corona se bachne ke upay
कोरोना की पहली लहर हो या दूसरी, संक्रमण की लड़ाई के असल नायक चिकित्सक ही हैं। यदि आमजन कोरोना से बचाव की गाइडलाइन का ईमानदारी से पालन करें तो यह चिकित्सकों के लिए सबसे बड़ा सम्मान होगा...
डा. बिधान चंद्र राय के
जन्म एवं निर्वाण दिवस,
(1 जुलाई) को भारतीय
चिकित्सक 'चिकित्सक दिवस'
के रूप में मनाते हैं। प्रख्यात
चिकित्सक, स्वतंत्रता
सेनानी, सफल राजनीतिज्ञ,
समाजसेवी व पश्चिम
बंगाल के मुख्यमंत्री
(1948 से 1962) रहे
भारत रत्न डा. बिधान चंद्र
राय रहते हुए भी
प्रतिदिन रोगियों को निश्शुल्क देखते थे।
इस सेवाभाव के कारण ही यह दिन उन्हें
समर्पित किया गया। बीते कई महीनों से
हम चिकित्सकों का ऐसा ही सेवाभाव तथा
समर्पण देखते आ रहे हैं। ऐसे में उनके
लिए यह समाज द्वारा शुक्रिया कहने का
भी दिन है।
कोरोना वायरस ने पिछले 18 महीनों
से विश्व के 200 से अधिक देशों में
कोहराम मचा रखा है। अब तक पूरी
दुनिया में 18 करोड़ लोग इससे संक्रमित
हो चुके हैं। भारत में संक्रमितों की संख्या
लगभग 3 करोड़ हो चुकी है। अभी भी
कोरोना नए-नए प्रारूपों के साथ अपना
प्रकोप बरपा रहा है, लेकिन यह हमारे
चिकित्सकों का साहस और सहयोग था
कि वे अभी भी हमारे जीवन के लिए सेवा
में निस्वार्थ भाव से जुटे हैं। अपना जीवन
और परिवार एक किनारे कर वे एक-एक
जान की रक्षा में लगातार डटे हुए हैं। अभी
जिस तरह कोरोना संक्रमण की तीसरी
लहर. आने की आशंका जताई जा
रही है, ऐसे में आवश्यक है कि हम
चिकित्साकर्मियों के प्रति अपनी जिम्मेदारी,
निभाते हुए सभी सुरक्षा नियमों का सख्ती
से पालन करें।
कोविङ-19 के उपचार में जुटे
चिकित्सकों को आम जनता से कई गुना
ज्यादा संक्रमण होने का खतरा होता है। .
जहां आम जनता में किसी भी परिवार
में एक व्यक्ति को कोविड संक्रमण होने
पर आइसोलेट कर दिया जाता है; वहीं
चिकित्सक निरंतर कई कोरोना संक्रमित
मरीजों के बीच रहकर बिना किसी भय
के मरीजों का इलाज करते आ रहे हैं। इस
दौरान वे बचाव के सभी नियमों का पालन
करते हैं, परिवार से दूर रहते हैं, तमाम
असुविधाओं के बावजूद लगातार पीपीई
किट पहनकर रहते हैं तथा ये जानते हुए
भी कि उन्हें ड्यूटी करते समय कोरोना
संक्रमण का खतरा बहुत ज्यादा है, पूरी
लगन के साथ काम को अंजाम
देते हैं।
कोरोना महामारी के
दौरान चिकित्सकों,
चिकित्साकर्मियों,
पुलिसकर्मियों,
सफाईकर्मियों तथा
अन्य लोग जिन्होंने इस
महामारी के दौरान अपनी
आवश्यक सेवाएं निष्ठापूर्वक प्रदान
की, उनकी महत्ता को प्राथमिकता
देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन
कोरोना वारियर्स की संज्ञा दी एवं खुले मन
से प्रशंसा करते आ रहे हैं।
इन कोरोना योद्धाओं के संक्रमित होने
का खतरा इतना अधिक है कि कोरोना
की पहली व दूसरी लहर में हमने अपने
1,372 चिकित्सकों को खोया, फिर भी
सभी चिकित्साकर्मी लगातार कोरोना
महामारी के खिलाफ युद्ध लड़ रहे हैं।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने इन
सभी चिकित्सकों को 'शहीद' का दर्जा देने
की सरकार से मांग की है। यही उनके लिए
सबसे बड़ा सम्मान होगा, साथ ही जब
सभी नागरिक बचाव संबंधी सभी नियमों
का कड़ाई से पालन करेंगे तो यह हमारी
तरफ से उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
चिकित्सकों ने आम जनता को पहली
लहर की शुरुआत से ही समझाना शुरू कर
दिया था कि कोविड से बचाव के नियमों
का सख्ती से पालन करें। चिकित्सक जिस
निस्वार्थ भाव से अपनी जान की परवाह
किए बिना दिन-रात मरीजों की सेवा में
लगे हुए हैं, उससे आम जनता को सीख
लेनी चाहिए एवं उनका सम्मान करना
चाहिए। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि
चिकित्सक अपनी पूरी कोशिश में लगे हुए
हैं। ऐसे में किसी प्रकार की अनहोनी होने
पर उनके साथ अभद्र व्यवहार नहीं करना
चहिए। आशा ही नहीं, पूर्ण विश्वास है कि
भारत कोरोना की इस लड़ाई को अवश्य
जीतेगा एवं कोरोना के बहाने ही सही अपने
स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करेगा। वास्तव
में चिकित्सक दिवस पर आम जनता की
ओर से चिकित्सकों के लिए यही सबसे
बड़ा सम्मान है कि लोग कोरोना से बचाव
के सारे उपायों को ईमानदारी से अपनाएं
और कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भागीदार
बनें।
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