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2022-04-07

साइनोसाइटिस - sinusitis bimari kya hai | lakshan | ilaj | treatment | symptoms

साइनोसाइटिस रोग का इलाज, लक्षण, ट्रीटमेंट, उपचार के बारे मे जानकारी हिन्दी में


साइनोसाइटीस की परेशानी से कैसे बचें।


वातावरण में आया बदलाव और परागकण साइनस से होने वाली समस्याको बढ़ा देते हैं। इसलिए जरूरी है समय पर इसका उपचार कराना...

साइनोसाइटिस क्या होता है?


साइनस का संक्रमण एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, लेकिन हम इसे गंभीरता से नहीं लेते हैं। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार इसके मामले अस्थमा, डायबिटीज और कोरोनरी आर्टरी से अधिक होते हैं। यदि समय पर उपचार न लिया गया तो यह बीमारी अन्य संक्रमणों का खतरा बढ़ा देती है। आने वाला समय परागण वाला है। परागकण साइनस से होने वाली परेशानी में बढ़ोतरी करते हैं। जिन लोगों में इसकी समस्या पहले से है, उनमें इन दिनों साइनस से होने वाली एलर्जी, की आशंका बढ़ सकती है। इसलिए अधिक सतर्कता बरतने की जरूरत है। गर्म मौसम भी साइनस संक्रमण के लिए अधिक तकलीफ देने वाला होता है। इसमें गर्मी के कारण एलर्जी व सिर दर्द की परेशानी होती है। माइनस में होने वाले संक्रमण को ही साइनोसाइटिस कहते हैं। 


दरअसल, हमारे चेहरे और सिर के मूवमेंट को सामान्य बनाए रखने के लिए प्राकृतिक रूप से चेहरे और सिर की हड्डियों में कुछ हवा भरे स्थान होते हैं, इन्हें साइनस कहा जाता है। ये चार जोड़े यानी कुल आठ होते हैं और आपस में एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। ये नाक के दोनों ओर, गालों और माथे पर होते हैं। साइनस की सबसे अंदरूनी परत को म्यूकस मेंब्रेन कहते हैं, जो नर्म ऊतकों से बनी होती है। यह मेंब्रेन (झिल्ली) सांस द्वारा अंदर.ली गई हवा को नम बनाए रखती है। म्यूकस धूल व सूक्ष्मजीवों को नाक में रोककर श्वसनमार्ग को संक्रमण से बचाती है। स्वस्थ साइनस हवा से भरे रहते हैं, लेकिन जब ये अवरुद्ध हो जाते हैं तो इनमें रोगाणु पनपते हैं।

क्रानिक साइनोसाइटिस: 


जब साइनस में सूजन आती है और तीन माह तक उपचार लेने के बाद भी समस्या बनी रहती है तो इसे क्रानिक साइनोसाइटिस कहते हैं।

एक्यूट साइनोसाइटिस : 

यह साइनस का अस्थाई संक्रमण है, जो सर्दी, खांसी के कारण हो सकता है। मौसम के बदलाव में एक्यूट साइनोसाइटिस का खतरा अधिक रहता है।


साइनोसाइटिस की बीमारी के लक्षण


  • नाक बहना
  • नाक बंद हो जाना
  • .लगातार खासी आनावरात मे इसकी तीव्रता बढ़ जाना
  • गले में खराश और मुंह से दुर्गंध आना
  • तेज सिरदर्दव आँखों के आसपास दबाव महसूस होना
  • दांतों औरजबड़े के ऊपरीभागमे दर्द महसूस होना
  • सूधने व स्वाद की क्षमता का प्रभावित होना


साइनोसाइटिस होने के कारण


  • मौसम में बदलाव
  • सर्दी व खांसी
  • नाक की अंदरूनी परत में सूजन (एलर्जिक रायनाइटिस)
  • नाक की अंदरूनी परत में उभार
  • कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता
  • ऐसी दवाइयों का सेवन जिनसे रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है।

साइनोसाइटिस से बचने के उपाय


साइनोसाइटिस के लक्षण सर्दी, जुकाम और फ्लू जैसे होते हैं। इसलिए मास्क का प्रयोग करें और धूल, धुंए से बचें। चिकित्सक इसका पता इमेजिंग, एलर्जी टेस्ट व एंडोस्कोपी से लगाते हैं। यदि ये दवाओं से ठीक नहीं होता तो एंडोस्कोपिक सर्जरी की जाती है जिससे इसका निदान किया जाता है।

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