महिलाएं अपनी सेहत से जुड़ी समस्याओं पर बात करने से बचती हैं। एंडोमीट्रीयोसिस ऐसी ही आम समस्या है, जिसकी अनदेखी करना बड़ी परेशानी बन सकता है। सही उपचार क्या है, आइए जानें सबा वकील से.....
Chokletcyst Or Endometriosis क्या है?
एंडोमीट्रीयोसिस का असर महिलाओं के तन
और मन दोनों पर पड़ता है। यहां तक कि
समाजिक संबंधों पर भी असर पड़ सकता
है। पिछले कुछ समय से एंडोमीट्रीयोसिस के
मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। यूं यह आम
समस्या है, बावजूद ज्यादातर लोग इसके
बारे में जानते नहीं। इसके बारे में डॉ. सुहैल अहमद बताते
हैं, '25 से 30 साल की उम्र की महिलाओं
में पेट दर्द की शिकायत और कंसीव न कर
पाने का यह एक बड़ा कारण है। दरअसल,
इस समस्या में गर्भाशय के आसपास के
टिश्यू (एंडोमीट्रियम) की ग्रोथ सही तरीके से
नहीं होती। इसमें जब भी महिला को
पीरियड्स होते हैं, तो इस टिश्यू के अंदर की
तरफ भी ब्लीडिंग होने लगती है। इस तरह
ब्लड ओवरी के अंदर जम जाता है और इसे
एंडोमीट्रियॉटिक सिस्ट कहते हैं। इसे
'चॉकलेट सिस्ट' भी कहा जाता है, क्योंकि
जमा हुआ ब्लड चॉकलेट की तरह दिखता है।
यही नहीं, इससे शरीर के श्रोणी वाले हिस्से
में खून के थक्के बनने लगते हैं, इस कारण
ओवरी, आंतें और ट्यूब्स आपस में चिपकने
लगते हैं।'
पीरियड में होती हैं दिक्कत
इसमें गर्भाशय के अंदर एंडोमीट्रियम
टिश्यू असामान्य ढंग से बढ़ने लगते हैं।
इससे न सिर्फ अंडाशय और प्रजनन
अंग प्रभावित होते हैं, बल्कि आंतों को
भी नुकसान पहुंच सकता है।
एंडोमीट्रीयोसिस की वजह से
पीरियड्स में तेज दर्द होता है। ब्लीडिंग
कम या ज्यादा हो सकती है। चूंकि
ओवरी और ट्यूब्स को नुकसान होता
है, इससे इनफर्टिलिटी की आशंका बढ़
जाती है। समस्या ज्यादा गंभीर होने पर
अंदरूनी अंगो को भी नुकसान होने
लगता है। इस स्थिति को 'फ्रोजन
पेल्विक' कहते हैं । डॉ.अहमद बताते
हैं मरीज का इतिहास और जांच की
जाती है। सोनोग्राफी भी की जाती है।
कई मामलों में लेप्रोस्कोपी तक करनी
पड़ जाती है। इन दिनों एंडोस्कोपिक
सर्जरी भी की जा रही है, जिसमें पेट
पर दो या तीन छोटे चीरे के जरिए
प्रभावित हिस्से को हटा दिया जाता है
या एंडोमीट्रीयोसिस को लेजर की मदद
से खत्म कर दिया जाता है।
दवाएं डॉक्टर से पूछकर ही ले
गाइनेकोलॉजिकल एंडोस्कोपिस्ट सर्जन डॉ.
रेनू चावला कहती हैं, 'एंडोमीट्रीयोसिस में
तेज दर्द होता है। कई बार दर्द निवारक दवाएं
लेकर भी आराम नहीं आता। रेक्टम में बहुत
दर्द होता है और मल त्यागने में भी बेहद
तकलीफ होती है। वैसे, इससे निपटने के
लिए सुरक्षित दवाएं व टीका उपलब्ध हैं, जो
दो से तीन साल तक इससे बचाव रखते हैं।
पांच सेंटीमीटर से बड़े व दर्द करने वाले
एंडोमीट्रीयोसिस के लिए ही लैप्रोस्कोपिक
सर्जरी करनी होती है।
सर्जरी नहीं आखिरी इलाज
सर्जरी के बाद भी यह दोबारा हो सकता है।
कुछ मरीजों को थोड़े समय बाद ही दोबारा
सर्जरी करवानी पड़ जाती है।
एंडोमीट्रीयोसिस से परेशान युवा महिलाएं,
जो कंसीव करना चाहती हैं, उन्हें आईयूआई
और आईवीएफ जैसे स्पेशलाइज्ड ट्रीटमेंट्स
की मदद लेने की सलाह दी जाती है। अगर
महिला की उम्र ज्यादा है तो यूटरस व ओवरी
को पूरी तरह हटा देना ही समाधान है।
बीमारी का पता चलना है जरूरी
डॉ.चावला कहती हैं कि अगर पेट के निचले
हिस्से में तेज दर्द होता है। कमर के निचले
हिस्से व रेक्टम में दर्द होता है। दर्द के साथ
बुखार भी होता है तो डॉक्टर से अवश्य
मिलें। जरूरत महसूस होने पर डॉक्टर
लैप्रोस्कोपी करवा सकते हैं। बेहतर है कि
जल्दी पहचान कर लें। एंडोमीट्रीयसिस की
ग्रोथ कम करने के लिए हारमोन थेरपी
कारगर है, तो एंडोमीट्रीयोसिस के बड़े
हिस्सों को हटाने के लिए सर्जरी की जा
सकती है। यह जानना भी जरूरी है कि
इसके पूरी तरह ठीक होने की संभावना
50-50 है। यह दवा और सर्जरी के सूट
करने पर भी निर्भर करता है। उम्र बढ़ने के
साथ-साथ इसको दवा से काबू में रखने की
कोशिश की जाती है।
क्या कहते हैं शोध
दुनियाभर में इस पर शोध कार्य जारी है।
कई आधुनिक दवाएं व इंजेक्शन भी बाजार
में हैं, पर फिलहाल 100 फीसदी सफलता
अभी नहीं मिली है। एक इंजेक्शन भी है,
जिसकी कीमत 5 से 7 हजार रुपये है।
21-21 दिनों के अंतराल पर 3-6
इन्जेक्शन दिए जाते हैं। लेकिन ऐसे इंजेक्शन
का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर की
सलाह जरूर लें
सर्जरी क्यों?
तीसरी स्टेज में श्रोणि अंगों में बन चुकी गाठों
को खोलने की कोशिश की जाती है।
ट्यूब्स को अलग-अलग कर उन्हें साफ किया
जाता है। ऐसे में यह पीड़िता के लिए काफी
दर्दनाक होता है। लेकिन समस्या के काफी
बढ़ने के बाद इसके लिए सर्जरी ही एक
उपाय बचता है।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें
Thanks You Guys
Please Share This Link