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2020-11-15

Mahilao ke liye neend kyu jaruri hai | Nind Kitane Ghante Jaruri Hai | nind kitni jaruri h

 महिलाओं के लिए नींद कितना जरूरी हैं या महिलाओं के लिए कितने घंटे की नींद जरूरी है


जब बात उनकी आती है, तो हम समझते हैं कि वे पूरा दिन घर पर आराम ही तो करती हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। शोध कहते हैं कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं का दिमाग ज्यादा कसरत करता है, जिससे उनकी नींद पर भी असर पड़ता है। जरूरी है कि उनकी नींद भी पूरी हो, क्योंकि जब नींद पूरी होगी, तभी तो वो भी सपने देखेंगी।


यह एक मिथ है कि गृहणियां कुछ काम नहीं करतीं। वे मिनी मैनेजर की तरह होती हैं,जो घर के फाइनेंस, गेस्ट, राशन के साथ-साथ घर के लोगों को भी मैनेज करती हैं। लेकिन इन्हीं कामों में व्यस्तता के कारण ही उनकी नींद पूरी नहीं हो पाती।

 

क्यों जरूरी है महिलाओं के लिए ज्यादा नींद महिलाओं में नींद की कमी की समस्या ज्यादा बड़ी और गंभीर है। महिलाओं की शारीरिक, भावनात्मक और स्वास्थ्य संबंधी जरूरतें पुरुषों से बिल्कुल अलग होती हैं। महिलाएं चाहे वे कामकाजी हों या हाउसफाइफ, मल्टीटास्क करती हैं। ऐसे में जाहिर है कि महिलाओं के शरीर को भी ज्यादा आराम की जरूरत होती है, जो नींद से पूरा होता है। मेडिकल रिसर्च से भी यह साबित हो चुका है कि महिलाओं में डिप्रेशन की समस्या ज्यादा होती है। इसकी कई वजहों में से एक नींद पूरी न होना भी है। कामकाजी महिलाएं नौकरी करने के साथ-साथ घर की भी कई जिम्मेदारियां निभाती हैं, इसलिए कई बार हमें उनका कम नींद लेना सामान्य लगता है। लेकिन हाउसफाइफ के बारे में ये

धारणा बन जाती है कि उन्हें घर पर रहकर आराम करने

का काफी समय मिलता होगा, इसलिए उनमें नींद की

कमी जैसी समस्याएं नहीं होनी चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं

है। गृहणियां भी सुबह जल्दी उठकर देर रात तक घर के

कामकाज में इतनी व्यस्त रहती हैं कि कम नींद की

परेशानी से वे भी जूझ रही होती हैं।



हमारी सेहत के लिए नींद उतनी ही ज्यादा जरूरी

है, जितना पौष्टिक खाना और वर्क आउट या

एक्सरसाइज। लेकिन हम नींद को उतना महत्व

नहीं देते जितना देना चाहिए। दुनियाभर में हुए

शोध और सर्वे से यह साबित हो चुका है कि

पुरुषों के मुकाबले महिलओं को ज्यादा नींद की

जरूरत होती है, क्योंकि महिलाओं का दिमाग

पुरुषों की तुलना में ज्यादा कसरत करता है,

जिससे उनकी नींद पर असर पड़ता है। जब बात

महिलाओं में नींद की कमी की होती है तो हमें

लगता है कि ये परेशानी कामकाजी महिलाओं को

ही आती होगी, क्योंकि उन पर दोहरी जिम्मेदारी

होती है। लगातार शारीरिक और मानसिक रूप से

व्यस्त रहने के कारण भी नींद में व्यावधान होता है।


है। लेकिन हाल ही में हुए एक सर्वे में सामने

आया है कि गृहणियां भी नींद की कमी से उसी

तरह जूझ रही हैं, जितनी कामकाजी महिलाएं।

हाउसवाइफ को जब अक्सर थकान, सिरदर्द और

चक्कर की शिकायत रहने लगी तो वह डॉक्टर

के पास गईं। तमाम टेस्ट सही आने के बाद

डॉक्टर ने उन्हें भरपूर नींद लेने की सलाह दी।

हफ्ते भर अपनी नींद के घंटे बढ़ाने से हाउसवाइफ को

आराम आ गया। इसी उम्र की दूसरी महिलाये नौकरी

करती हैं और इन्हीं सब समस्याओं का सामना

करने के बाद उन्हें भी भरपूर नींद लेने की

हिदायत डॉक्टर ने दी। दरअसल नींद को हम

जितना हल्के में लेते हैं मामला उससे कहीं ज्यादा

गंभीर है। महिलाओं में नींद के पैटर्न को लेकर

समय-समय पर सर्वे और शोध होते रहते

हैं। हाल ही में एक स्किन केयर ब्रांड ने

दो हजार महिलाओं पर सर्वे किया। शोध

के बाद हर दस में से सात महिलाओं ने

कहा कि जब वो सात से आठ घंटे की

नींद लेती हैं, तो देखने में ज्यादा आकर्षक

लगती हैं। एक अन्य शोध अमेरिका के

यूरोपियन रेस्पिरेटरी सोसाइटी जनरल में

प्रकाशित हुआ, जिसमें सामने आया कि

कम नींद की वजह से पुरुषों के

मुकाबले महिलाओं में कैंसर

होने का खतरा ज्यादा होता है।


क्यों नहीं होती नींद पूरी


महिलाएं बताती है कि उनके पति रात साढ़े दस-ग्यारह

बजे तक घर आते हैं। खाना निपटाने

के बाद 12 बजे से पहले कभी सोना नहीं

हो पाता। सुबह छह बजे बच्चों को स्कूल

निकलना होता है, जिसके लिए साढ़े चार

बजे उठना ही होता है। दोपहर को बच्चे

स्कूल से आते हैं और फिर ट्यूशन

वगैरह- वगैरह। ऐसे में सात घंटे की नींद मेरे लिए

एक सपना ही है।" कमोबेश यही हालात

हर हाउसफाइफ की होती है। दरअसल

हमारा सामाजिक ढांचा इस तरह का है,

जहां महिलाओं से ज्यादा काम करने की

उम्मीद की ही जाती है। जिम्मेदारी घर की

हो या बाहर की, महिलाओं पर ज्यादा होती

है। साथ ही हमारी तेजी से बदलती

जीवनशैली भी इसके लिए कम जिम्मेदार

नहीं है। अगर वीकेंड पर नींद पूरी करने

की बात सोचें तो वहीं दिन रिलैक्स करने

और दोस्तों से मिलने-जुलने व घर के

सारे पेंडिंग काम करने के भी होते हैं। ऐसे

में जरूरी नहीं कि नींद पूरी ही हो।

कामकाजी महिलाओं के मुकाबले गृहणियों

पर भी काम की उतनी ही ज्यादा जिम्मेदारी

होती है, ऐसे में यह सोचना की घर पर

रहकर नींद तो पूरी हो ही जाती होगी- एक

गलतफहमी है।


नींद की कमी से होने वाली समस्याएं कम नहीं


सामान्य तौर पर एक महिला को 7-9 घंटे

की नींद की जरूरत होती है। महिलाएं

शारीरिक काम के साथ-साथ मानसिक

रूप से भी व्यस्त रहती हैं, चाहे बच्चों की

पढ़ाई की फिक्र हो या घर का सामान लाने

की। रिसर्च में सामने आया है कि

मानसिक तौर पर महिलाओं का मस्तिष्क

हमेशा काम करता रहता है और सिर्फ सोने के

बाद ही आराम मिल पाता है। ऐसे में रोजाना कम

से कम सात घंटे की नींद महिलाओं को लेनी

चाहिए। कम नींद के कारण अनिंद्रा, वजन बढ़ना,

शुगर, ऑस्टियोपोरोसिस, डिप्रेशन, हार्मोनल

असंतुलन, कैंसर और दिल से जुड़ी बीमारियां होने

का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा लंबे समय

तक नींद की कमी की वजह से याद्दाश्त में कमी

होने का खतरा भी बढ़ जाता है।


क्या कहते हैं विशेषज्ञ


न्यूरोलॉजिस्ट और स्लीप स्पेशलिस्ट कहती हैं, "यह एक मिथ है कि गृहणियां

कुछ नहीं करतीं। गृहणियां मिनी मैनेजर की तरह

होती हैं, जो घर के फाइनेंस, गेस्ट, राशन के

साथ-साथ घर के लोगों को भी मैनेज करती हैं।

अगर कामकाजी महिलाएं अपने ऑफिस की

जिम्मेदारियां निभाती हैं, तो गृहणी घर के फ्रंट पर

अकेले कई टास्क पूरे कर रही होती हैं। घर के

लोगों की कपड़े और खाने की हर जरूरत गृहणी

ही पूरा करती हैं। किसी को खाने में कुछ पसंद

है, किसी को कुछ, सास ससुर के लिए अलग


खाना, बच्चों के लिए अलग, सुबह की सब्जी रात

को रिपीट नहीं। इस तरह की न जाने कितनी

इच्छाएं वे अकेले पूरा कर रही होती हैं। सुनने में

ये बात बेहद साधारण लग सकती है, लेकिन घर

के लोगों के नखरे गृहणी ही उठाती हैं। इसके

अलावा रात को किचन या घर को समेटने की

जिम्मेदारी भी गृहणी की होती है। ऐसे में सबसे

ज्यादा समझौता नींद से ही होता है।" इस समस्या

के समाधान के बारे में डॉ. कहती हैं,

"मेरे पास कई मरीज आते हैं, जो नींद की कमी


की वजह से परेशान हैं। कई बार दूसरी हेल्थ से

जुड़ी परेशानियां भी नींद को खराब करने के लिए

जिम्मेदार होती हैं। नींद की कमी की वजह जो भी

हो, इसका समाधान हो सकता है। लेकिन

शुरूआत में मुख्यतौर से दो बातें इसमें मदद कर

सकती हैं। पहली जिंदगी में जीने का कोई

उद्देश्य हो- गृहणियों के लिए भी यह जरूरी है

कि वे जिंदगी का उद्देश्य निर्धारित करें। घर के

लोगों का ध्यान रखने के अलावा कोई उद्देश्य

जो खुद से जुड़ा हो, जरूरी है। दूसरा- गृहणियों

के काम की सराहना होनी चाहिए, एकनॉलिजमेंट

बेहद जरूरी है। दिल को सुकून होगा तो नींद

आने में भी मदद मिलेगी।"




नींद की कमी स्वास्थ्य और कामकाजी

जिंदगी को प्रभावित कर सकती है। हाल ही में

संयुक्त राज्य अमेरिका में हुए शोध में पता

चला है कि यह व्यक्ति की उम्र पर निर्भर

करता है कि उसे कितनी नींद लेनी चाहिए।

अमेरिका के वर्जीनिया में स्थित एरलींगटॉन

की चैरिटी नेशनल स्लीप फाउंडेशन का

कहना है कि हर व्यक्ति की जीवनशैली

उसकी नींद की जरूरत समझने का आधार

होती है, लेकिन आपकी उम्र के हिसाब से नींद

लेने के बारे कुछ सलाह दी जा सकती हैं।


नवजात (0-3 महीने)-नवजातों के लिए 11

से 13 घंटे की नींद पर्याप्त है, लेकिन 19 घंटे

से ज्यादा नहीं सोने की सलाह दी जाती है।


शिशु (4-11 महीने)- शिशुओं के लिए कम

से कम 10 घंटे जरूरी हैं, लेकिन इनकी नींद कभी भी 18 घंटे से अधिक नहीं

होनी चाहिए।


छोटा बच्चा (1-2 साल) इनके

लिए 9 से 16 घंटे तक की नींद

जरूरी है।


स्कूल जाने से पहले की उम्र के बच्चे

(3-5 साल)- विशेषज्ञ इनके लिए

10 से 13 घंटों की नींद की सलाह

देते हैं।


स्कूल जाने की उम्र के बच्चे (6-13

साल)- एनएसएफ इन्हें 9 से 11 घंटों

नींद की सलाह देता है।


किशोरावस्था (14-17 साल)- इनके

लिए 7 से कम और 11 से ज्यादा घंटों

की नींद को एनएसएफ सही नहीं मानता।


वयस्क और अधेड़ (18-64 साल)-

नौजवान वयस्कों और अधेड़ उम्र के लोगों

के लिए 7-9 घंटों की सलाह दी गई है,

लेकिन ये 6 घंटे से कम और 11 घंटे से

अधिक नहीं होनी चाहिए।


बुजुर्ग (65 साल से ज्यादा)- इस उम्र के

लोगों के लिए 7-8 घंटे की नींद की सलाह

दी गई है। इन्हें पांच घंटे से कम और नौ घंटे

से ज्यादा नहीं सोना चाहिए।


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