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2020-05-19

क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज क्या है? Chronic Obstructive Pulmonary Disease Treatment(Upchar), Symptoms (Kakshan), Definition In Hindi

Chronic Obstructive Pulmonary Disease

क्रॉनिकऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) फेफड़ों से संबंधित गंभीर बीमारी है। इस मर्ज में फेफड़ों के टिश्यूज के क्षतिग्रस्त होने के परिणाम स्वरुप पीड़ित व्यक्ति अच्छी तरह से सांस नहीं ले पाता। कालांतर में यह समस्या बद से बदतर होती जाती है। इस रोगके संदर्भ में कुछ विशेषज्ञ डॉक्टरों से बातचीत...

  • लाख लोगों की मौतें भारत में प्रतिवर्ष सीओपीडी से होती है।

  • 15 लाख लोगों की प्रतिवर्ष दुनियाभर में मौतें क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) से होती हैं।

Chronic Obstructive Pulmonary Disease Ke Karan

डॉक्टर का कहना है कि सीओपीडी' का एक प्रमुख कारण धूमपान है। अगर रोगी इस लत को नहीं छोड़ता, तो उसकी बीमारी गंभीर रूप अख्तियार कर सकती है। धूमपान से कालांतर में फेफड़ों को नुकसान पहुंचता है। फेफड़ों में सूजन आने लगती है, उनमें । बलगम जमा होने लगता है। फेफड़े की सामान्य संरचना विकारग्रस्त होने लगती है। वहीं जो महिलाएं ग्रामीण या अन्य क्षेत्रों में चूल्हे परखांना बनाती हैं, उनमें सीओपीडी से ग्रस्त होने के मामले कहीं ज्यादा सामने आते हैं। वहीं जो लोग रासायनिक संयंत्रों में या ऐसे कार्यस्थलों में कार्य करते हैं, जहां के माहौल में कुछ नुकसानदेह गैसें व्याप्त हैं, तो यह स्थिति सीओपीडी के जोखिम को बढ़ा सकती है। इसी तरह सर्दी-जुकाम की पुरानी समस्या भी इस रोग के होने की आशंका को बढ़ा देती है।

Chronic Obstructive Pulmonary Disease लक्षणों के बारे में

1. सबसे पहले रोगी को खांसी आती है।

2. खांसी के साथ बलगम भी निकलता है।

3. पीड़ित व्यक्ति की सांस फूलती है।

4. रोगी लंबी अवधि तक गहरी सांस नहीं ले पाता । कालांतर में यह स्थिति बिगड़ती जाती है। व्यायाम करने के बाद तो मरीज की हालत और भी बिगड़ जाती है।

5. सीओपीडी की गंभीर अवस्था कॉरपल्मोनेल की समस्या पैदा कर सकती है। कॉरपल्मोनेल की स्थिति में हृदय पर दबाव पड़ता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि हृदय द्वारा फेफड़ों को रक्त की आपूर्ति करने में उसे अतिरिक्त परिश्रम करना पड़ता है। कॉरपल्मोनेल के लक्षणों में एक लक्षण पैरों और टखने में सूजन आना है।

6. तेज खांसी आने से पीड़ित व्यक्ति को कुछ समय के लिए बेहोशी भी आ सकती है।

7. मुख्य तौर पर यह बीमारी 40 साल के बाद ही शुरू होती है, लेकिन कभी-कभी इस उम्र से पहले भी व्यक्ति सीओपीडी से ग्रस्त हो सकता है।

8. बीमारी की गंभीर स्थिति में रोगी को सांस अंदर लेने की तुलना में सांस बाहर छोड़ने में ज्यादा वक्त लग सकता है। 

9. रोगी द्वारा थकान महसूस करना और उसके वजन का कम होते जाना।

Chronic Obstructive Pulmonary Disease से बचाव कैसे करे

1. डॉक्टर के परामर्श से हर साल इंफ्लूएंजा की और न्यूमोकोकल (न्यूमोनिया से संबंधित) वैक्सीनें लगवानी चाहिए।

2. धूमपान कर रहे व्यक्ति के करीब न रहें। ऐसा इसलिए, क्योंकि जब धूमपान करने वाला धुआं छोड़ता है, तो धूमपान न करने वाले व्यक्ति के लिए कहीं ज्यादा नुकसानदेह हो सकता है।

3. धूल, धुएं और प्रदूषित माहौल से बचें।

4. रसोईघर में गैस व धुएं की निकासी के लिए समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।

Chronic Obstructive Pulmonary Disease जांच की बात

सीओपीडी की सबसे सटीक जांच स्पाइरोमीटी नामक परीक्षण है।

Chronic Obstructive Pulmonary Disease के इलाज कैसे करे

सीओपीडी को नियंत्रित करने में स्टेरॉयड इनहेलर्स और एंटीकॉलीनेर्जिक टैब्लेट्स की भूमिका महत्वपूर्ण है। अधिकतर दवाएं इनहेलर के रूप में इस्तेमाल की जाती हैं। कभी-कभी कभी सीओपीडी की तीव्रता बहुत बढ़ जाती है,जिसे 'एक्यूट एक्सासरबेशन' कहते हैं। इस स्थिति का मुख्य कारण फेफड़ों में जीवाणुओं का संक्रमण होता है। इस संक्रमण के चलते फेफडों। की कार्य क्षमता कम हो जाती है। रोगी के बलगम का रंग बदल जाता है, जो सफेद से हरा या पीला हो जाता है। रोगी तेजी से सांसलेता है और उसके हृदय की धड़कन बढ़ जाती है। यही नहीं, 'एक्यूट एक्सासरबेशन' की स्थिति में शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती और कार्बनडाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है। सीओपीडी में मौत होने का मुख्य कारण यही स्थिति होती है। इस गंभीर स्थिति में रोगी को बाईपैप थेरेपी और ऑक्सीजन दी जाती है।

इन बातों पर दें ध्यान

प्राथमिक लक्षणः सास गहरी न ले पाना खांसी आना और बलगम बनना।

कारण : प्राथमिक कारण धूमपान करना है। इससे फेफड़ों में सूजन आ जाती है। अस्थमा(दमा) तो नियंत्रित हो जाता है, लेकिन दमा की तलना में सीओपीडी को नियंत्रित करना कहीं ज्यादा मुश्किल है। कालांतर में यह रोग बद से बदतर हो जाता है।

Chronic Obstructive Pulmonary Disease को कैसे काबू करें

धूमपान छोड़ें। वैक्सीनें लगवाएं। रोग से पीडित लोगों के पुनर्वास की जरूरत होती है। अक्सर रोगी को इन्हेल्डब्रांकोडाइलेटर्स' की जरूरत पड़ती है। कुछपीड़ित लोगों को लंबे समय तक दी जाने वाली ऑक्सीजन थेरेपी से लाभ मिलता है।रोग की गंभीर स्थिति में फेफड़े के प्रत्यारोपण की भी आवश्यकता पड़ सकती है।

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