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2022-04-09

प्लास्टिक सर्जरी की पूरी जानकारी - प्लास्टिक सर्जरी क्या है

प्लास्टिक सर्जरी के बारे में जानकारी या प्लास्टिक सर्जरी की पूरी जानकारी


भारतीय चिकित्सा पद्धति में सर्जरी का इतिहास बेहद पुराना है। भारतीयों ने ही प्लास्टिक सर्जरी का हुनर विदेशी चिकित्सकों को सिखाया। बावजूद इसके, आज भी प्लास्टिक सर्जरी को लेकर अधिकांश लोगों में तमाम भ्रांतियां व्याप्त हैं.........




आज भी प्लास्टिक सर्जरी को लेकर भ्रांति है कि यह केवल उच्च आय वर्ग के लोगों के लिए है जो
इसकी मदद से अपनी सुंदरता में इजाफा कर सकते
हैं, जबकि प्लास्टिक सर्जरी का काम सिर्फ यहीं तक
सीमित नहीं। दरअसल, अन्य चिकित्सकों की भांति
प्लास्टिक सर्जन किसी खास अंग के स्पेशलिस्ट
नहीं, बल्कि पूरे शरीर के लिए जिम्मेदार होता है।
प्लास्टिक सर्जरी किसी भी अंग की आवश्यकता
हो सकती है। इसके अंतर्गत जन्मजात, इंफेक्शन,
दुर्घटना, कैंसर या जल जाने के कारण नष्ट या
विकृत हुए अंग को दोबारा ज्यादा से ज्यादा असली
रूप में लाने की प्रक्रिया अपनाई जाती है। शिशुओं
के होंठ और तालू की सर्जरी, जन्मजात अविकसित
अंगुली, अंगूठा, कान आदि को ठीक करने के
लिए प्लास्टिक सर्जरी आज एक बड़ी कारगर
तकनीक है। इसी क्रम में आग लगने से जल गए
शरीर को बचाने, ठीक करने और दोबारा सुचारू
रूप से काम करने लायक बनाने में सबसे ज्यादा
प्लास्टिक सर्जरी की आवश्यकता होती है तो वहीं


कैंसर के इलाज में सर्जरी के माध्यम से ही कैंसर
प्रभावी हिस्से (प्रमुख तौर पर मुंह, स्तन कैंसर
में) को अलग करके दोबारा सामान्य बनाने की
प्रक्रिया अपनाई जाती है ताकि कैंसर से ठीक
होने के उपरांत आपरेशन के कारण रोगी का जीवन
किसी तरह नकारात्मक तौर पर प्रभावित न होने
पाए।

प्लास्टिक सर्जरी के प्रकार

माडर्न सर्जरी से बढा यकीनः प्लास्टिक सर्जरी
दो हिस्सों में विभाजित है। पहला, एस्थेटिक सर्जरी
और दूसरा, रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी। एस्थेटिक सर्जरी
में सर्जन पहले से सामान्य अंग को और बेहतर
करने का प्रयास करते हैं। इन दिनों एस्थेटिक सर्जरी
का चलन काफी बढ़ चुका है। हालांकि हमारे
देश में अधिकांशतः रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी होती
है। माइक्रोसर्जरी ने आधुनिक सर्जरी की दुनिया
में बेहतर करने का मौका दिया है। इसके अंर्तगत
सर्जन एक मिलीमीटर लंबाई की रक्त वहिकाओं
को जोड़ने की कला में भी सफल हो चुके हैं। इस
कौशल में सर्जन कटी हुई अंगुलियों और हाथों को
फिर से जोड़ने और ऊतकों को स्थानांतरित करने
में सक्षम हो चुके हैं। इससे कई अंग जो अन्यथा
बेकार हो जाते, वे दोबारा काम करने लायक सुरक्षित
कर लिए जाते हैं।

इसी तरह डायबिटीज के साथ जी रहे लोगों के
लिए तो प्लास्टिक सर्जरी ने बड़ा योगदान दिया
है। दरअसल, डायबिटीज के करीब 25 प्रतिशत
मरीज जीवनकाल में फुट अल्सर की तकलीफ
झेलते हैं। इनमें से 50 प्रतिशत मामलों में यह
समस्या गंभीर हो जाती है तो 20 प्रतिशत
मामलों में अंग विच्छेदन तक करना पड़ता है।
अधिकांशतः यह स्थिति न्यूरोपैथी की वजह से
भी आ जाती है जिसके चलते पैरों में संवेदना
का पता नहीं लगता और वक्त के साथ तकलीफ
इतनी बढ़ जाती है कि पैरों का आकार बदलने
लगता है। शरीर का वजन उठाने में असमर्थता के
चलते यह समस्या बढ़ने लगती है। ऐसे में प्लास्टिक
सर्जन पैरों के अल्सर की सर्जरी कर इस स्थिति को
खत्म कर देते हैं। कुल मिलाकर हमें प्लास्टिक
सर्जरी के प्रति अपने पूर्वाग्रहों को बदलने की जरूरत
है।

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