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2020-11-14

muscular dystrophy kya hai | muscular dystrophy k lakshan(symptoms), Ilaj (treatment) ke bare me

muscular dystrophy Bimari Kya Hain Aur Muscular dystrophy ke bare me jankari 



मांसपेशियों के तेजी से क्षीण

होने वाली बीमारी (ड्यूशेन

मस्कुलर डिस्ट्राफी) के इलाज में

माइक्रोडिस्ट्राफिन जीन थेरेपी ने

काफी उत्साहवर्धक नतीजे दिए हैं..


ड्यूशेन मस्कुलर डिस्ट्राफी (डी.एम.डी.) एक गंभीर रोग है,

जिसकी गिरफ्त में ज्यादातर बच्चे और किशोर आते हैं। इस मर्ज

में मांसपेशियों का क्षय बहुत तेजी से होता है। इस कारण मरीज

की दिक्कतें बढ़ जाती हैं, लेकिन पिछले वर्षों में स्टेम सेल के

प्रयोग से काफी बच्चों की जान बचाने और जीवन की गुणवत्ता

बेहतर करने में सफलता मिली है। चूंकि स्टेम सेल के प्रयोग के

बाद भी यह बीमारी जड़ से नहीं जा रही थी। इसलिए शोधकर्ताओं

ने जीन थेरेपी का सहारा लिया और हाल ही में प्रचलन में आई

माइक्रोडिस्ट्राफिन जीन थेरेपी (एक विशेष प्रकार की जीन

थेरेपी) के नतीजों ने बेहद सकारात्मक परिणाम दिए हैं। आइए


जानें इसके बारे में।


माइकोडिस्ट्राफिन जीन थेरेपी


यह एक प्रकार की जीन थेरेपी है, जिसमें माइक्रोडिस्ट्राफिन

जीन को एक प्रकार के वायरस (एएवी) की सहायता से रक्त में

प्रवाहित किया जाता है।


थेरेपी के प्रारंभिक परिणाम: हाल ही में एक विदेशी

बॉयोटेक्नोलॉजी कंपनी ने इस थेरेपी के शुरुआती और सुरक्षा

से संबंधित परिणामों की घोषणा करता हुए बताया था कि

माइक्रॉडिस्ट्राफिन जीन थेरेपी के इलाज के नौ महीने बाद सभी

बच्चे सुरक्षित हैं। ऐसे बच्चों की मांसपेशियों में डिस्ट्राफिन प्रोटीन

(मांसपेशियों में ताकत के लिए आवश्यक प्रोटीन) की मात्रा 81

प्रतिशत तक बढ़ गई है और उनमें किसी प्रकार का दुष्परिणाम भी

नहीं देखा गया है। इसके परिणामस्वरूप उनके चलने, उठने, बैठने

और सीढ़ी चढ़ने की ताकत में काफी वृद्धि हुई है।


डी.एम.डी. के लक्षण


1. तीन से पांच साल के बच्चों में जमीन से उठने पर घुटने में

हाथ लगाना।

2• तेजी से चलने या दौड़ने पर गिरजाना।

3• सीढ़ियां चढ़ने में दिक्कत होना।

4. एडियां उठाकर चलना।

5. पेट का आगे निकलना और कमर का अंदर धंस जाना।

6• शुरुआत में पैरों व कूल्हे में कमजोरी आना और बाद में हाथ

भी न उठा पाना।

7. बीमारी की अंतिम अवस्था में हृदय व फेफड़े का फेल हो

जाना।


मौजूदा इलाज


डी.एम.डी. से ग्रस्त मरीजों के लिए हालांकि अमेरिकन फूडएन्ड

ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने एक प्रकार के स्टेरॉयड को

ही अनुमोदित किया है,लेकिन लंबे समय तक स्टेरॉयड देने के

दुष्परिणाम एक से तीन साल के मध्य ही मरीजों में उजागर हो

जाते हैं। इस वजह से इन्हें रोकना पड़ जाता है। ऐसे हालात में

आटोलोगस बोन मेरो सेल ट्रांसप्लांट के समय-समय पर दिए गए

सेशन काफी मददगार साबित हो रहे हैं,जो मरीज की मांसपेशियों

की शक्ति और सक्रियता को बनाए रखते हैं।

इसके अतिरिक्त एक अमेरिकन स्टडी में आई जी एफ-1

नामक इंजेक्शन को भी काफी प्रभावी पाया है।


विशेष सुझाव


चूंकि डी.एम.डी. ही नहीं बल्कि अन्य प्रकार की

मस्कुलर डिस्ट्राफी-जैसे बीएमडी,एलजीएमडी और

एफएसएचडी का भी कारगर इलाज शीघ्र शुरू होने

की संभावनाएं बढ़ गई हैं। इसलिए इन मरीजों पर

अभिभावक विशेष ध्यान दें और उनकी मांशपेशियों

के क्षय को आगे खराब होने से बचाएं। बचाने की यह

प्रक्रिया फिजियोथेरेपी, कुछ फूड सप्लीमेंट एवं बोन

मेरो सेल ट्रांसप्लांट से संभव है और आवश्यकता

पड़ने पर स्पिलिन्ट का इस्तेमाल करें और बाइपैप

मशीन से ऑक्सीजन दें।

इस रोग की गंभीरता को देखते हुए केंद्र और राज्य

सरकारें गरीब मरीजों के इलाज में हर संभव आर्थिक

सहायता दे रही हैं। इसीलिए मरीज निराश न हों एवं

अपने डॉक्टर से इस संदर्भ में मार्गदर्शन लें।


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