़ते मामलों को रोकने में मदद मिल सकती है। पैपेनिकोलाउ टेस्ट, जिसे सामान्य तौर पर पैप स्मीयर टेस्ट के नाम से भी जाना जाता है और एचपीवी टेस्ट के जरिए नियमित परीक्षण से कैंसर पूर्व कोशिकाओं में होने वाले परिवर्तनों का पता लगाया जा सकता
है। महिलाओं के लिए परामर्श है कि वो 21 वर्ष
की आयु के बाद अपने वार्षिक स्वास्थ्य जांच के
दौरान नियमित रूप से पैप स्मीयर टेस्ट कराएं।
पैप टेस्ट के अलावा, एचपीवी का टीकाकरण
सर्वाइकल कैंसर से बचने का सर्वोत्तम तरीका
है। एचपीवी वैक्सीन 10-26 आयु वर्ग को
कवर करता है और इसे 46 वर्ष की उम्र तक की
महिलाओं को दिया जा सकता है।
उपचार के विकल्प : इसके उपचार के लिए तीन विकल्प उपलब्ध हैं। इसमें सर्जरी, रेडियोथेरेपी और कीमोथेरेपी चिकित्सक आयु, बीमारी के फैलाव, ट्यूमर के आकार-प्रकार पर करते हैं।
कुछ मामलों में होती है यह सर्जरी: सर्वाइकल
कैंसर के कुछ मरीजों को प्रजनन क्षमता के
बचे रहने की चिंता सताती है और यह चिंता
विशेष रूप से उन मरीजों को ज्यादा होती
है, जो निसंतान और प्रजनन आयु वाले हैं।
आरंभिक चरण के सर्वाइकल कैंसर के चुनिंदा
मामलों में, फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन सर्जरी जिसे
रेडिकल ट्रैकेलेक्टॉमी के नाम से भी जानते
हैं, एक स्वीकार्य उपचार विकल्प है, लेकिन
इस उपचार का सुझाव कठोर मानदंड के साथ
केवल पात्र मरीजों को ही दिया जाता है। इस
प्रक्रिया में केवल लिंफ नोड्स के साथ प्रभावित
गर्भाशय ग्रीवा को निकाला जाता है। गर्भाशय का
ऊपरी हिस्सा यथास्थिति में छोड़ दिया जाता है।
रोबोटिक असिस्टेड सर्जरी के जरिए यह सर्जरी
आसानी से हो जाती है और इसमें बस मामूली
चीरा लगाना पड़ता है। इस तरह के मरीजों को
एक वर्ष तकनिकट निगरानी में रखा जाता है और
यदि सभी चीजें सही-सलामत रहती हैं तो वो
गर्भधारण के लिए प्रयास कर सकती हैं।
जांच जरूर कराएं: आप इस बात को जरूर याद
रखें कि जिन मरीजों में सर्वाइकल कैंसर का पता
चलता है, उनमें से सभी में इसके लक्षण दिखना
आवश्यक नहीं है। इसलिए इसकी शीघ्र पहचान
एवं सफल उपचार के लिए नियमित रूप से जांच
कराना महत्वपूर्ण है।
सुरक्षित है यह तकनीक
वरथाइम रेडिकल हिस्टेरेक्टॉमी का सुझाव
मानक रूप से उन महिलाओं को दिया जाता
है, जो सर्वाइकल कैंसर के शुरुआती चरण
में हैं। यह एक जटिल सर्जरी है जिसमें
गर्भाशय के आसपास के ऊतकों के साथ
गर्भाशय को निकाल दिया जाता है। इस
सर्जरी में रोबोटिक सिस्टम की मदद से
कैंसरयुक्त कोशिकाओं को सटीकता से
हटाया जाता है। रोबोटिक असिस्टेड सर्जरी
उतनी ही सुरक्षित व कारगर है जितनी कि
परंपरागत लेप्रोस्कोपिक सर्जरी और यह
मरीज के लिए लाभदायक भी है, क्योंकि
इसमें कोई बड़ा चीरा नहीं होता इसलिए दर्द
कम होता है साथ ही मॉबिंडिटी कम होती है
और मरीज तेजी से रिकवर करता है।
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