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2022-05-05

irritable bowel syndrome kya hota hai | lakshan | Ilaj | Upchar

इरिटेबल बाउल सिंड्रोम के बारे में जानकारी

खानपान की गलत आदतें व असंयमित दिनचर्या बनती है इरिटेबल बाउल सिंड्रोम का कारण, उपचार और परहेज से इसे किया जा सकता है दूर...

आपको इस blog में यह टॉपिक मिलेगा -

  • इरिटेबल बाउल सिंड्रोम क्या होता है?
  • इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षण
  • इरिटेबल बाउल सिंड्रोम का उपचार

इरिटेबल बाउल सिंड्रोम क्या होता है?


पेट साफ न होना, कुछ खाते ही शौच के लिए जाना, कब्ज, सिरदर्द और थकान होना। यदि इस  तरह की समस्या है तो घबराएं नहीं, यह इरिटेबल  बाउल सिंड्रोम (आइबीएस) के कारण हो सकता है। यह पाचनतंत्र से जुड़ी एक आम समस्या है। इरिटेबल बाउल सिंड्रोम एक डिसआर्डर है, जिसका असर बड़ी आंत पर पड़ता है। इससे बड़ी  आंत अधिक संवेदनशील हो जाती है और इसकी गतिविधियों में असंतुलन पैदा हो जाता है। इससे भोजन का प्रवाह और पाचनतंत्र प्रभावित होता है। जब आंत अपना कार्य तेज करती है तो डायरिया की स्थिति और जब यह प्रक्रिया धीमी होती है तो कब्ज की परेशानी होती है।  शोधों के अनुसार, इरिटेबल बाउल सिंड्रोम का कारण गलत खानपान, तनाव और मस्तिष्क की कार्यप्रणाली का प्रभावित होना है। पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में यह रोग अधिक होता है।
जिन लोगों में इस रोग का पारिवारिक इतिहास होता है, उन्हें भी इस समस्या की आशंका अधिक रहती है।


इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम के लक्षण

  • पेट में ऐंटन व दर्द
  • पेट फूलना या भरा महसूस होना
  • गैस बनना
  • कब्ज रहना
  • कुछ खाते ही शौच के लिए जाना


ध्यान रखने वाली बातें

  • अल्कोहल, काफी व कोल्ड ड्रिंक के सेवन से बचें।
  • पानी पर्याप्त मात्रा में पिएं।
  • पर्याप्त नींद लें।
  • भोजन समय पर करें।
  • फास्ट फूड, जंक फूड व मसालेदार भोजन से बचें।
  • तंबाकू उत्पादों का सेवन न करें
  • रात को खाना खाने के बाद थोड़ी देर टहलें ।
  • हरी सब्जियों व मौसमी फलों का नियमित सेवन करें।
  • भोजन में मोटे अनाज को शामिल करें।
  • योग व मेडीटेशन करें।

इरिटेबल बाउल सिंड्रोम का उपचार


चिकित्सक इरिटेबल बाउल सिंड्रोम का उपचार रोगी की समस्या और जीवनशैली के आधार पर करते हैं। ऐसे रोगियों को दवाओं के साथ खानपान में सावधानी बरतने और डाइट चार्ट के आधार पर आहार लेने की सलाह दी जाती है। कुछ मामलों में एंग्जायटी भी एक बड़ा कारण होती है। ऐसे रोगियों को पाचनतंत्र व मानसिक स्थिति को सामान्य करने वाली दवाओं का सेवन कराया जाता है।

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