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2022-03-27

तपेदिक क्या रोग क्या है - tapedik bimari kya hoti hai lakshan v upchar ki janakri

तपेदिक रोग का उपचार(ट्रीटमेट) व  लक्षण(synonyms ) के बारे मे 


तपेदिक बीमारी क्या होती है?


24 मार्च, 1882 में जर्मनी के चिकित्सक डॉ. राबॅर्ट कॉक ने तपेदिक के जीवाणु की खोज की थी। इसीलिए प्रत्येक वर्ष 24 मार्च को विश्व तपेदिक दिवस मनाया जाता है। तपेदिक की बढ़ती संख्या देखकर डब्ल्यूएचओ ने 1993 में इसे वैश्विक आपातकाल घोषित किया था। पूरी दुनिया लंबे अर्से से तपेदिक से लड़ रही है। आंकड़े बताते हैं कि 2019 में संपूर्ण विश्व में लगभग एक करोड़ लोग तपेदिक से ग्रसित हुए। आज भी दुनिया में लगभग 14लाख तथा हमारे देश में 4.5 लाख लोगों की मृत्यु प्रति वर्ष तपेदिक की वजह से हो जाती है। कोविड-19 भी एक संक्रामक बीमारी है, जो नोवेल कोरोना वायरस के कारण फैलती है। 30 जनवरी 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 को वैश्विक महामारी घोषित किया था, तब से लेकर अब तक यह करोड़ों लोगों को संक्रमित कर चुका है और लाखों लोगों को मौत की नींद सुला चुका है। इस प्रकार से पूरी दुनिया कोरोना और तपेदिक की दोहरी मार से जूझ रही है।


तपेदिक और कोविड-19 दोनों के ही लक्षणों में काफी समानता है। तपेदिक एक जीवाणु से, जबकि कोविड-19 एक विषाणु से होता है। दोनों बीमारियां प्रभावित रोगियों के खांसने से फैलती हैं।

कोविड-19 के लक्षण- 

सूखी खांसी, छींक, बदन दर्द, कमजोरी, तेज बुखार, सांस लेने में तकलीफ होती है।

तपेदिक के लक्षण-

दो हफ्ते से ज्यादा खांसी, बुखार, भूख की कमी, वजन घटना, खांसी में खून आना, गले में गिल्टियां/गांठें होना है।

तपेदिक का निदान

बलगम की जांच और एक्सरे की मदद से किया जाता है। भारत सरकार
द्वारा तपेदिक का उपचार सभी सरकारी
अस्पतालों में निश्शुल्क किया जाता है तथा
इसके साथ ही तपेदिक के हर रोगी को 500
रुपए प्रति माह पोषण भत्ता भी दिया जाता
है। तपेदिक के रोगियों को नियमित रूप से
इलाज करवाना चाहिए व दवाएं बीच में
नहीं छोड़नी चाहिए। दवाएं बीच में छोड़
देने से तपेदिक जटिल हो जाती है, जिसका
उपचार लंबा व कठिन होता है और उतना
प्रभावी भी नहीं रहता है।

विश्व में केवल तीन देशों- भारत, अमेरिका और इंग्लैंड ने दो प्रकार की कोविड-19 वैक्सीन बनाई हैं। 16 जनवरी 2021 से कोविड-19 टीकाकरण का शुभारंभ हो चुका है।
    वैक्सीन के साथ- साथ शारीरिक दूरी का ध्यान रखते हुए,
'दवाई भी कड़ाई भी' का संदेश पुनः
प्रधानमंत्री जी द्वारा दिया गया है। हमें
अपनी बारी आने पर कोरोना वायरस का
टीका लगवाना चाहिए व कोविड-19 से
बचाव करना चाहिए। इसी वैक्सीन की
मदद से हम कोरोना को मात दे सकते हैं,
लेकिन इसके साथ ही हमें मास्कका प्रयोग
एवं शारीरिक दूरी का नियम भी अपनाना
होगा। देखने में आ रहा है कि कुछ लोग
कोरोना को लेकर थोड़ा लापरवाह हो रहे
हैं। इससे देश में खासतौर से कुछ प्रदेशों में
इसके रोगियों की संख्या बढ़ रही है,जो कि
भविष्य में खतरनाक हो सकती है। इसके
लिए हमें सुनिश्चित किए गए प्रोटोकाल का
पालन करना चाहिए।

    उचित खानपान, योग और प्राणायाम के द्वारा अपनी इम्युनिटी को बढ़ाना चाहिए। मजबूत इम्युनिटी तपेदिक, कोरोना या अन्य किसी भी संक्रमण से हमारी रक्षा करेगी। हमें सोचना है कि हम आज और
भविष्य में इम्यून चाइल्ड चाहते हैं तो
बच्चे को वेजिटेबल चाइल्ड बनाना होगा,
लेकिन अगर हम अपने बच्चों को फास्ट
फूड खिलाकर बर्गर चाइल्ड बनाएंगे तो
ऐसे बच्चों की इम्युनिटी कमजोर होगी।
तपेदिक और कोरोना का एक साथ
संक्रमण बहुत घातक है। अगर इम्यूनिटी
अच्छी होगी तो हम दोनों संक्रामक रोगों
का मुकाबला अच्छी तरह से कर सकते
हैं।

    तपेदिक और कोरोना महामारी दोनों बीमारियों को हम अच्छी इम्युनिटी के
साथ, मास्क के प्रयोग व शारीरिक दूरी
के नियमों का पालन करके हरा सकते है।
होली का त्योहार आने वाला है। इस दौरान
हमें खास सावधानी बरतनी होगी कि हम
समूह में होली न मनाएं, गले मिलने से
बचें और अच्छा होगा कि इस बार 'नमस्ते
होली' कहकर काम चलाएं।

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