जल प्रबंधन करियर मे कैरियर कैसे बनाए या जल संचयन (वॉटर हार्वेस्टिंग) मे जॉब के अवसर, कोर्स के बारे मे जानकारी हिन्दी मे
वाटर हार्वेस्टिंग/मैनेजमेंट
गर्मी आतेही भारत समेत दुनिया भर में पेयजलसंकट
गहराने लगता है। एशियाई विकास बैंकके अनुसार,
भारत में 2030 तक50 फीसदपानी की कमी होगी।इसे
देखते हुएवाटरहार्वेस्टिंगवप्रबंधनपर काफी जोरदिया
जारहा है। इसक्रम में पिछले दिनों प्रधानमंत्री ने कैचद
रेन' अभियानकीशुरुआत की। पिछले
कई वर्षों से जल संरक्षणव बारिश के पानीको सहेज ने के
लिए सक्रिय अभियान चला रहा है। आइए जानें,जीवन के
लिए सबसे जरुरी जल के संरक्षण/प्रबंधन के क्षेत्र में युवा
करियर बनाने की राह पर किस तरह आगे बढ़ सकते हैं...
"वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड
(डब्ल्यूडब्ल्यूएफ)
की हाल की एक.
रिपोर्ट के मुताबिक, आने
वाले वर्षों में दुनिया के
100 प्रमुख शहरों में रहने
वाले करीब 35 करोड़
लोगों को पानी की
कमी का सामना करना
पड़ सकता
है। इनमें भारत
के भी 30 से ज्यादा शहर शामिल
हैं, जहां भारी जल संकट का खतरा
अभी से देखा जा रहा है। रिपोर्ट की
मानें, तो 2050 तक यह जल संकट
अपने चरम पर होगा। इस साल भी
गर्मी आते ही दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई,
हैदराबाद जैसे शहरों से पानी की कमी
की खबरें देखने-सुनने में आने लगी हैं।
लगातार बढ़ते इस संकट को देखते हुए
इन दिनों सरकारों द्वारा वाटर हार्वेस्टिंग,
वर्षा के जल को संरक्षित करने के लिए
रेन वाटर हार्वेस्टिंग/कंजर्वेशन जैसे
विकल्पों पर काफी जोर दिया जा रहा है,
ताकि जल संचयन के साथ-साथ पानी का
उचित प्रबंधन भी किया जा सके। यही वजह
है कि पिछले कुछ सालों से इस फील्ड में करियर
के नये-नये मौके सामने आ रहे हैं, जहां वाटर
साइंटिस्ट, वाटर कंजर्वेशनिस्ट, वाटर प्रबंधक
के तौर पर शानदार करियर बनाया जा सकता है।
बढ़ रहे हैं मौके : हाल में संयुक्त राष्ट्र ने अपने
एक संदेश में कहा है कि चाहे शिक्षा, स्वास्थ्य,
भोजन, घरेलू जरूरतें या आर्थिक गतिविधियां
हों, मानव अस्तित्व के लिए पानी से बढ़कर कोई
भी बड़ा अनिवार्य संसाधन नहीं है। इसीलिए
जल संचयन को मौजूदा समय की सबसे
बड़ी जरूरत के तौर पर देखा जा रहा है। वाटर
कंजर्वेशन एवं मैनेजमेंट पर सरकारें ही नहीं,
औद्योगिक प्रतिष्ठान भी अब ज्यादा जोर देने लगे
हैं। केंद्र सरकार भी 'जल जीवन मिशन' और
'कैच द रेन' जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं के
जरिये स्थानीय जल स्रोतों के परिवर्धन, मौजूदा
स्रोतों के पुनर्भरण एवं सरकारी तथा निजी भवनों
में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनवाने पर
जोर दे रही है। इस फील्ड में कुशल लोगों की
सिंचाई विभाग, वाटर रिसोर्सेज बोर्ड्स, रिसर्च
इंस्टीट्यूट तथा एनवॉयर्नमेंट प्रोटेक्शन कंपनियों
में ज्यादा जरूरत देखी जा रही है।
कोर्स एवं योग्यता: युवा जियोलॉजी विषय की
पढ़ाई करके इस फील्ड में एंट्री पा सकते हैं।
सिविल से इंजीनियरिंग करने वाले स्टूडेंट भी
इसमें स्पेशलाइजेशन करके करियर बना सकते
हैं। वाटर मैनेजमेंट या वाटर कंजर्वेशन से जुड़ा
कोर्स करके भी युवा इस फील्ड में आ सकते हैं।
इग्नू समेत देश के कई संस्थानों, हाइड्रोलॉजी
इंस्टीट्यूट में यह कोर्स संचालित हो रहा है।
भविष्य में और ज्यादा बढ़ेगी संभावनाएं
भारत में पानी की समस्या बढ़ रही है।भविष्य में यह और बढ़ेगी। समस्या बढ़ने पर सरकारों और संस्थानों
द्वारा ज्यादा कदम उठाए जाएंगे।ऐसे में नौकरी की संभावनाएं भी ज्यादा होंगी।भारत वाटर स्ट्रेस कंट्री में
शामिल हो चुका है। यहां हर व्यक्ति को सालाना 17 लाख लीटर पानी चाहिए, जो इस समय 15 से 16 लाख
लीटर तक आ गया है। ऐसे में जल के स्तर को बचाने और बढ़ाने के लिए इस फील्ड में अबधीरे-धीरे काम
बढ़ रहा है। लेकिन अभी लोग अंडर स्टाफ की स्थिति में काम कर रहे हैं। हमारे यहां भी लोग 50-60 फीसद
स्ट्रेंथ में काम रहे हैं। आधे से ज्यादा पद खाली पड़े हैं, क्योंकि उतने प्रशिक्षित लोग अभीइस फील्ड में नहीं हैं।
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