फ़ार्मेसी के बारे में जानकारी या फार्मेसी के लिए योग्यता
कोरोना संकट के दौर में जब तमाम तरह की दवाओं की बड़ी मात्रा में जरूरत महसूस हुई, तो देश की मजबूत फार्मा इंडस्ट्री इस
कसौटी पर काफी हद तक खरी
उतरी। स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में
प्रवेश के उपलक्ष्य में मनाये जा रहे
अमृत महोत्सव के मौके पर यह कम
गौरव की बात नहीं कि तमाम तरह
की औषधियों के उत्पादन में भारत
न सिर्फ आत्मनिर्भर है, बल्कि यहां
के फार्मा उद्योग (जो अभी दुनिया
में तीसरे स्थान पर है) द्वारा दुनिया
के अन्य देशों में किए जाने वाले
निर्यात में भी करीब 18 फीसद की,
बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। यही कारण
है कि तेजी से बढ़ती इस इंडस्ट्री के
विभिन्न क्षेत्रों में कुशल युवाओं के
लिए अवसर लगातार बढ़ रहे हैं।
रिजर्व बैंक की ताजा आकलन
रिपोर्ट के मुताबिक, 2030 तक
देश का फार्मा कारोबार तीन गुना
से भी ज्यादा हो जाएगा, जो अभी
दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा औषधि
उत्पादक देश है। जेनरिक के साथ-
साथ आयुष व हर्बल दवाओं का
भी निर्यात बढ़ने से इस फील्ड ने
युवाओं का ध्यान अपनी ओर खींचा
है, जहां फार्मासिस्ट, एमआर तथा
ड्रग इंस्पेक्टर जैसे परंपरागत जॉब्स
के अलावा फार्मास्युटिकल कंपनियों
में रिसर्च एवं डेवलपमेंट के क्षेत्र में
भी ऐसे स्किल्ड प्रोफेशनल्स की मांग
बढ़ रही है। दरअसल, फार्मा सेक्टर
सीधे तौर पर हेल्थकेयर से जुड़ा है।
इसलिए कोविड के बाद इन दोनों
सेक्टर में तेजी देखी जा रही है।
कोरोना काल में आइटी के बाद यह
दूसरा ऐसा सेक्टर रहा, जहां नौकरी
का कोई संकट नहीं देखा गया।
बढ़ती संभावनाएं: फार्मेसी आज
के समय में युवाओं के लिए एक
ऐसा आकर्षक फील्ड है, जहां पैसे
के साथ-साथ करियर में तरक्की
के भी काफी अवसर हैं। यह फील्ड
उन युवाओं के लिए बहुत अच्छा हो
सकता है, जो फार्मास्युटिकल या
इससे जुड़े क्षेत्रों में करियर बनाना
चाहते हैं। यह कोर्स करने के बाद
युवा सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों
के अलावा कालेज, यूनिवर्सिटी,
फार्मा इंडस्ट्री में भी फार्मासिस्ट, ड्रग
इंस्पेक्टर, रिसर्चर आदि बन सकते
हैं। मार्केट में बिकने वाली दवाओं
की गुणवत्ता की जांच ड्रग इंस्पेक्टर
करते हैं। बीफार्म करके मेडिकल
रिप्रजेंटेटिव (एमआर) भी बना
जा सकता है। बीफार्मा में ग्रेजुएशन
करके प्रोडक्शन एवं क्वालिटी
कंट्रोल एसोसिएट के तौर पर अपना
करियर शुरू कर सकते हैं। मेडिकल
स्क्राइब (मेडिकल ट्रांसक्रिप्शन
एग्जीक्यूटिव) का भी विकल्प है।
शैक्षिक योग्यताएं: 12वीं के बाद
फार्मेसी में डिप्लोमा या डिग्री किया
जा सकता है। दो वर्षीय डिप्लोमा
के लिए पीसीबी या मैथ्स से 12वीं
होना चाहिए। चार वर्षीय बैचलर
आफ
फार्मेसी, मैथ्स/कंप्यूटर
साइंस/बायोटेक्नोलाजी/बायोलाजी
से 12वीं करने वाले भी कर सकते
हैं। इसके बाद एमफार्मा कर योग्यता
और अवसर दोनों बढ़ा सकते हैं।
प्रमुख संस्थान
• दिल्लीइंस्टी.आफफार्मा
साइंसेजऐंडरिसर्च, दिल्ली
www.dipsar.ac.in
जामिया हमदर्द, नई दिल्ली
jamiahamdard.edu
• एनआइईटी, ग्रेटरनोएडा
www.niet.co.in
आर्यन इंस्टीट्यूट आफ
टेक्नोलाजी, गाजियाबाद
www.aitgzb.ac.in
क्षेत्र एक,करियर अनेक
भारत दुनिया में फार्मेसी का बहुत बड़ा सेंटरहै।यहां
डीफार्म कोर्स करके केमिस्ट की दुकान खोल सकते
हैं, किसी के साथ काम कर सकते हैं, इंडस्ट्री चला
सकते हैं, इंडस्ट्री में काम कर सकते हैं, ड्रग इंस्पेक्टर
बन सकते हैं। अगरएमफार्म करलेते हैं, तो मेडिकल
कालेजों में पढ़ा सकते हैं। पीएचडी करके रिसर्च कर
सकते हैं।यह सेक्टरहेल्थकेयर से सीधे जुड़ा हुआ
है। इसलिए जब तक बीमारियां रहेंगी, तो दवाइयां भी
रहेंगी। सबसे अच्छी बात यह है कि इस फील्ड से जुड़े कई क्षेत्र हैं, जहां फार्मा
कोर्स करके दस से अधिक क्षेत्रों में करियरबनाने का विकल्प मिल जाता है।
सर्वे रिपोर्ट
2030
तक देश का
फार्मा कारोबार
तीन गुना तक बढ़ने की उम्मीद है।
50% वैक्सीन की
की आपूर्ति कर रहा है भारत इस समय।
जेनरिक दवाओं का भी दुनिया में सबसे
बड़ा निर्यातक है भारत।
3 हजार से अधिक फार्मा
कंपनियां हैं देश में, जो विभिन्न
दवाओं समेत तमाम सर्जिकल उत्पाद
बनाती हैं।
खुली हैं तरक्की की राहें
आजादी के 75वें वर्ष में ग्रह बहुत
गौरव की बात है कि दवाओं की
मैन्युफैक्चरिंग करने के मामले
में भारत न सिर्फ आत्मनिर्भरहै,
बल्कि हम दुनिया के तमाम देशों
को औषधियों
का निर्यात
भी करते हैं।
यह एक ऐसा
फील्ड है, जहां
बहुत स्कोप
है, क्योंकि
जितनी
भी फार्मा
कंपनियां हैं,
उन्हें भी फार्मा
प्रोफेशनल्स चाहिए।प्रतिष्टित-
प्रामाणिक संस्थान से फार्मेसी
कोर्स करने के बाद सरकारी-
निजी अस्पतालों में जॉब व तरक्की
की सुनिश्चित राहखुल जाती है।
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