कोरोना वैक्सीन टीकाकरण क्यों आवश्यक है और कोरोना वैक्सीन इनफार्मेशन के बारे मे जानकारी
आज कोरोना वैक्सीन को लेकर लोगों के मन में जो संशय है, एक समय यही बात टेटनस और पोलियो के टीके को लेकर भी थी।
कोरोना से बचाव में जो वैक्सीन
दी जा रही हैं वेपूरी तरह सुरक्षित
हैं,लेकिन यह जिम्मेदारी आपकी
है कि वैक्सीन लेने के बात किसी
तरह की परेशानी हो तो संबंधित
चिकित्सकया नोडल अधिकारी
को बताएं और समस्या का
समाधान पाएं......
देश में दी जा रही कोरोना की दोनों
वैक्सीन, कोवि-शील्ड और को-
वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित हैं और
इनका कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं है। 16 जनवरी
को देश में टीकाकरण अभियान शुरू हुआ था।
अब तक एक करोड़ अलाख से अधिक लोग
टीकाकरण करा चुके हैं। इनमें से सिर्फ तीन लोगों
में गंभीर दुष्प्रभाव सामने आए हैं। ऐसे में यह कह
दिया जाए कि इसका कारण वैक्सीन ही है तो यह
उचित नहीं है। टीका लेते समय ही किसी को
हार्ट अटैक या ब्रेन स्ट्रोक हो जाए तो इसके लिए
वैक्सीन को कैसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता
है बावजूद इसके किसी संशय के निदान के
लिए हार्ट, किडनी, लिवर कैंसर व अन्य गंभीर
रोगों से पीड़ित मरीजों को चाहिए कि वे टीका
लेने के पहले रोग, किसी दवा, भोजन या अन्य
चीज से एलर्जी जैसी तमाम बातें टीकाकरण
केंद्र पर मौजूद डॉक्टर को जरूर बताएं। इससे
डॉक्टर मानक के अनुसार निर्णय ले सकेंगे साथ
ही टीकाकरण के समय जो प्रभाव बताए जाए,
उध्यान से सुनें और टीका लेने के बाद कोई
परेशानी हो तो बेहिचक डॉक्टर से संपर्क करें
या हेल्पलाइन नंबर पर इसकी सूचना दें। इसके
लिए जिस सेंटर पर टीकाकरण कराएं वहां के
नोडल पदाधिकारी या डॉक्टरका नंबर जरूर ले
लें। इससे किसी भी तरह के दुष्प्रभाव की स्थिति
बनने पर तत्काल चिकित्सा मिल सके।
गंभीर रोगियों को कोरोना का खतरा ज्यादा
जरूर लें दैक्सीन : देश में अब तक एक लाख
56 हजार 825 लोगों की मौत कोरोना के कारण
हो चुकी है। इनमें से अधिसंख्य ऐसे हैं, जो किसी
गंभीररोग से पीड़ित थे। इसलिए भारत सरकार ने.
आयु में छूट देकर उन्हें टीकाकरण में प्राथमिकता
दी है, जो लोग अस्पताल में भर्ती हों, तेज बुखार
हो, तुरंत अस्पताल से डिस्चार्ज हुए हों वे टीका
न लें। वहीं, यदि किसी अन्य कारण से इम्यून
पावर कमजोर हो गया हो, गंभीर अस्थमा, किसी
दवा या भोजन से गंभीर एलर्जी हो तो डॉक्टरको
बताकर ही टीकाकरण कराएं। बीपी, शुगर या
अन्य रोगों की नियमित दवाखाने वाले और जो
कोरोना संक्रमित हुए थे, लेकिन ठीक हुए एक
माह से अधिक समय हो चुका है, वे भी वैक्सीन
ले सकते हैं।
60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए पूरी
तरह सुरक्षित देश में दी जा रही दोनों वैक्सीन
का 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों पर परीक्षण
किया गया था। इसमें दोनों वैक्सीन को इस आयु
वर्ग के सभी लोगों के लिए पूरी तरह सुरक्षित पाया
गया था। जितने भी लोगों को वैक्सीन की दो डोज
दी गई थी, किसी में कोई दुष्प्रभाव सामने नहीं
आय साथ ही वे दोनों वैक्सीन 60 वर्ष से अधिक
उम्र के लोगों को कोरोना संक्रमण व उसके गंभीर
दुष्परिणामों से बचाने में काफी प्रभावी साबित
वैक्सीन लेने के आधे घंटे बाद कर सकते
हैं सभी कार्य : कोरोना वैक्सीन लेने के बाद
अमूमन किसी प्रकार की समस्या नहीं होती है।
इस कारण लोग टीका लेने के आधे घंटे बाद
दिनचर्या के सभी कार्य सामान्य रूप से कर सकते
हैं। टीकाकरण के बाद किसी प्रकार की सावधानी
बरतने की भी जरूरत नहीं है, क्योंकि अब
तक जो दुष्प्रभाव सामने आए हैं, उनमें सबसे
अधिक इंजेक्शन लगाने की जगह पर दर्द व
हल्की सूजन है। इसके अलावा कुछ लोगों में
बुखार व बदन दर्द की बात सामने आई है। ये
लक्षण एक से दो दिन में स्वतः पूरी तरह ठीक
हो जाते हैं।
टीका लगवाने के बाद आधे घंटे सेंटर पर ही
करें आराम: टीका कोई भी हो उसे लेने के बाद
आधे घंटे तक सेंटर पर डॉक्टरों की देखरेख
में रहने का प्राविधान है। कारण, यदि दवा
का उस व्यक्ति पर कोई गंभीर दुष्प्रभाव होगा.
तो उसके लक्षण इस बीच सामने आ जाएंगे।
कोरोना वैक्सीन लेने के बाद आधे घंटे सेंटर पर
रोकना, किसी आशंका के कारण नहीं, बल्कि
यह टीकाकरण का मानक है। आधे घंटे तक
ऑब्जर्वेशन रूम में आराम करना इसीलिए
जरूरी है कि यदि इस बीच कोई दुष्प्रभाव हो तो
तुरंत चिकित्सकीय सहायता मिल सके।
हर वैक्सीनेशन पर दुष्प्रभाव से निपटने की पूरी
तैयारी: वैक्सीन, वैक्सीनेशन प्रक्रिया या किसी
अन्य कारण से होने वाली समस्याओं (एडवर्स
इफेक्ट फॉलोइंग इम्यूनाइजेशन) से निपटने के
लिए हर टीकाकरण केंद्र पर पूरी तैयारी होती है।
यह तैयारी तीन मानकों, मामूली, गंभीर और बहुत
गंभीर दुष्प्रभावों को ध्यान में रखकर की जाती है।
इनसे निपटने के लिए टीकाकरण केंद्र पर मौजूद
डॉक्टर और स्टाफ को प्रशिक्षण दिया जाता है।
एनफ्लैक्सिस किट में त्वरित उपचार के लिए
आवश्यक इंजेक्शन समेत अन्य सामान मुहैया
कराया जाता है।
वैक्सीन जरूरी, नंबर आने जरूर कराएं
टीकाकरण : देश के वैज्ञानिकों ने जो वैक्सीन
तैयार की है, आज विश्व में उनकी प्रामाणिकता
है। कई देशों में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान
परिषद (आइसीएमआर) और राष्ट्रीय
वायरोलॉजी लैब की देखरेख में तैयार इन
वैक्सीनों की मांग है। दोनों वैक्सीन कोरोना से
बचाने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली
हैं। इसलिए मन में कोई संशय नहीं पालें और
नंबर आने पर जो वैक्सीन मिले, उसकी दोनों
खुराक जरूर लें।
वैक्सीन की दोनों खुराक
हैं जरूरी
कुछ वैक्सीन का एक टीका ही जीवन
भर उस रोग से लड़ने की प्रतिरोधक
क्षमता विकसित कर देता है, जबकि
कुछकी बूस्टरडोज देनी पड़ती है।
कोरोना वैक्सीन की दो डोज देकरही
इसका परीक्षण किया गया है। दो डोज
के बाद ही शरीर में कोरोना वायरस से
लड़ने की क्षमता विकसित होगी। ऐसे
में पहली डोज के 28 दिन बाद दूसरी
डोज लेना जरूरी है।दूसरी डोज के
14 दिन बाद शरीर में कोरोना वायरस
के खिलाफ एंटीबॉडीज विकसित
होगी।
क्यों बनाई जाती है वैक्सीन
खसरा, गलसुआ, टेटनस, पोलियो, निमोनिया,
हेपेटाइटिस बी जैसे विशेष रोग जो एक बड़ी
आबादी को प्रभावित करते हैं, उनसे बचाव के
लिए वैक्सीन बनाई जाती है। ये वैक्सीन निष्क्रिय
वायरस या बैक्टीरिया, उनके आरएनए-डीएनए
समेत अलग-अलग तरीकों से बनाई जाती
हैं। इन तरीकों से बनाई गई वैक्सीन जब शरीर
में प्रवेश करती है तो हमारे शरीर का रोग
प्रतिरोधक तंत्र उनसे लड़ने के लिए एंटीबॉडीज
का निर्माण शुरू कर देता है। वैक्सीन शरीर
में जाकर उस रोग विशेष से लड़ने की पर्याप्त
क्षमता विकसित करती है। एक बारएंटीबॉडीज
विकसित हो जाने पर जैसे ही उस रोग विशेष
के वायरस या जीवाणुशरीर में प्रवेश करते हैं,
वे उसे पहचान करनष्ट कर देते हैं। वैक्सीन से
बीमार होने की आशंका इसलिए भी नहीं होती,
क्योंकि वैज्ञानिक जानवरों व मानव शरीर में
परीक्षण करइसकी जांच कर चुके होते हैं।
हालांकि अभी तक सौ फीसद कारगर कोई
टीका नहीं बना है। सबसे अधिक प्रभावी टीका
खसरे का माना जाता है। इसकी प्रभावशीलता
99.7 फीसद है।पोलियो का टीका तीन खुराक
के बाद 99 फीसद प्रभावी होता है।
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