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High Energy Visible Light Skin Ko Kaise Damage Karte Hain????
क्या आपकी नाजुक त्वचा जल्दी बूढ़ी हो रही है? या फिर आपकी त्वचा पर झुर्रियां पड़ने लगी हैं? अगर ऐसा है, तो सावधान हो जाइए, क्योंकि ऐसा सिर्फ सूरज की रोशनी से ही नहीं होता, बल्कि आपके मोबाइल, कंप्यूटर और टेलीविजन से भी हो सकता है।
डिजिटल वर्ल्ड के दौर में आप दिन में औसतन 150 बार अपने फोन को चेक करती हैं। रोजाना तकरीबन 10 घंटे मोबाइल या कंप्यूटर की स्क्रीन के सामने समय बिताती हैं, लेकिन क्या आप जानती हैं कि इसकी ब्लू लाइट आपकी आंखों को ही नहीं, आपकी त्वचा को भी नुकसान पहुंचा रही है? यहां तक कि सूर्य की किरणों से भी ज्यादा। इससे आपकी त्वचा तेजी से बुढ़ापे की ओर बढ़ रही है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट बताती है कि दोपहर के समय 20 मिनट में सूरज की रोशनी से आपकी त्वचा का रंग जितना बदलता है, उतना ही एक कंप्यूटर के सामने चार से आठ घंटे बिताने से भी बदलता है।
दरअसल, बढ़ती डिजिटल निर्भरता के कारण हमारी त्वचा फोन और कंप्यूटर से निकलने वाली हानिकारक नीली किरणो के लगातार संपर्क में रहती हैं। आप हर समय नीली रोशनी से घिरी रहती है। ये हानीकारक किरणे आपके स्मार्ट फोन, कंप्यूटर और टीवी स्क्रीन से निकलती है, जिनका आप बार बार और लंबे समय तक उपयोग करती है, लेकिन अपनी त्वचा पर पडने वाले इनके हानिकारक प्रभावों और उपलब्ध सुरक्षा उपायों के बारे में अनजान रहती हैं।
ब्लू लाइट (जिसे हाई एनर्जी विजिबल लाइट भी कहा जाता है) में पराबैंगनी किरणों की तुलना में त्वचा को कहीं ज्यादा नुकसान पहुंचाने की क्षमता होती है। कई शोध बताते हैं कि यह ब्लू लाइट झुर्रियों, त्वचा की शिथिलता और हाइपरपिगमेंटेशन सहित समय से पहले बूढ़ा कर देती है। नीली रोशनी मानव त्वचा में प्रोटीन को नुकसान पहुंचाती है, जिससे त्वचा में रंग परिवर्तन (काले धब्बे और हाइपरपिगमेंटेशन), सूजन (लालिमा), सतह का कमजोर होना और सूखापन आदि हो जाता है। सरल शब्दों में कहें तो नीली रोशनी त्वचा में तनाव को बढ़ावा देती है, । जो जल्दी बुढ़ापे का कारण बनती है।
हमारी त्वचा के स्क्रीन के सामने रहने की समयावधि को देखते हुए आप अंदाजा लगा सकती हैं कि हमारी त्वचा कितनी तेजी से बूढ़ी हो रही है।
बदलते समय और विकसित होती तकनीकों के साथ आज की नारी उपभोक्ता अपने लुक को लेकर ज्यादा सजग और जागरूक है। वह अपनी त्वचा की देखभाल करती है। समय से पहले एजिंग और त्वचा से जुड़ी अन्य समस्याओं से बचने की कोशिश भी करती है। इसके बावजूद वह ब्लू लाइट के कारण त्वचा को होने वाले नुकसान के बारे में अभी भी जागरूक नहीं है। वह यह नहीं जानती कि बाजार में उपलब्ध उत्पादों की मदद से वह ब्लू लाइट से होने वाले नुकसान से अपनी त्वचा को बचा सकती है।
यदि आप समय से पहले बुढ़ापे को रोकने के बारे में गंभीर हैं, तो अपनी सनस्क्रीन बदल डालें। ऐसी सनस्क्रीन लगाएं, जो आपको न केवल बाहरी हानिकारक किरणों से बचाए, बल्कि घर के अंदर मौजूद ब्लू लाइट से भी आपकी त्वचा का बचाव करे। इसके लिए ऑर्गेनिक उत्पाद एक अच्छा उपाय है। इनमें कीटनाशकों और रसायनों से रहित पौधों के ऑर्गेनिक अवयवों का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे ये उत्पाद केवल प्राकृतिक ही नहीं, बल्कि ऑर्गेनिक भी होते हैं। इसके अलावा आपको नीली रोशनी से बचाव के अन्य उपाय भी करने की जरूरत है। तो अब अगर आप कम उम्र में बूढ़ी नहीं दिखना चाहती हैं, तो अपनी त्वचा पर पूरा ध्यान देना अभी से शुरू कर दें।
Blue Light Yani (High Energy Visible Light) Se Bachav Kaise Kare?
1. यह जानते हए कि सूर्य का प्रकाश और डिजिटल उपकरण दोनों ब्लू लाइट का उत्सर्जन करते हैं, घर के अंदर और बाहर दोनों जगह सावधानी बरतनी चाहिए।
2. इससे पहले कि आप अपनी त्वचा की देखभाल की व्यवस्था को बदल दें, अपनी तकनीक पर ध्यान दें और अपने फोन तथा कंप्यूटर को एक ब्लू लाइट के साथ संयोजित करें।
3. एलोवेरा और कलौनी मिट्टी के लाभ के साथ, ब्लू लाइट तकनीक वाली जैविक सनस्क्रीन का प्रयोग करें।
4. सनस्क्रीन का प्रयोग 24 गुणा 7 करना चाहिए, दोनों समय- जब आप बाहर निकल रही हों और जब आप किसी डिजिटल उपकरण का उपयोग कर रही हों।
5. कुछ स्मार्टफोन में एक सेटिंग होती है, जो पीली रोशनी (जिसे अक्सर नाइट मोड कहा जाता है) के लिए नीली रोशनी को निष्क्रिय कर देती है। इससे आपकी आंखों और त्वचा पर दुष्प्रभाव नहीं पड़ता।
6. यदि आपके फोन में यह सुविधा है, तो एक अच्छी एंटी एजिंग और आंखों के बचाव की विधि के रूप में इसका उपयोग करें।
7. अनार, तरबूज और गुलाबी अंगूर जैसे फलों के माध्यम से प्राकृतिक सनस्क्रीन खाएं, जो सूरज से होने वाले नुकसान को कम करने में मदद करती है। फल एंटीऑक्सिडेंट और जलनिरोधी होते हैं और नीली किरणों के नुकसान को कम करने में मदद करते हैं।
8. अपने वर्कबैग में अपना सनस्क्रीन रखें। ये सनस्क्रीन आपकी त्वचा को नीली रोशनी से बचाएंगे। हर दिन अपनी त्वचा की रक्षा करना याद रखें। वैसे यह स्वैग भी है, जिसमें घर के अंदर सनस्क्रीन का उपयोग किया जाने लगा है।
Tvacha Ki Dekbhal Ke Liye Ise Bhi Dekhe
जब भी आप अपनी त्वचा के लिए कोई क्रीम खरीदती हैं, तो उस पर लिखा होता है- फॉर ड्राई स्किन ओनली, नॉर्मल स्किन ओनली या ऑयली स्किन ओनली। ऐसे में आप भ्रमित हो जाती हैं। इसलिए यह जानना बेहद जरूरी है कि आपकी त्वचा कैसी है? ताकि आप उसकी देखभाल के लिए सही उत्पाद ले सकें। हालांकि यह जानना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, क्योंकि मौसम, उम्र, खानपान और हार्मोनल बदलाव के कारण त्वचा बदलती भी रहती है। सामान्य रूप से त्वचा के चार प्रकार हैं
1. खिली-खिली सी
यह चिकनी और मुलायम होती है। ऐसी त्वचा वालों का चेहरा हमेशा तरोताजा रहता है। उनको किसी भी मौसम में कोई दिक्कत नहीं होती है और उन पर किसी भी तरह का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। ऐसी त्वचा वालों को पिंपल्स और ऐक्ने जैसी परेशानियां कम होती हैं।
2. तैलीय
तैलीय त्वचा की निशानी चेहरे पर चमक और खुले हुए पोर्स हैं। इस तरह की त्वचा पर ऐक्ने और पिंपल्स की आशंका ज्यादा होती है। ऐसी त्वचा वालों के लिए सर्दियों का मौसम सबसे अच्छा होता है, क्योंकि ठिठुरती ठंड में भी इस तरह की त्वचा मुलायम लगती है। आपकी त्वचा ऑयली है या नहीं, यह जानने के लिए गीली रुई लें और उससे अपने चेहरे को पोछे। अगर रूई पर आपकी धूल चिपकी दिखती है, तो इसका मतलब है कि आपकी त्वचा ऑयली है।
3. थकी हुई
ऐसी त्वचा में हमेशा सूखापन और खिंचाव बना रहता है। चेहरा हमेशा थका थका सा लगता है। इसमे टी-जोन(नाक और माथे का हिस्सा) में ओपन पोर्स और ब्लैक हेड्स हो जाते है। हाइपरपिंगमेंटेशन (भूरें रंग के धब्बे) हो सकते है। समय और उम्र के साथ ऑखो के पास लकिरे दिखने लगती है।
4. रूखी और बेरोनक
नाक और माथा चिकना होता है, वही चेहरे के दूसरे हिस्से सामान्य, साफ या रूखे होते है। खुले हुए पोर्स माथे, ठड्डडी और नाक पर होते है और इन्ही हिस्सो में आमतौर पर पिपंंल्स की समस्या देखी जाती है।
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