अगर आप बिटकॉइन कमाना चाहते है तो इससे बेहतर आपको साइट नहीं मिलेगी? तो बिटकॉइन कमाने के लिए क्लिक करे

Search Your Topic In This Blog : I think I written about that.

2020-03-22

गुस्सा किसे नहीं आता है

गुस्सा किसे नहीं आता है? लेकिन क्या आप जानते हैं गुस्सैल प्रवृत्ति के लोगों में हार्ट अटैक और स्ट्रोक होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है।

हाल ही में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि सामान्य लोगों के मुकाबले गुस्से की - प्रवृति रखने वाले लोगों में स्ट्रोक और हार्ट अटैक की आशंका ज्यादा होती है। शोधकर्ता स्ट्रोक के मरीजों और स्वस्थ लोगों के स्वास्थ्य का तुलनात्मक, अध्ययन करने के बाद इस नतीजे पर पहंचे हैं। ये सभी लोग एक ही क्षेत्र के रहने वाले थे। इनकी औसत आयु 54 साल थी। शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों की बेचैनी और डिप्रेशन की जांच कर उनमें तनाव का स्तर पता लगाया। उन्होंने पाया कि जिन प्रतिभागियों में तनाव का स्तर अधिक था, उन्हें स्ट्रोक होने की आशंका अधिक थी। उनमें इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि व्यक्ति की जीवनशैली क्या है और वह पुरुष है या फिर महिला।

गुस्सा एक ऐसी भावना है जो पल भर में व्यक्ति का जीवन बर्बाद कर देती है। यह आपको अंदर ही अंदर खत्म कर देती है। कई बार गुस्सा उस भयानक तूफान की तरह हो जाता है, जो अपने पीछे सिर्फ तबाही के निशान छोड़ जाता है। इससे अच्छे से अच्छे रिश्तों में दरार आ जाती है। कई बार जब हम अपने क्रोध या आक्रोश को दूसरों पर अभिव्यक्त नहीं कर पाते हैं, तो अपने ही शरीर को नुकसान पहुंचाने लगते हैं। मनोचिकित्सकों का कहना है कि मन की अंदरुनी पीड़ा और कुंठा से उपजे क्रोध को काबू करना जरूरी है। ज्यादातर समय गुस्से में रहने वाले लोग अपना मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य भी खराब कर लेते हैं। अगर आपको बार-बार गुस्सा आता है, तो कोशिश करें कि उसे नियंत्रित किया जाए। आप उन कारणों को रेखांकित करने का प्रयास करें, जिनके चलते आप भावनात्मक व मानसिक रूप से पीड़ित हैं। उन बातों की ओर भी ध्यान दें, जिनके चलते आपका दुख बढ़ जाता है। मनोभावों और उनके पैदा होने के मूल कारणों को समझने का प्रयास करें। | गुस्से को बाहर निकालने का आपका जो भी तरीका हो, पर इस संदर्भ में यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि आपको न तो खुद को पीड़ित करना है और न ही दूसरे को कष्ट पहुंचाना है। क्रोध आने पर मुट्ठियां भींचें, पर इनका प्रयोग न करें। यदि आप आस्तिक हैं तो अपने आराध्य को याद करें। इससे आपके गुस्से का प्रवाह कम होने की संभावना बढ़ जाती है। अपनी भावनाओं को समझने का प्रयास करें। किसी समय विशेष में आपकी अनुभूतियां क्या हैं, मन में किस तरह के भाव आ रहे हैं, इनका परीक्षण करें। आप किन बातों से भयभीत हैं, उन कारणों को व्यावहारिक और सकारात्मक दृष्टि से समझने का प्रयास करें। मनोचिकित्सकों के अनुसार परेशान शख्स के अधिकांश भय काल्पनिक होते हैं। यदि आप उन भयों से रूबरू होने का प्रयास करते हैं तो काफी हद तक आपका भय जाता रहता है। सकारात्मक सोच के जरिए भी आप अपने गुस्से पर काबू रख सकते हैं। सबसे पहले आप अपने नकारात्मक व्यवहार को अलविदा कह दें। अपने प्रति ईमानदार रहें। सच से जीन चुराए। उन कारणों पर भी ध्यान देने का प्रयास करें, जिनसे आप प्रसन्न होते हैं। जिन बातों से आपका आत्मविश्वास बढ़ता है उन बातों को रेखांकित कर उन पर अमल करें। किसी बात को लेकर यदि आप असमंजस में पड़े हैं तो अपने अंतर्मन की पुकार सुनें। -गुस्से में आने के बाद किसी को न तो फोन करें और न ही मैसेज भेजें। इस दौरान आपकी नकारात्मक भावनाएं दिमाग पर हावी होती हैं। ऐसे में आप अच्छे शब्दों के बारे में सोच ही नहीं सकते। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। संतुलित पोषक आहार का सेवन करें। साथ ही नियमित रूप से व्यायाम करें।

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

Thanks You Guys
Please Share This Link