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2022-03-10

तपेदिक रोग के लक्षण व उपचार क्या है - tapedik se bachne ke upay

तपेदिक क्या होता है और (टीवी) तपेदिक का इलाज (treatment)  व लक्षण (Synonyms) के बारे मे जानकारी


तपेदिक व कोविड



तपेदिकपर नियंत्रण केलिए इसवर्ष विश्व स्वास्थ्य संगठन की थीम है, 'द क्लॉक इज टिकिंग । इसका अर्थ है, तपेटिक को नियंत्रित करने का समय तेजी से बीता जा रहा है,हमें जल्द से जल्द इस बीमारी को काबू करने के लिए उचित प्रयास करने हैं। आइए मिलकर इस बीमारी को समाप्त करें...

तपेदिक को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम
(एनटीईपी) संचालित किया जा रहा है। इस
'कार्यक्रम की खास बात यह है कि अन्य जनस्वास्थ्य से
संबंधित कार्यक्रमों के साथ-साथ इस पर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी का पूरा फोकस है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत तपेदिक
की जांच और इलाज निश्शुल्क किया जाता है।

क्या होता है तपेदिक रोग ?


टीबी, जिसे आरोग्य तपेदिक भी कहा जाता है, माइकोबैक्टीरियम नामक जीवाणु से होती है। कोरोना वायरस की तरह ही यह जीवाणु भी ड्रॉपलेट द्वार फैलने वाला इंफेक्शन है। इसका बैक्टीरिया आमतौर पर फेफड़ों पर हमला करता है साथ ही यह शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता है। डायबिटीज, कुपोषण, किडनी की बीमारियां इत्यादि के कारण जिन व्यक्तियों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, उनमें तपेदिक की बीमारी की आशंका अधिक रहती है।


तपेदिक रोग के लक्षण क्या है?



खांसी आना: 


इसका शुरुआती लक्षण खांसी आना है। इसमे सबसे पहले मरीज को सूखी खांसी होती है। इसके कुछ .
समय बाद खांसी के साथ बलगम और खून भी आ सकता
है। लिहाजा दो सप्ताह या उससे ज्यादा समय तकखांसी की
समस्या से ग्रसित व्यक्तियों को तपेदिक की जांच करा लेनी
चाहिए। इससे इस बीमारी के सामने आने पर समय रहते
इसकी रोकथाम के उपाय किए जा सकें।

बुखार रहनाः 


जो लोग तपेदिक की बीमारी से ग्रसित होते
हैं, उन्हें लगातार बुखार रहता है। शुरुआत में हल्का बुखार
रहता है, लेकिन बाद में संक्रमण ज्यादा फैलने पर बुखार
तेज हो सकता है।

थकावट होनाः 


तपेदिक के मरीज की बीमारी से लड़ने की
क्षमता सामान्य व्यक्ति की तुलना में काफी कम हो जाती
है। वहीं मरीज को कामकाज करने पर अधिक थकावट
होने लगती है।


वजन घटना:


इससे ग्रसित होने के बाद लगातार वजन घटने
लगता है। यहां तक कि खानपान पर ध्यान देने के बाद भी
वजन कम होता रहता है। इसके साथ ही मरीज की खाने को
लेकर रुचि भी कम होने लगती है।


सांस लेने में परेशानी: 


यदि इसका संक्रमण फेफड़ों के
ज्यादा भाग को प्रभावित कर दे तो मरीज की सांस भी फूलने लगती है।


कोविड काल में तपेदिक के मरीजों पर प्रभावः 


कोरोना वायरस के
विश्वव्यापी संक्रमण के बाद हुए
लॉकडाउन के दौरान लोगों को स्वास्थ्य
संस्थानों तक जाने में मुश्किलों का सामना
करना पड़ा। इसके चलते ग्रसित व्यक्ति
में तपेदिक की बीमारी को जल्दी पकड़ने
में मुश्किल स्थिति सामने आई। इससे
उत्तराखंड में तपेदिक की जांच दर पिछले
वर्ष के मुकाबले 44 प्रतिशत से कम रही।
तपेदिक के मरीजों को भी अपने नियमित
इलाज के लिए अस्पताल पहुंचने में मुश्किल हुई।


कोविड काल में तपेदिक के मरीजों के लिए आवश्यक
सुझाव : इस समय सरकार द्वारा दी गई कोविड गाइडलाइन (मास्क पहनने, हाथ धोने और एक-दूसरे से दो गज की
दूरी बनाए रखना) से कोविड-19 के साथ-साथ तपेदिक
के संक्रमण को रोकने में मदद मिलेगी। कारण, ये दोनों ही
संक्रामक बीमारियां हैं। तपेदिक के मरीज को यदि कोविड
हो जाता है तो भी उसे तपेदिक की दवाइयां नहीं छोड़नी
चाहिए। इसका इलाज यदि बीच में छोड़ दिया जाए तो यह
और भी घातक हो सकता है और ऐसा भी हो सकता है कि
फिर तपेदिक की दवाइयां उस पर इतना असर न करें और
वह खतरनाक एमडीआर टीबी में परिवर्तित हो सकता है।
कोविड के समय में भी तपेदिक से संबंधित सावधानियों



को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अच्छा
खानपान, उचित समय पर डॉक्टर की सलाह से
तपेदिक की दवाइयां लेना अत्यंत आवश्यक
है। ऐसा देखने में आ रहा है कि समय बीतने के
साथ लोग कोविड-19 को सामान्य तौर पर लेने
लगे हैं और उचित सावधानियां भी नहीं बरत रहे
हैं। कोविड-19 का खतरा अभी भी बरकरार है।
इसलिए यह जरूरी है कि सभी सावधानियों का
उचित तरीके से पालन किया जाए। सार्वजनिक
समारोहों में शामिल होना, भीड़ वाली जगहों पर
बिना मास्क के घूमना, आपस में उचित दूरी का
पालन न करना, कोविड-19 और तपेदिक, दोनों
के और अधिक फैलने का कारण बन सकता है।
कोविड काल में केंद्र सरकार की ओर से एक नई पॉलिसी
एक सितंबर 2020 को जारी की गई। इसका उद्देश्य है,
जो कोविड के मरीज हों, उनकी तपेदिक की जांच और जो
तपेदिक का मरीज है, उसकी कोविड की जांच करवाना
अनिवार्य है।


ध्यान रखने वाली महत्वपूर्ण बातें



.कोविड के समय में तपेदिक को नजरअंदाज न करें।
• कोविड-19 की सावधानियां, जैसे मास्क का इस्तेमाल
और उचित दूरी तपेदिक के संक्रमण को फैलने से रोकते
हैं।
•अच्छा खानपान, उचित नींद और समय पर तपेदिक की
दवाइयां लेना बेहद जरूरी है।




बचाव के तरीके

• दो हफ्ते से ज्यादा समय तक खांसी या
बुखार होने पर डॉक्टर को दिखाएं और बलगम
की जांच कराएं। बीमारी के जल्द पकड़ में आने
से जल्द इलाज शुरू हो सकता है और बीमारी
को मरीज के संपर्क में आने वाले अन्य लोगों में
फैलने से रोका जा सकता है।
•मास्क पहनें या हर बारखांसने या छींकने से
पहले मुंह को रुमाल या नैपकिन से कवर करें।
• मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूके और
उसमें फिनाइल डालकर अच्छी तरह बंद करके
डस्टबिन में डाल दें।यहां-वहां नहीं थूकें।
•यदि संभव हो तो मरीज हवादार और अच्छी
रोशनी वाले कमरे में ही रहे।
मरीज पौष्टिक खाना खाए, एक्सरसाइज
वयोग करें।ये सब रोग प्रतिरोधक क्षमता को
बढ़ाने में मदद करते हैं। इससे बीमारी के जल्द
ठीक होने में मदद मिलती है।
• मरीज बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तंबाकू, शराब
आदि से परहेज करें।
• बच्चे के जन्म पर बीसीजी का टीका लगवाएं।
• कोई भी व्यक्ति, जो तपेदित से ग्रसित हो
जाए, ऐसी स्थिति में वह चिकित्सकीय परामर्श
से दवा का पूरा कोर्स ले और डॉक्टर से बिना
पूछे दवा हरगिज बंद न करे।

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