Life is like accounting,
“ Our happiness must be credit and sorrows always must be
debit.”
By Shubham Chauhan
By Shubham Chauhan
- “कम्पनी उसे कहते है' जिसका समामेलन इस अधिनियम के अधीन अथवा इसके पूर्व के किसी कम्पनी अधिनियम के अधीन हुआ है” कम्पनी अधिनियम 2013 का धारा 2 (20)
- कम्पनी अधिनियम सन् 1956 में बनाया गया।
- नया कम्पनी अधिनियम सन् 2013 में बना है, जो 1 अप्रैल 2014 में लागू हुआ।
- “कम्पनी विधान द्वारा निर्मित एक कृत्रिम व्यक्ति है। जिसका पृथक अस्तित्व होता है, शाश्वत उत्तराधिकारी होता है” प्रो. हैने
- नीजी कम्पनी की अधिकतम सदस्य संख्या 200 होती है।
- नीजी कम्पनी में न्यूनतम सदस्य संख्या 2 होती है।
- सार्वजनिक कम्पनी में न्यूनतम सदस्य संख्या 7 होती है।
- सार्वजनिक कम्पनी में अधिकतम सदस्य संख्या पर कोई प्रतिबन्ध नही है।
- संयुक्त पूंजी कम्पनी का पंजीयन अनिवार्य होता है।
- अंशधारी कम्पनी के स्वामी होते है।
- कम्पनी समता एवं पूर्वाधिकार दो प्रकार से अंश निर्गमित करता है।
- कम्पनी सममूल्य एवं अधिमूल्य दोनो पर अंश निर्गमित कर सकता है।
- कम्पनी एक कृत्रिम व्यक्ति होता है।
- समता अंशधारी कम्पनी के स्वामी होते है।
- अंशो पर लाभांश दिया जाता है।
- प्रीमियम पर निर्गमन एक पूंजीगत प्राप्ति है।
- प्रवर्तक के व्यय प्रारम्भिक व्यय कहलाता है।
- Share Forfeiture A/c के शेष का Capital Reserve A/c में हस्तान्तरित होता है।
- Share Forfeiture A/c के राशि के B/S में Reserve & Surplus A/c में दिखाते है।
- हरण के समय अंशो पर प्रदत्त पर प्रदत्त राशि Share Capital A/c (पूंजीखाता) से किया जाता है।
- 14 दिन पहले नोटिस देकर ही अंशो को हरण किया जाता है।
- छूट पर अंशों का निर्गमन Company Law Board की अनुमति लेकर होता है।
- बोनस अंशो का निर्गमन Premium, General Reserve, Capital Reserve, Debenture Sinking Funds, Other Reserve, Capital Profit Etc में हो सकता है।
- Premium की राशि चिट्ठे में Liabilities में दिखाते हैं।
- न्यूनतम अभिदान की राशि 60 दिन में मिलनी चाहिए।
- अंशधारियो का खाता Personal A/c होता है।
- कम्पनी संचित पूंजी को समापन के समय मांगती है। इसे आरक्षित पूंजी कहते है।
- अदत्त्ा याचना (Calls In Arrears) को पूंजी से घटा देते है।
- आवेदन के बाद आबंटन एवं याचना की राशि न चुकाने पर हरण किया जाता है।
- पूर्वाधिकार अंशो पर लांभाश दर पूर्व निश्चित होती है।
- समता अंशो पर लाभांश दर पूर्व निश्चित नही होती है।
- हानि की दशा में कम्पनी ब्याज का भुगतान प्रपत्रो पर करती है।
- कार्यालय में दो शब्द कार्य + आलय मिलकर बने है।
- “कार्यालय व्यवसाय में वही महत्व रखता है, जो एक घड़ी में मुख्य स्प्रिंग का होता है।“ प्रो. डिक्सी
- कार्यालय के कार्यो को आवश्यक एवं अन्य कार्य के 2 भागो में बाटां गया है।
- नस्तीकरण की सस्ती विधि तार फाइल है।
- नस्तीकरण पुस्तकालीय कार्य है।
- आने वाले पत्रों को पत्र प्राति पुस्तक में लिखते है।
- जाने वाले पत्रो को पत्र प्रेषित पुस्तक में लिखते है।
- पत्रो को भेजने का हिसाब या खर्च डाक व्यय पुस्तक में लिखते है।
- आने वाले पत्र डाकिया या चपरासी से प्राप्त होता है।
- नकद धन के लेनदेन का हिसाब लेखा विभाग रखता है।
- पत्रो को तीन भागो में बाटा गया है ; - 1. नीजी पत्र 2. सरकारी पत्र 3. व्यापारिक पत्र
- व्यापारियों के बीच का पत्र व्यापारिक पत्र है।
- सरकारी अधिकारीयों व कर्मचारियों के बीच का पत्र सरकारी पत्र है।
- एक अच्छे पत्र को स्पष्ट पूर्व व शुद्ध लिखना चाहिए।
- एक अच्छे पत्र स्पष्ट संक्षिप्त एवं सत्य होता है।
- पत्र व्यवहार वर्तमान में प्राण की तरह है।
- कार्ड अनुक्रमाणिक के जन्मदाता एवं रोफियर है।
- शैनन फाइल छोटे व्यापारियो हेतु उपयोगी है।
- कार्ड अनुक्रमाणिक में संकेत कार्ड का प्रयोग होता है।
- कार्ड अनुक्रमाणिक में लोच (बदलाव) आसान है।
- पूछताछ का पत्र क्रेता लिखता है।
- क्रेता विक्रेता दोनो शिकायत पत्र लिख सकते है।
- भुगतान को याद दिलाने हेतु तकादे का पत्र लिखते है।
- तकादे के 4 पत्र होते है।
- पुछताछ का उत्तर निर्ख पत्र के होता है।
- Working Capital = Current Assets – Current Liabilities
- हरण किए गए अंशो का पुन: निर्गमन किया जा सकता है।
- स्वैट अंशो को कटौती पर निर्गमित किया जा सकता है।
- स्वैट अंशो के अतिरिक्त कटौति पर अंशो का निर्गमन नही हो सकता है।
- लाभ के पूंजीकरण हेतु बोनस अंश कम्पनियां निर्गमित करती है।
- अंशो के लिए अधिक आवेदन आने को अति अभिदान कहते है।
- जिस निर्गमित पूंजी के भाग को जनता क्रय करता है, प्रार्थित पूंजी होता है।
- कर्मचारी क्षतिपूर्ति कोष को लाभांश के रूप में दिया जा सकता है।
- याचनाओं की अधिकतम संख्या 3 होती है।
- आवेदन की अधिकतम राशि अंकित मूल्य के 5% से कम नही होनी चाहिए।
- सार्वजनिक कम्पनी के अंश हस्तान्तरित हो सकते है।
- ऋणपत्रो का हरण नही किया जा सकता है।
- प्रतिभूतियों का क्रय विक्रय मुद्रा बाजार में नही होता है।
- नीजी कम्पनी समामेलन के बाद व्यापार प्रारम्भ कर सकती है।
- “ऋणपत्रो में ऋणपत्र स्टॉक बॉण्ड और कम्पनी की अन्य प्रतिभूतियां सम्मिलित है । चाहे वह कम्पनी की सम्पत्तियो पर प्रभाव हो अथवा नही” कम्पनी अधिनियम 2013 धारा 2(30)
- ऋणपत्र धारको को कम्पनी का क्रेडिटर कहते है।
- ऋण के प्रमाणपत्र को ऋणपत्र कहते है।
- ऋणपत्रो का कम्पनी निर्गमन सममूल्य, छूट, प्रीमियम तीनों पर होता है।
- ऋणपत्रो को शोधन सममूल्य, छूट, प्रीमियम पर होता है।
- छूट पर निर्गमित ऋणपत्रो पर छूट की राशि संचय एवं आधिक्य में घटाकर दिखाते है या Assets पक्ष में दिखाते है।
- यह चालू दायित्व है।
- छूट पर ऋणपत्रो का निर्गमन पूंजीगत हानि है।
- ऋणपत्रो का विक्रय व्याज सहित हो सकता है।
- ऋणपत्र के धारक कम्पनी के स्वामी नही होते है।
- ऋणपत्रो का शोधन नकद नये ऋणपत्रो समता अंश पूर्वाधिकार अंश के रूप में हो सकता है।
- ऋणपत्रो पर व्याज मिलता है।
- ऋणपत्रो पर व्याज दर पूर्व निश्चत होता है।
- ऋणपत्रो पूर्ण सुरक्षित होते है।
- प्रीमियम पर ऋणपत्रो को निर्गमित से प्राप्ति की राशि पूंजीगत प्राति है।
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