इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल के साथ ही बढ़ रहे हैं,साइबर अटैक या हैकिंग के मामले। इस साल हैकर्स किन-किन हथकंडों से आपकी इंटरनेट की दुनिया में सेंध लगाएंगे, यह जानना जरूरी है।
साइबर हैकिंग क्या है ???
"साइबर हैकिंग वो है जिसे किसी अप्रिय व्यक्ति या किसी अपराधी द्वारा आपके प्राइवेट या पर्सनल जानकारी चुरा लेना ही साइबर हैकिंग है।"
इंटरनेट पर लोगों की बढ़ती निर्भरता से जहा जीवनशैली तेज और आसान हुई है, वहीं कुछ खतरनाक साइबर हमलों का भी सामना लोगों को करना पड़ रहा है। ये साइबर हमले न सिर्फ कई उद्योगों और यूजर्स को आर्थिक नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि इनके कारण निजी डाटा का नुकसान भी उठाना पड़ता है। नए साल में इस स्थिति से बचने और साइबर सुरक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए उद्योगों और यूजर्स की निजी जानकारी और व्यवसाय संचालन की चौबीसों घंटे निगरानी की आवश्यकता होगी। व्यवसाय और उद्योग को भविष्य में विकास हेतु आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग को अपनाना बेहद जरूरी है। साइबर सिक्योरिटी सॉल्यूशंस भी अब इन्हें अपनाने लगे हैं, जिससे साइबर सुरक्षा की सबसे कमजोर कड़ी यानी कि मानवीय गलतियों के कारण होने वाली किसी भी अप्रिय घटना के लिए हम तैयार रह सकें। ईस्कैन सिक्योरिटी रिसर्च टीम ने कुछ ऐसे ही प्रमुख घटकों की पहचान की है, जो सुरक्षा चूक के सबसे मजबूत और ध्यान दिए जाने वाले क्षेत्रों के रूप में उभरेंगे।
क्रिप्टो करेंसी
2017 में क्रिप्टो करेंसी (आभासी मुद्रा) को उथल-पुथल से भरपूर एक कमोडिटी के रूप में उभरता हुआ देखा गया है। हालांकि, इस अस्थिरता ने क्रिप्टो करेंसी में निवेशकों की दिलचस्पी को कम नहीं किया है। 2017 की दूसरी छमाही में 'वॉनाक्राई' जैसे प्रमुख रैनसमवेयर' हमलों और बिटकॉइन पर इन हमलों की निर्भरता देखी गई है। अनियमित बेनामी मुद्रा बाजार होने की वजह से साइबर अपराधी आगे भी रैनसम यानी फिरौती के लिए क्रिप्टो करेंसी की मांग करना जारी रखेंगे। 2018 क्रिप्टो करेंसी का साल रहेगा, जिसमें कई कंपनियां अपनी मुद्रा की स्थिरता के लिए आपस में मुकाबला करेंगी। वहीं, प्रमुख क्रिप्टो करेंसियों के आने के साथ ही 2018 की दूसरी छमाही में बाजार के संगठित होने की संभावना रहेगी। बिटकॉइन की आसमान छुती कीमतों के कारण, 2018 में अपराधी अपना पूरा ध्यान दूसरी क्रिप्टो करेंसी पर भी केंद्रित कर सकते हैं और यह क्रिप्टो करेंसी की लोकप्रियता में बड़ा बदलाव साबित होगा। बिटकॉइन के हार्ड फॉर्क्स के कारण बिटकॉइन गोल्ड और बिटकॉइन कैश तैयार हुआ और अब बिटकॉइन सिल्वर, बिटकॉइन प्लैटिनम लाने की भी योजना है, जो कि बिटकॉइन के आगे के विकास में मदद करेगा। इतने सारे फॉर्क्स के बाद, निवेशकों को बेहद सावधानी बरतनी होगी, क्योंकि 2018 में कई नकली क्रिप्टो करेंसीज पैदा होने, इनसे जुड़े घोटाले और पॉन्जी स्कीम सामने आ सकती हैं।
रैनसमवेयर
वर्ष 2018 में भी रैनसमवेयर एक बड़ा खतरा बने रहेंगे। साइबर अपराधियों के लिए अपने शिकार से पैसे उगाही का यह सबसे आसान तरीका है। 2013 में रैनसमवेयर के मूवमेंट को कम करने के निश्चित हल के रूप में पैच-अपडेट की जरूरत पर जोर दिया जाएगा। इसके आतरिक्त रैनसमवेयर बनाने वाले बिटकॉइन की बजाय दूसरी क्रिप्टो करेंसी की ओर भी आकर्षित हो सकते हैं, क्योंकि फिरौती के भुगतान के लिए पीड़ितों के लिए व्यवहारिक होना बेहद जरूरी है और बिटकॉइन की बढ़ती कीमतों का भी इसमें अहम योगदान होगा। 2018 में, देश और लक्षित संस्थानों की भुगतान क्षमता के आधार पर फिरौती की रकम का निर्धारण भी देखने को मिल सकता है। अभी तक. स्पियर-फिशिंग (आजकल ऑनलाइन ऑफर्स की बरसात करने वाले ई-मेल्स का आना आम बात है, लेकिन इसमें से कई ई-मेल्स आपको गलत वेबसाइट का तरफ ले जाते हैं। अगर आपने इनमें अपनी जानकारी दे दी, तो साइबर अपराधी इसका फायदा उठा सकते हैं। इस तरह के मामला को स्पियर फिशिंग कहते हैं।) के द्वारा आपकी निजी जानकारिया को चुराने की कोशिश की जाती है। आने वाले समय में संस्थाओं को विशेष रूप से उनके लिए ही तैयार किए गए रैनसमवेयर के हमले झेलते हुए देखेंगे।
आईओटी डिवाइस की बेहतर सुरक्षा
जहां स्मार्ट डिवाइस और दूसरी इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) सरी डिवाइस की मांग दिनों-दिन बढ़ रही है, उसी तरह इन डिवाइस की आधुनिक सुरक्षा की जरूरत भी तेजी से बढ़ रही है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, प्रमुख उद्योगों में तकरीबन 30 बिलियन इंटरनेट से चलने वाली चीजें आपस में जुड़ी हुई होंगी और विभिन्न कॉरपोरेट्स की प्रत्येक भूमिकाओं में आईओटी शामिल होगा। साथ ही, इन डिवाइसेज पर हमले भी बढ़ेंगे। इसके अलावा, 2017 में आईओटी डिवाइसेज विभिन्न बॉटनेट के निशाने पर रहे हैं, जिसमें कुख्यात 'मिराई' बॉटनेट भी शामिल है, जिसने महत्वपूर्ण संरचनाओं पर आगामी हमलों की संवेदनशीलता बढ़ाने में भी मदद की है। 2018 एक मिलाजुला साल होगा और इस दौरान हमें विक्रेताओं के बीच आईओटी उपकरणों के विकास के लिए सुरक्षा दिशा-निर्देशों का विकास भी देखने को मिल सकता है। इसके अलावा 2018 में आईओटी बॉटनेट पर बड़ी संख्या में हमले भी देखने को मिल सकते हैं।
मोबाइल हैकिंग में वृद्धि
2017 में एंड्रॉयड डिवाइसेज को प्रभावित करने वाले 'डीडीओएस' मालवेयर को उभरते हए देखा गया। इसके साथ ही इस साल 'वायरएक्स' बॉटनेट की हरकत भी देखने को मिली। सूचनाएं चुराने वाले मोबाइल मालवेयर के लिए सिर्फ साइबर अपराधियों को ही जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता, बल्कि उपकरण निर्माता भी यूजर की गोपनीयता उल्लंघन के मामले में संदेह के घे में हैं और एहतियातन कदम उठाते हुए भारत सरकार ने कई उपकरण निर्माताओं के खिलाफ आदेश जारी किया है। इसके अलवा चीनी संस्थाओं द्वारा विकसित 40 से अधिक ऐप्स को ब्लैक लिस्टेड किया है। डिवाइस निर्माताओं और ऐप डेवलपर्स के लिए 2018 का साल फायदेमंद हो सकता है, लेकिन ये गोपनीयता को लेकर काम करने वाले लोगों के संदेह के घेरे में भी आ सकते हैं। इसके अतिरिक्त, 2017 में यूजर्स को भारी मात्रा में नकली ऐप्स का सामना भी करना पड़ा है और एंड्रॉयड और आईओएस में खोजी गई कमजोरियों ने गूगल और एप्पल जैसी कंपनियों को अपने खुद के ऐप स्टोर्स तैयार करने को मजबूर किया है। 2018 का साल भी कुछ ज्यादा बेहतर नहीं होगा और इस साल भी हमखराब डिवाइस से जुड़ी घटनाएं देखने को मिल सकती हैं।
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